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गेहूं में आखिरी सिंचाई से पहले ये 2 मिनट का पोस्ट जरूर देख लेना | होगा बड़ा फायदा

गेहूं में आखिरी सिंचाई से पहले ये 2 मिनट का पोस्ट जरूर देख लेना | होगा बड़ा फायदा
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किसान साथियों, कृषि के क्षेत्र में विशेष रूप से गेहूं की फसल हमारे देश के हर कोने में खेती का अहम हिस्सा है। किसानों का जीवन भूमि और फसल से जुड़ा हुआ है। गेहूं की फसल की अच्छी उपज के लिए सही समय पर सही देखभाल आवश्यक होती है। इनमें से एक अहम प्रक्रिया है आखिरी सिंचाई। गेहूं की फसल के विकास के अंतिम चरण में जब बाली पूरी तरह से विकसित हो जाती है और दाने भरने की प्रक्रिया शुरू होती है, तब अगर हम अपनी सिंचाई की प्रक्रिया सही तरीके से नहीं करते हैं, तो इसका सीधा असर फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर पड़ सकता है। बहुत से किसान भाइयों को इस समय पर सिंचाई के दौरान होने वाली गलतियों का नुकसान होता है, जिससे उनका उत्पादन आधा या उससे भी कम हो जाता है। यही कारण है कि इस समय की सिंचाई बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि गेहूं की फसल की आखिरी सिंचाई के दौरान आपको किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि आपको आपकी मेहनत का सही फल मिले और आप अच्छे उत्पादन का आनंद उठा सकें। तो चलिए गेहूं की आखिरी सिंचाई का सही समय और सही मात्रा के बारे में विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट के माध्यम से।

आखिरी सिंचाई का सही समय

दोस्तों, गेहूं की फसल में आखिरी सिंचाई का समय तय करना बहुत अहम होता है। अगर सिंचाई का समय सही नहीं चुना जाता, तो इसका असर सीधे फसल की गुणवत्ता पर पड़ता है। इसलिए इसे सही समय पर करना फसल को पानी की पर्याप्त आपूर्ति से लेकर, दानों की भराई और पकने तक हर पहलू पर प्रभाव डालता है। इसलिए सिंचाई का सही समय तय करने के लिए सबसे पहले आपको अपने खेत की मिट्टी को समझना होगा। क्या आपकी मिट्टी रेतीली है, या फिर काली मिट्टी? यदि आपकी मिट्टी रेतीली है, तो उसे अधिक बार पानी की जरूरत होती है। काली मिट्टी में पानी की आपूर्ति का अंतराल थोड़ा बढ़ सकता है। गेहूं की फसल में आखिरी सिंचाई करने का सही समय तब आता है जब गेहूं की बालियों का रंग हल्का भूरा (brown) होने लगे। यही वह समय है जब दाने पूरी तरह से आकार ले चुके होते हैं और पकने की प्रक्रिया में होते हैं। अगर आपको लगता है कि मिट्टी में नमी कम हो रही है, तो सिंचाई करनी चाहिए, लेकिन इसका ध्यान रखें कि ज्यादा पानी देने से फसल गिर सकती है। इसके अलावा अक्सर किसान भाई आखिरी सिंचाई में यूरिया और अन्य नाइट्रोजन आधारित उर्वरक डालने की गलती कर देते हैं। यूरिया का असर बहुत जल्दी होता है और यह बहुत गर्मी पैदा करता है। अगर आप आखिरी सिंचाई के वक्त यूरिया डालते हैं, तो इससे न केवल फसल जल सकती है, बल्कि नमी की कमी के कारण फसल कमजोर भी हो सकती है। ऐसे में दाने का आकार छोटा हो सकता है और उसकी गुणवत्ता भी कम हो सकती है। इसलिए किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि अगर आपके खेत में दाने पूरी तरह से भरने लगे हैं, तो उस समय यूरिया का इस्तेमाल न करें। बल्कि, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों का इस्तेमाल करें ताकि दानों की गुणवत्ता और मोटाई बनी रहे।

सिंचाई के दौरान मुख्य गलतियां

गेहूं की फसल में आखिरी सिंचाई करते समय कुछ मुख्य गलतियां हैं जिन्हें किसान भाई अक्सर करते हैं। इन गलतियों से बचने के लिए आपको बहुत सतर्कता बरतनी चाहिए। आइए जानते हैं ये गलतियां क्या हैं और उनसे होने वाले नुकसान को कैसे टाला जा सकता है।

1. यूरिया का इस्तेमाल
यूरिया का इस्तेमाल आमतौर पर फसल के विकास में मदद करने के लिए किया जाता है। यूरिया का उपयोग गेहूं की फसल में पहली और दूसरी सिंचाई के दौरान करने पर फसल के लिए यह काफी फायदेमंद होता है लेकिन कई किसानों को पता न होने के कारण अक्सर किसान भाई आखिरी सिंचाई में यूरिया और अन्य नाइट्रोजन आधारित उर्वरक डालने की गलती कर देते हैं। लेकिन इस समय पर यूरिया का उपयोग गेहूं की फसल के लिए हानिकारक हो सकता है क्योंकि यूरिया का असर बहुत जल्दी होता है और यह बहुत गर्मी पैदा करता है। अगर आप आखिरी सिंचाई के वक्त यूरिया डालते हैं, तो इससे न केवल फसल जल सकती है, बल्कि नमी की कमी के कारण फसल कमजोर भी हो सकती है। ऐसे में दाने का आकार छोटा हो सकता है और उसकी गुणवत्ता भी कम हो सकती है। इसलिए किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि अगर आपके खेत में दाने पूरी तरह से भरने लगे हैं, तो उस समय यूरिया का इस्तेमाल न करें। बल्कि, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों का इस्तेमाल करें ताकि दानों की गुणवत्ता और मोटाई बनी रहे।

2. ज्यादा पानी देना
साथियों, अक्सर किसान भाई यह सोचते हैं कि फसल को भरपूर पानी देने से दाने जल्दी बढ़ेंगे, लेकिन ऐसा नहीं होता। आखिरी सिंचाई के समय ज्यादा पानी देने से मिट्टी अधिक नरम हो जाती है, जिससे फसल गिरने की संभावना बढ़ जाती है। और अगर आपकी फसल गिर गई तो उसका उत्पादन काफी कम हो सकता है। क्योंकि गिरने के बाद फसल की बालियां और उसमें बनने वाले दाने नहीं बन पाते। इसलिए, गेहूं में आखिरी पानी की मात्रा सटीक होना चाहिए, न अधिक और न कम।

3. समय से पहले सिंचाई रोक देना
साथियों, कई बार मौसम की विपरीत परिस्थितियों के कारण और मिट्टी के प्रकार के कारण आखिरी सिंचाई के बाद भी बालियां पूरी तरह से पकने से पहले खेत में नमी की कमी हो जाती है, लेकिन किसान फसल में सिंचाई नहीं करते क्योंकि उन्हें इस बात का डर रहता है कि अगर वे आखिरी सिंचाई के बाद पानी देंगे तो फसल गिर जाएगी। इस वजह से वे सिंचाई रोक देते हैं, जो कि एक बड़ी गलती है। अगर आपकी फसल में पानी की कमी हो जाएगी, तो यह दानों की भराई को प्रभावित कर सकता है और दीमक जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए फसल की आवश्यकता को देखकर विशेषज्ञों की सलाह से फसल में सिंचाई आवश्यक करनी चाहिए।

फसल को गिरने से बचाने के उपाय

साथियों, किसान भाई अक्सर चिंता करते हैं कि आखिरी सिंचाई के बाद उनकी फसल गिर न जाए। इसके लिए कुछ खास उपाय हैं जिन्हें ध्यान में रखते हुए आप अपनी फसल को गिरने से बचा सकते हैं। जब आप आखिरी सिंचाई कर रहे हों, तो यह सुनिश्चित करें कि उस समय हवा न चल रही हो। अगर हवा तेज चल रही है, तो पानी देने से मिट्टी में नमी बढ़ सकती है और मिट्टी नरम हो सकती है, जिससे फसल गिर सकती है। इसलिए, सुबह या शाम का समय सबसे अच्छा होता है जब हवा नहीं चलती। इसके अलावा पानी हमेशा धीरे-धीरे और कम मात्रा में दें। ज्यादा पानी देने से बालियां नरम हो सकती हैं और उनका गिरना आसान हो सकता है। इसलिए थोड़ा-थोड़ा पानी देने से मिट्टी में नमी बनी रहती है, जिससे दाने अच्छे से पकते हैं और फसल गिरने का खतरा कम होता है। इसके अतिरिक्त, दीमक की समस्या गेहूं की फसल में काफी आम है, खासकर जब मिट्टी में नमी अधिक हो। आखिरी सिंचाई के बाद अगर आप पानी देंगे तो यह दीमक के प्रकोप को रोकने में मदद करता है, क्योंकि दीमक को पानी की कमी से ज्यादा समस्या होती है। और दीमक फसल की जड़ों को काटकर फसल के गिरने का कारण बन सकता है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के लिए अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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