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सरसों सेमीनार में क्या क्या हुआ | जाने सरसों के बाजार को लेकर क्या है एक्सपर्ट की राय

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किसान साथियो और व्यापारी भाइयो आगरा में आयोजित 45वें ऑल इंडिया रबी सेमिनार 2025 में कृषि और तेल उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों, व्यापारियों और नीति निर्माताओं ने मौजूदा समस्याओं और संभावित समाधानों पर गहन चर्चा की।

सरसों के दाम एमएसपी से नीचे, किसान परेशान
दिनेश राठौर ने सेमिनार में कहा कि सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹5950 प्रति क्विंटल तय की गई है, लेकिन मंडियों में किसानों को इससे कम दाम मिल रहे हैं, जिससे उन्हें भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि नेशनल ऑयल मिशन में सिर्फ पाम ऑयल नहीं, बल्कि सरसों और सोया को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि देश में तिलहन उत्पादन को स्थायी आधार मिल सके। उनका यह भी मानना था कि गन्ना की तरह सरसों की खरीद और भुगतान की एक मजबूत प्रणाली होनी चाहिए, जिससे किसानों को समय पर और उचित मूल्य मिल सके।  नोट :- अगर आपको धान, चावल, सरसों, सोयाबीन, और चना के लाइव भाव whatsapp पर चाहिए तो आप 500 रुपए दे कर 6 महीनो तक लाइव भाव की सर्विस ले सकते है | जिन्हे लेनी है वही व्हाट्सअप पर मैसेज करे 9518288171 इस नंबर पर खाली भाव पूछने के लिए काल या मैसेज ना करे  |

मिलें संकट में, आयात से बढ़ा दबाव
बाबू लाल डाटा ने अपनी बात में बताया कि देश में तेल मिलों के मार्जिन बेहद कम हो गए हैं। बढ़ते आयात के कारण कई मिलों के सामने बंद होने की नौबत आ गई है। उन्होंने अनुमान जताया कि इस साल देश में सरसों का उत्पादन 100-120 लाख टन तक रह सकता है। फिलहाल भारत 65% खाद्य तेलों की खपत आयात से पूरी करता है, जिसे धीरे-धीरे घटाना जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि डीडीजीएस (DDGS) के कारण ऑयलमील की खपत घटी है, जिससे तेल मिलों की क्रशिंग कम हो गई है। सरकार केवल 15-20% तक ही सरसों की खरीद करती है, जबकि किसानों और मिलर्स के पास अभी भी 5 लाख टन तक का स्टॉक मौजूद है। उन्होंने सुझाव दिया कि DOC (डिओइल्ड केक) के निर्यात पर सरकार को इंसेंटिव देना चाहिए, जिससे ऑयलमील उद्योग को सहारा मिल सके।

GST और पैकिंग की चुनौतियां
सुरेश नागपाल ने DDGS के चलते बनी स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि तेल उद्योग की स्थिति काफी खराब हो चुकी है। उन्होंने मांग की कि तेलों की पैकिंग को स्टैंडर्ड या फिक्स किया जाए, जिससे मार्केट में पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही, तेलों की पैकिंग पर लगने वाले 18% GST का रिफंड जल्द से जल्द दिया जाए, ताकि व्यापारियों और मिलर्स की वित्तीय स्थिति सुधर सके।

सरकार का प्रयास और आत्मनिर्भर भारत
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सेमिनार में बताया कि भारत सरकार दलहन और तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत तिलहन उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए बजट आवंटित किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों और उद्योग को मिलकर कार्य करना होगा, ताकि देश की खाद्य तेल आवश्यकता को स्वदेशी स्रोतों से पूरा किया जा सके। साथ ही उन्होंने भारत के खाद्य तेलों की गुणवत्ता को विश्व में सर्वोत्तम बताया।  नोट :- अगर आपको धान, चावल, सरसों, सोयाबीन, और चना के लाइव भाव whatsapp पर चाहिए तो आप 500 रुपए दे कर 6 महीनो तक लाइव भाव की सर्विस ले सकते है | जिन्हे लेनी है वही व्हाट्सअप पर मैसेज करे 9518288171 इस नंबर पर खाली भाव पूछने के लिए काल या मैसेज ना करे  |

फाइनल वर्ड्स
सेमिनार में यह स्पष्ट हुआ कि सरसों की कीमतों, तेल मिलों की कठिनाइयों, और बढ़ते आयात को लेकर तत्काल और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकारी नीति में सरसों और सोया को प्रमुखता देकर, किसानों और उद्योग दोनों को साथ लेकर स्वदेशी तेल उत्पादन को मजबूती देना वक्त की जरूरत है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।