काली या सफेद, कौन सी DAP देती है बेहतर परिणाम, आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है।
किसान भाइयों, खेती में खाद का उपयोग फसल की बढ़िया उपज के लिए बेहद जरूरी होता है। यूरिया के बाद, किसान भाई सबसे अधिक अपने खेतों में DAP का ही प्रयोग करते हैं। DAP (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) एक महत्वपूर्ण खाद है, जिसका किसान बड़े पैमाने पर प्रयोग करते हैं। DAP फसल की जड़ों को मजबूत बनाता है और उसकी विकास प्रक्रिया में सहायता करता है। खेत में DAP का प्रयोग लगभग हर फसल में किया जाता है। किसान भाइयों, बाजार में दो तरह की DAP आती है, एक काले रंग की और दूसरी सफेद रंग की DAP, जो आपको बाजार में मिलती है, जिन्हें अलग-अलग कंपनियां बनाती हैं। इन दोनों DAP में क्या-क्या अंतर होते हैं और कौन सी DAP का आपको अपने खेत में उपयोग करना चाहिए, आज हम इन सब बातों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। दोस्तों, जैसा कि आपको पता है कि बाजारों में DAP की भारी कमी बनी हुई है, जिसके चलते हमें जो भी DAP बाजार में मिल जाती है, हम ले आते हैं। DAP की कमी के कारण बाजारों में DAP की कालाबाजारी भी खूब हो रही है। कई दुकानदार ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए आपको नकली DAP बेच देते हैं, जो फसल में फायदे की जगह नुकसान का कारण बनती है। दोस्तों, DAP एक ऐसी खाद है जिसका अगर हम सही समय पर उपयोग करते हैं, तो यह हमारी फसल के लिए काफी लाभदायक होती है। और अगर इस DAP का गलत समय पर उपयोग किया जाए, तो यह हमारी फसल के लिए नुकसानदायक भी हो सकती है, जिसका हमारे किसान भाइयों को पता भी नहीं चलता है। आज की इस रिपोर्ट में हम DAP के उपयोग, सही समय और बाजार में मिलने वाली असली और नकली DAP के बीच के अंतर की जानकारी विस्तार से देंगे। तो लीजिए, शुरू करते हैं आज की यह रिपोर्ट।
DAP का उपयोग
किसान साथियों, DAP में 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है, जो फसल के विकास के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। नाइट्रोजन पौधों की हरी पत्तियों के निर्माण में सहायक होती है, जबकि फॉस्फोरस जड़ों की गहराई और पौधों के संपूर्ण विकास में मदद करता है। इसके नियमित प्रयोग से फसलें हरी-भरी और मजबूत बनती हैं। किसानों को DAP का प्रयोग सही मात्रा और सही समय पर करना चाहिए।
काली और सफेद DAP
किसान भाइयों, बाजार में हमें दो प्रकार की DAP देखने को मिलती है, काली और सफेद। दोनों ही DAP फसल के लिए फायदेमंद होती हैं। काली DAP धीरे-धीरे परिणाम देती है, जो लगभग 10 से 12 दिनों में फसल में असर दिखाती है। काली DAP फसल में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की मात्रा को धीरे-धीरे प्रदान करती है, जिसका असर फसल में कई दिनों तक दिखाई देता है। अगर हम सफेद DAP की बात करें, तो सफेद DAP के परिणाम बिल्कुल इसके विपरीत होते हैं। सफेद DAP फसल पर जल्दी असर करती है और लगभग एक सप्ताह के भीतर आपको अपनी फसल में इसका प्रभाव दिखाई देने लगता है। आपको बता दें कि दोनों DAP अलग-अलग कंपनियों के द्वारा बनाई जाती हैं। आप अपनी फसल की क्षमता और जरूरत के हिसाब से सफेद और काली DAP का चयन कर सकते हैं। काली और सफेद DAP फसल को एक ही प्रकार के पोषक तत्व प्रदान करती हैं, लेकिन इनके परिणाम के समय में फर्क होता है। यदि आप अपनी फसल को जल्दी बढ़ाना चाहते हैं, तो आप सफेद DAP का प्रयोग कर सकते हैं, और यदि आप अपनी फसल की बढ़वार को समय और जलवायु के हिसाब से तैयार करना चाहते हैं, तो आप काली DAP का उपयोग कर सकते हैं।
DAP डालने का सही समय
किसान भाइयों, अगर आप अपने खेत में DAP का उपयोग सही समय पर करेंगे, तो यह आपकी फसल के लिए काफी अधिक फायदेमंद साबित हो सकती है। इसके लिए आपको DAP की सही मात्रा और सही समय का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। DAP डालने का सही समय बुवाई से पहले होता है। आप DAP का उपयोग बेसल डोज में कर सकते हैं। इस समय DAP का उपयोग करने से पौधों की जड़ों को गहराई मिलती है और पौधों की वृद्धि बेहतर होती है।
कब न करें DAP का उपयोग
किसान भाइयों, जर्मिनेशन के बाद पौधों की कुछ अवस्थाएँ ऐसी होती हैं, जब DAP का प्रयोग हानिकारक हो सकता है। अगर आप फसल में फल और फूल बनने की अवस्था में DAP का प्रयोग करते हैं, तो इससे आपके फसल के फूल झड़ने का खतरा बना रहता है, जिससे फसल के उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है। किसान भाइयों, जिन फसलों में आपको लंबाई की आवश्यकता नहीं होती, उन फसलों में आपको DAP का प्रयोग कम से कम करना चाहिए, क्योंकि DAP में मौजूद नाइट्रोजन फसल की लंबाई बढ़ाने का कार्य करता है। आपको चने जैसी फसलों में DAP का प्रयोग कम से कम करना चाहिए। किसान भाइयों, अगर आपकी फसल पकने की अवस्था में पहुंच चुकी है, तो उस समय पर भी आपको DAP का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि उस समय फसल को पोटाश की अधिक आवश्यकता होती है। अगर आप फसल में पकाई के समय DAP का प्रयोग करते हैं, तो वह पोटाश के परिणाम पर असर डाल सकती है। इसके कारण फसल में बनने वाला दाना कमजोर और छोटा रह जाता है, जो गुणवत्ता के आधार पर बाजार भाव में आपकी आय पर भी असर डाल सकता है।
असली और नकली DAP में अंतर
किसान भाइयों, बाजार में खाद की कमी को देखते हुए कई दुकानदार किसान भाइयों को नकली खाद बेचकर अधिक मुनाफा कमाते हैं। बाजार में DAP खाद की कमी के चलते किसान भाई इस बात पर ध्यान नहीं देते और जल्दबाजी में कई बार नकली खाद भी लेकर आ जाते हैं। नकली DAP की पहचान के लिए उसकी गुणवत्ता और पैकेजिंग की जांच करें। असली DAP की पैकेजिंग पर सही कंपनी का नाम और सील होना चाहिए। खाद के कट्टे पर कंपनी का होलोग्राम मार्का होना आवश्यक है।
DAP का अन्य खादों के साथ मिश्रण
किसान साथियों, हमें DAP का प्रयोग ऐसे खादों के साथ नहीं करना चाहिए, जो एक-दूसरे की विरोधी हों, नहीं तो हमारी फसल में नुकसान हो सकता है। DAP का सही संयोजन करना आवश्यक होता है। इसे किसी भी नाइट्रेट या सल्फर के साथ मिलाकर नहीं इस्तेमाल करना चाहिए। यदि सल्फर का उपयोग करना आवश्यक हो, तो बेंटोनाइट सल्फर का प्रयोग करें। यह संयोजन पौधों को धीरे-धीरे पोषक तत्व प्रदान करता है। DAP का सही विधि और सही मात्रा में प्रयोग करने से फसल में बेहतर परिणाम देखने को मिलते हैं।
नोट - दोस्तों, रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी इंटरनेट और सार्वजनिक स्रोतों के माध्यम से इकट्ठा की गई है। कृषि संबंधित किसी भी जानकारी के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।
