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गेहूं में बम्पर पैदावार लेने की A टू Z जानकारी | फटाफट देखें

गेहूं में बम्पर पैदावार लेने की A टू Z जानकारी | फटाफट देखें
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किसान साथियों भारत में गेहूं की खेती बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि देश की खाद्य सुरक्षा का एक बड़ा हिस्सा इस पर निर्भर करता है। खासकर पंजाब जैसे राज्यों में गेहूं का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है, जहां उपजाऊ मिट्टी और बेहतर सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हैं। हालांकि, बदलते मौसम और बढ़ती खेती की लागत किसानों के लिए एक चुनौती बन जाती है। वे अक्सर सोचते हैं कि कम खर्च में अधिक उत्पादन कैसे किया जाए। इस लेख में हम गेहूं की खेती के उन सभी चरणों पर चर्चा करेंगे, जो फसल का उत्पादन बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इसमें वैज्ञानिक और कम लागत वाली तकनीकों का जिक्र भी किया जाएगा।

पहला पानी के समय क्या डालना चाहिए
गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए पहला पानी बेहद जरूरी है। किसान अक्सर इसे लेकर उलझन में रहते हैं कि पहला पानी कब देना चाहिए। वैज्ञानिक बताते हैं कि फसल के 20-22 दिन के अंदर ‘क्राउन रूट’ बनने लगते हैं, जो जड़ों का वह हिस्सा होते हैं, जो पौधों को पोषक तत्व देते हैं। अगर इस समय मिट्टी में नमी की कमी हो, तो जड़ों का विकास रुक सकता है। इस समय पानी के साथ पोषक तत्व देना भी जरूरी है। इसके लिए 4-5 दिन पहले एक खास मिश्रण का छिड़काव करें, जिसमें 100 ग्राम लेटेड जिंक, 100 ग्राम लेटेड आयरन, और 500 ग्राम मैग्नीशियम सल्फेट को 100 लीटर पानी में मिलाया जाता है। यह पौधों के लिए वैक्सीनेशन की तरह काम करता है, जो उन्हें बीमारियों और पोषक तत्वों की कमी से बचाता है। साथ ही पानी के साथ 40-45 किलो यूरिया डालना चाहिए, लेकिन डीएपी की मात्रा कम रखें ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे।

खरपतवार और कीटो का कैसे करे नियंत्रण
गेहूं में खरपतवार और कीटों का प्रकोप आम है। सबसे खतरनाक कीट ‘पिंक स्टम बोरर’ होता है, जो फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। इसे नियंत्रित करने के लिए क्लोरोसाइपर 100 एमएल प्रति टैंक पानी में मिलाकर स्प्रे करें। वहीं, खरपतवार जैसे बथुआ, जंगली जई और पालक को हटाने के लिए पहले पानी के बाद खरपतवार नाशक दवाओं का इस्तेमाल करें। 35-40 दिन पर दूसरा पानी दें और 35-40 किलो यूरिया डालें। अगर मिट्टी हल्की है तो यूरिया की मात्रा थोड़ी बढ़ाई जा सकती है।

माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का क्या है महत्व
गेहूं की फसल के लिए केवल यूरिया और डीएपी पर्याप्त नहीं हैं पौधों को अतिरिक्त माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की भी जरूरत होती है। जो 60 से 65 दिन की फसल पर 1 किलो मैंगनीज और 500 ग्राम यूरिया को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाइये। 70-75 दिन के दौरान, जब गाभा बनने लगती है, तब 1 किलो पोटेशियम सल्फेट को 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इससे दाने बड़े और भारी बनते हैं, और उत्पादन बढ़ता है।

मार्च में ऐसे करे गेहूं की देखभाल
साथियो मार्च के महीने में मौसम तेजी से बदलता है। ठंड से गर्मी की ओर बढ़ते मौसम में हल्का पानी देना जरूरी है ताकि फसल को नमी मिल सके। लेकिन पानी ज्यादा न दें, क्योंकि इससे पौधे गिर सकते हैं। संतुलित पोषण देकर इस समस्या से बचा जा सकता है। मार्च में येलो रस्ट जैसी बीमारियां फसल को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसे रोकने के लिए प्रोपकोनाजोल या जोबसिन प्लस डाफ्नाकोनाज का स्प्रे करें। ये दवाइयां बीमारियों को रोकने और फसल को सही समय पर पकाने में मदद करती हैं।

गेहूं की फसल में कम लागत में ज्यादा उत्पादन का कैसे पाए
इन सभी तकनीकों को अपनाकर किसान कम खर्च में अधिक उत्पादन कर सकते हैं। पहला पानी, संतुलित पोषण, खरपतवार और कीट नियंत्रण, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का सही उपयोग और मौसम का प्रबंधन इन सभी उपायों से गेहूं की पैदावार बढ़ाई जा सकती है। महंगे ब्रांड्स के बजाय दवाइयों के घटक (साल्ट) पर ध्यान दें। इससे लागत कम होगी और उत्पादन बेहतर होगा। इन तकनीकों से किसान अपनी मेहनत का पूरा फल पा सकते हैं और अपनी फसल की पैदावार को दोगुना कर सकते हैं।

नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।