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लाल सागर के तनाव पर ईरान का क्या है रूख। जाने रिपोर्ट मे

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हौती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन है और ये पश्चिमी देशों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। ईरान की इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) और हिजबुल्लाह इन्हें ट्रेनिंग देते हैं और वो जहाजों के जरिए विभिन्न हथियारों को यहां पहुंचा रहे हैं, जैसे कि ड्रोन्स और बैलिस्टिक मिसाइलें। इसके अलावा, चीन भी इन्हें फैक्ट्री बनाने और हथियारों के पार्ट्स की तस्करी करने में सहायता कर रहा है और कई मामलों में सलाह दे रहा है। ईरान भी पश्चिमी देशों के खिलाफ भारत को एक सहयोगी के रूप में देखता है।                        

भारत-चीन के लिए परेशानी बने समुद्री हमले

समुद्र में हौती विद्रोहियों के हमलों के संबंध में भारत और चीन परेशान हैं और ईरान इस समय मुस्लिम देशों का एक नेतृत्व बनाने का इरादा रख रहा है। हालांकि, ईरान एक शिया समुदाय वाला देश है, जबकि भारत में ज्यादातर सुन्नी समुदाय के लोग निवास करते हैं। यहाँ सुन्नी समुदाय वाले लोगों का वर्चस्व है। लाल सागर और हिंद महासागर में हुताती विद्रोहियों के लगातार हो रहे हमलों से भारत और चीन को चिंता है। ईरान चाहता है कि इस मुद्दे पर भारत और चीन अमेरिका के साथ मिलकर न चले जाएं, और इस बात का संकेत देने के लिए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान का दौरा किया है।

ईरानी राष्ट्रपति रईसी और विदेश मंत्री जयशंकर की मुलाकात

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुस्सैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से मिलकर बातचीत की। इस मीटिंग में, समुद्र में हो रहे जहाजों पर हमलों के मुद्दे पर चर्चा हुई, और जयशंकर ने बताया कि भारत के आसपास इस मुद्दे की वजह से गंभीर चिंता है। उन्होंने कहा कि यह समस्या भारत की ऊर्जा और आर्थिक हितों पर सीधा असर डाल रही है। जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ रहा है, लेकिन तनाव की स्थिति में भी नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। इस सम्मेलन में, समुद्री रास्ते के महत्व पर भी चर्चा हुई, क्योंकि इस से दुनिया भर के शिपिंग यातायात से एक बड़ा हिस्सा लगभग 15% लाभ का प्राप्त होता है।                                       

INSTC प्रोजेक्ट पर चर्चा
हूतियों के हमलों के चलते यूरोप और एशिया के बीच मुख्य व्यापार मार्ग पर समस्याएं आई हैं। इस संदर्भ में, भारत और ईरान ने चाबहार पोर्ट और INSTC कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट पर चर्चा की। चाबहार पोर्ट ईरान के बंदरगाह है और INSTC कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट ईरान से रूस को जोड़ने वाला कॉरिडोर है। इससे व्यापारिक गतिविधियों में सुधार होने की आशा है।
2018 में भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह का समर्थन हुआ था, जो पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से केवल 170 किलोमीटर दूर है। ग्वादर पोर्ट चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का हिस्सा है। 2019 में अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए थे, जिससे यह प्रोजेक्ट प्रभावित हुआ।

चाबहार पोर्ट जोड़ेगा भारत को अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया
इस बार, चाबहार पोर्ट को लेकर भारत और ईरान के बीच सहमति हुई है कि इसे अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से जोड़ा जाएगा। और साथ ही अमेरिका ने ऐलान भी किया कि जो भी देश ईरान से संबंध रखेगा उसे सख्ती से पेश किया जाएगा। इस साथित्य में, भारत को चाबहार पोर्ट के माध्यम से अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया के साथ कनेक्ट करने का एक और मौका मिलेगा। चाबहार पोर्ट का उपयोग भारत के लिए सटीक रूप से गहरी राजनीतिक और आर्थिक महत्वपूर्णता रखता है।
हालांकि, अभी काम कब स्टार्ट होगा, इससे जुड़ी कोई समाचार अभी सामने नहीं आई है। अगर चाबहार बंदरगाह पर काम होता है तो भारत को अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक की कनेक्टिविटी मिल जाएगी।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।