मात्र 100 रुपये प्रति एकड़ के खर्च में 20 मण बढ़कर 80 मण तक हो जाएगा आपका गेहूं | जानें क्या है ये चमत्कारी टॉनिक
मात्र 100 रुपये प्रति एकड़ के खर्च में 20 मण बढ़कर 80 मण तक हो जाएगा आपका गेहूं | जानें क्या है ये चमत्कारी टॉनिक
किसान भाइयों, गेहूं की फसल जिसे हर साल लाखों किसानों द्वारा उगाया जाता है। इसकी खेती से जुड़े कई पहलू होते हैं, जिनमें बुआई से लेकर फसल की देखभाल और उपज को बढ़ाने तक की प्रक्रिया शामिल होती है। गेहूं की फसल की अच्छी देखभाल न केवल पौधों की सेहत को बनाए रखती है, बल्कि यह उत्पादन में भी वृद्धि करती है। खासकर जब गेहूं की फसल 80-90 दिन की हो जाए, तब इसके पोषण और वृद्धि की देखभाल विशेष रूप से जरूरी हो जाती है। गेहूं की खेती में सही समय पर पोषक तत्वों का उपयोग, सिंचाई की सही मात्रा, रोगों और कीटों का नियंत्रण और फसल की सही देखभाल से उत्पादन को बेहतर बनाया जा सकता है। इसके लिए यह महत्वपूर्ण है कि किसान सही समय पर सही उपायों को अपनाएं ताकि फसल को किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े। किसान साथियों, गेहूं की फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए गेहूं की बुआई से लेकर उसे सही तरीके से बढ़ाने तक कई महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी होती हैं। इसमें बीज की गुणवत्ता, मिट्टी का प्रकार, खाद का सही चयन, पानी की मात्रा और मौसम की स्थिति आदि शामिल हैं। इस रिपोर्ट में हम खासकर उन उपायों पर चर्चा करेंगे, जो गेहूं की फसल को अंतिम चरणों तक सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए जरूरी हैं। यदि इन महत्वपूर्ण समयों में कोई भी गलती होती है, तो यह आपके उत्पादन को प्रभावित कर सकती है। तो चलिए इन सभी प्रमुख कारकों पर विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट के माध्यम से।
सही उर्वरक और पोषण
किसान साथियों, गेहूं की फसल के उत्पादन को बढ़ाने में सही पोषण का बहुत बड़ा हाथ है। जैसे ही गेहूं की फसल 70 से 85 दिन के बीच होती है, उस समय इसे सही पोषण देने की जरूरत होती है। क्योंकि यह समय पौधे के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान फ्लैग लीफ (झंडा पत्ती) और बाली (फूल) का आकार बढ़ता है। यदि इस समय पौधे को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलते, तो उत्पादन पर इसका सीधा असर पड़ता है। और फसल के उत्पादन में गिरावट होने की संभावना बढ़ जाती है।
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फ्लैग लीफ की देखभाल
किसान साथियों, गेहूं की फसल से कुछ गुणवत्ता और गेहूं के उत्पादन बढ़ोतरी में फ्लैग लीफ का बहुत महत्व होता है। क्योंकि यह पत्ती पौधे में भोजन बनाने का काम करती है और बाली में दानों के आकार और वजन को बढ़ाती है। इसलिए इस पत्ती का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है क्योंकि इसका आकार और स्थिति, दानों की गुणवत्ता पर सीधे असर डालती है। इसलिए इसे हरा-भरा और मजबूत बनाए रखने के लिए गेहूं की फसल में फास्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्वों का सही समय पर उपयोग करना चाहिए।
बालियों की देखभाल
किसान साथियों, जब गेहूं की बाली निकलने लगती है, तो यह वक्त बहुत संवेदनशील होता है। क्योंकि इस समय बाली के अंदर दानों की भराई (Grain Filling) का समय आता है और यही समय होता है जब दानों का आकार बढ़ता है। अगर इस समय किसी भी तरह का पोषण कम होता है, तो दानों का आकार छोटा हो सकता है। इसके लिए विशेष रूप से पोटाश की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह दानों के अंदर पानी और पोषक तत्वों के सही संचार को सुनिश्चित करता है।
सिंचाई का सही समय और तरीका
किसान भाइयों, सिंचाई गेहूं की फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। खासकर जब बाली का समय आता है, तब पानी की सही मात्रा फसल की वृद्धि में सहायक होती है। यदि इस चरण में पौधों में पानी की कमी होती है तो दानों का आकार छोटा हो सकता है, जबकि ज्यादा पानी होने से जड़ें सड़ सकती हैं। इसलिए सही समय पर सिंचाई करने के साथ-साथ सिंचाई की सही मात्रा भी बहुत जरूरी है। इसलिए गेहूं की फसल में सिंचाई करने का सही तरीका यह है कि गेहूं की फसल में सिंचाई के लिए बूंद-बूंद सिंचाई या फव्वारा सिंचाई का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे पानी की बचत होती है और अच्छी पैदावार मिलती है।
फसल में कीट और रोगों का नियंत्रण
दोस्तों, जैसे-जैसे गेहूं की फसल परिपक्वता की ओर बढ़ती है, उसमें बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए गेहूं की फसल के बढ़ने के साथ-साथ उसे कीटों और रोगों से भी बचाना होता है। इस अवस्था में रस्ट (Rust) जैसी फंगस जनित बीमारियाँ गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा सकती हैं, खासकर जब फ्लैग लीफ पर येलो रस्ट जैसी बीमारी दिखाई दे। तो ऐसी स्थिति में, तुरंत फंजीसाइड (fungicide) का स्प्रे करना जरूरी होता है। इससे फसल सुरक्षित रहती है और उसका उत्पादन प्रभावित नहीं होता। इसके लिए सही फंगी साइड की बात करें तो आपको KTM (Thiophanate Methyl 70% WP) - 250-600 ग्राम/एकड़ के हिसाब से स्प्रे करना चाहिए या फिर आप Concor (Difenconazole 25% EC) - 120-150 मिली/एकड़ का छिड़काव अपनी फसल में कर सकते हैं।
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पोटाश और फास्फोरस का उपयोग
किसान साथियों, गेहूं की फसल में इन पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने और फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए पोटाश और फास्फोरस गेहूं की फसल के लिए अहम पोषक तत्व हैं। पोटाश का उपयोग खासकर दानों के वजन को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह गेहूं की फसल को स्ट्रेस (stress) से भी बचाता है। इसके अलावा, फास्फोरस बाली के आकार को बढ़ाता है और पौधे की मजबूती में योगदान देता है। इन दोनों तत्वों का सही अनुपात में उपयोग, फसल को बेहतर बनाता है। इन दोनों पोषक तत्वों की सही पूर्ति के लिए एनपीके 05-23-04 का स्प्रे गेहूं की फसल में बालियां निकलने के समय किया जा सकता है, लेकिन इसे सावधानी से इस्तेमाल करें। क्योंकि यह एनपीके फास्फोरस और पोटाश की उच्च मात्रा प्रदान करता है, जो दाने के भराव और बालियों की लंबाई को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इस स्प्रे का उपयोग तब किया जा सकता है जब बालियां बनने वाली हों। यदि आपने अभी तक इसका स्प्रे नहीं किया है, तो यह आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसके उपयोग से दाने का भराव और बालियों की लंबाई में सुधार होता है। इसकी मात्रा के लिए किसान भाई फोलियर स्प्रे के लिए, 5 ग्राम एनपीके को 1 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। या फिर ड्रिप या ट्रेंचिंग के लिए, 3-5 किलोग्राम एनपीके को एक एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। इसके अलावा गेहूं की फसल के बढ़ने के साथ-साथ आपको यह ध्यान रखना होता है कि फसल में किसी प्रकार का कोई पोषक तत्व की कमी या जलवायु संबंधी कोई समस्या तो नहीं आ रही है। यदि इन पहलुओं पर ध्यान दिया जाए, तो निश्चित रूप से गेहूं का उत्पादन बढ़ सकता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।