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सोयाबीन की खरीद को लेकर सरकार ने किया बड़ा बदलाव | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

सोयाबीन की खरीद को लेकर सरकार ने किया बड़ा बदलाव | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
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किसान साथियों, कई सालों से भारतीय किसान विभिन्न फसलों की उत्पादकता और कीमतों में असमानता से जूझ रहे हैं। एक ओर जहां मौसम की बेरुखी तो दूसरी ओर फसल की कीमतों में उतार-चढ़ाव उनके लिए चिंता का विषय है। लेकिन अब हालात कुछ बेहतर दिखने लगे हैं। खासकर सोयाबीन किसानों के लिए हाल ही में सरकार की ओर से उठाए गए कदम, उम्मीदों की नई किरण बनकर सामने आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते सोयाबीन का एमएसपी (Minimum Support Price) 6000 रुपए करने का वादा किया है, जो किसानों के लिए एक अच्छी खबर है |

हालांकि, इस वक्त एमएसपी में बढ़ोतरी की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन सरकार के इस वादे ने किसानों के बीच सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगा दी है। इसे एक तरह से चुनावी घोषणा माना जा रहा है, लेकिन इससे सोयाबीन के भाव में संभावित वृद्धि की दिशा में एक नई शुरुआत हो सकती है। कृषि मंत्रालय ने सोयाबीन की खरीद के लिए नमी की मात्रा में बदलाव कर दिया है, जो अब 15% तक हो सकती है। इस बदलाव से यह संभावना जताई जा रही है कि सरकार बड़े पैमाने पर सोयाबीन खरीदने का ऐलान कर सकती है। तो आइए, जानते हैं कि इस फैसले का क्या असर होगा और भविष्य में सोयाबीन की कीमतों में क्या बदलाव देखने को मिल सकता है।

सोयाबीन की कीमतों 

सोयाबीन भारत में एक प्रमुख खरीफ फसल है, और इसका उत्पादन विशेष रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और तेलंगाना जैसे राज्यों में होता है। इस साल सोयाबीन की उपज में कमी की खबरें आ रही हैं, और किसानों को उम्मीद है कि सरकार की ओर से किए गए नए कदम उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा एमएसपी बढ़ाने का वादा और नमी प्रतिशत में बदलाव के कारण कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि सोयाबीन की कीमतों में जल्द ही बढ़ोतरी हो सकती है।

अभी तक, सोयाबीन की सरकारी खरीद महज 39,398 टन ही हो पाई है, जबकि सरकार ने 32.23 लाख टन खरीदने का लक्ष्य रखा था। इसका मुख्य कारण फसल की कम उपज और नमी की समस्या रही है। नए संशोधित दिशा-निर्देशों के तहत, अब किसान 15% तक नमी वाली सोयाबीन को भी सरकारी एजेंसियों को बेच सकते हैं। यह कदम सरकार की तरफ से किसानों की मदद करने का एक बड़ा प्रयास है, जिससे किसानों को उनकी फसल की पूरी कीमत मिल सके|

कृषि मंत्रालय ने सोयाबीन की खरीद मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत 15% तक नमी वाले सोयाबीन की खरीद की अनुमति दी है। इससे पहले, सामान्य तौर पर सोयाबीन की नमी 12% तक सीमित थी, लेकिन इस बार नमी को बढ़ाकर 15% किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को फसल में नमी की समस्या नियाद दिलाना है। मौसम के प्रभाव के कारण, कई बार सोयाबीन में नमी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे उसकी क्वालिटी पर असर पड़ता है।

इस पहल से खासकर उन किसानों को फायदा होगा जिनकी फसल में नमी अधिक है। NAFED (National Agricultural Cooperative Marketing Federation) और NCCF (National Cooperative Consumers Federation) जैसी केंद्रीय एजेंसियां राज्य स्तर की एजेंसियों के साथ मिलकर सोयाबीन की खरीद सुनिश्चित करेंगी। राज्य सरकारें भी इस नीति का पालन करते हुए फसल की नमी के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं का समाधान करेंगी,

खरीदी लक्ष्य और स्टॉकिस्ट

केंद्र सरकार ने सोयाबीन की खरीद के लिए 32.23 लाख टन का लक्ष्य रखा है, लेकिन अब तक खरीदारी का आंकड़ा बहुत कम रहा है। इस स्थिति में सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर खरीदारी , किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए राहत का कारण बन सकती है। व्यापारी और स्टॉकिस्ट बड़ी मात्रा में सोयाबीन खरीदने में जुटे हैं, ताकि इस सब का फायदा उठा सके | इस समय, महाराष्ट्र की कीर्ति प्लांट में सोयाबीन का समर्थन स्तर करीब 4500 रुपए के आसपास है, और आने वाले दिनों मे कीमतों में तेजी आ सकती है

व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, यदि सरकार अपनी खरीदारी के लक्ष्य को पूरा करती है और वायदा कारोबार (Futures Trading) फिर से शुरू करती है, तो सोयाबीन की कीमतें 5000 रुपए और उससे अधिक के स्तर तक जा सकती हैं। वायदा कारोबार पर वर्तमान में प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन दिसंबर में यह प्रतिबंध खत्म होने वाला है, और कई व्यापारियों का मानना है कि सरकार इस कारोबार को फिर से चालू करने के पक्ष मे आती हुई देख रही है

नमी के कारण भंडारण की नई रणनीतियां

अभी 15% नमी वाली सोयाबीन की खरीद को लेकर राज्य और केंद्र सरकारों को भंडारण और संरक्षण के लिए नई रणनीतियां तैयार करनी होंगी। उच्च नमी वाली सोयाबीन को रखने से उसके खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए केंद्र और राज्य एजेंसियों को विशेष भंडारण और प्रबंधन योजनाएं लागू करनी होंगी, ताकि किसानों को अधिक नुकसान ना हो और उनका उत्पाद सुरक्षित रखा जा सके। नमी वाले सोयाबीन के भंडारण में विशेष सावधानियां बरतनी पड़ती हैं, जैसे कि कूलिंग और वेंटिलेशन की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

इस नीति के तहत, सरकार ने एक और महत्वपूर्ण पहल की है, जो किसानों की आय को स्थिर करने के लिए काम करेगी। सरकार की यह कोशिश है कि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिले और वे आर्थिक रूप से मजबूत हों। गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, और राजस्थान जैसे प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों के किसानों को इस नीति से राहत मिल सकती है। हालांकि, फसल के मौसम में उतार-चढ़ाव और मौसम की अनिश्चितता के बावजूद, सरकार की इस पहल से किसानों को मूल्य समर्थन मिलेगा और उन्हें उनका उत्पाद बेचने का अवसर अच्छे मिल सकते है

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।