कपास की खेती करने वाले किसानों को तुरंत प्रोत्साहन की है जरूरत
किसान साथियो कृषि विशेषज्ञ के मुताबिक भारत विश्व के सबसे बड़े क्षेत्र में कपास की खेती करने वाला देश है। यहां पर लगभग 125 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में करीब 320- 330 लाख गांठ कपास का उत्पादन होता है, जो कि वैश्विक उत्पादन में पहले या दूसरे नंबर पर आता है। हम कच्चे कपास, सूती धागे तथा मूल्य वर्धित कपडा निर्यात में भी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। लेकिन आज वही कॉटन सेक्टर चौराहे पर खड़ा है। एक तरफ तो उच्च उत्पादकता व उत्पादन के द्वारा कपास उत्पादक किसानों को प्रगति की ओर ले जाने वाला मार्ग है, जो कि हमारी बढ़ती हुई खपत की मांग को पूरा करने के लिए कच्चा माल देने के बावजूद भी वास्तविक निर्यात अधिशेष प्रदान करते हैं । दूसरी ओर उत्पादन में स्थिरता, बेमेल मांग और आपूर्ति, कीमतों में अस्थिरता, निर्यात की गिरती हुई मात्रा, आयात पर बढ़ती हुई निर्भरता जो कि अर्थव्यवस्था और वैल्यू-चेन में कार्यरत लोगों को प्रभावित करती है। अब रास्ते का चुनाव नीति-निर्माताओं सहित अन्य स्टेकहोल्डर्स को करना है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें
साथियो क्योकि कपास की खेती का क्षेत्र स्थिर हो जाता है और संभवत आगे बढ़ाने की स्थिति में भी नहीं है, इसलिए केवल पैदावार बढ़ाने से ही उत्पादन को बढ़ाने का एकमात्र तरीका बचता है। बार-बार होने वाली कीट आक्रमण की घटनाओं से इसका प्रमाण मिलता है कि कपास की खेती के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार कृषि पद्धति का पालन नहीं किया जाता है। इसलिए उत्पादकों का मार्गदर्शन करने की जरूरत है। तकनीकी बीजों में निवेश के लिए एक सहायक नीतिगत माहौल तैयार करना होगा । लेकिन आईपीआर और तकनीकी सुविधाओं की कमी अनुसंधान को हतोत्साहित कर सकती है। तकनीकी बीजों पर मूल्य नियंत्रण से बचना ही बेहतर है। रस चूसने वाले कीटों से भी फसलों को नुकसान पहुंच रहा है। नए बीज (स्टैक्ड जीन) तो उपलब्ध हैं । खर-पतवार हटाने के लिए हाथ से निराई-गुड़ाई करने में लागत अधिक आती है, शाकनाशी सहिष्णु बीजों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए । इसके लिए आनुवंशिक अनुसंधान की आवश्यकता है। जलवायु - स्मार्ट कृषि या जलवायु-लचीली फसलों के साथ जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए कंपनियों को अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने के लिए एक सहायक दीर्घकालिक नीति ही एकमात्र विकल्प है, जिसके लिए बीज अनुसंधान किया जाना चाहिए। यह भी पढ़े :- पंजाब की मंडियों में लौटा जोश, क्या अब 5000 के पार होंगे बासमती के रेट? जानें पूरी खबर
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।