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सरकार ने बढ़ाया MSP | क्या 15 अगस्त तक दुगुनी हो जाएगी किसानों की आय ? MSP Hike Report

सरकार ने बढ़ाया MSP | क्या इससे हो पायेगी किसानों की आय दोगुनी? MSP Hike Report Hike in MSP: किसान साथियों आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को कहा था कि उन्होंने साल 2022-23 तक किसानों की आय दुगनी करने का सपना देखा है। लेकिन अभी तक के सरकारी प्रयासों को देखकर
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सरकार ने बढ़ाया MSP | क्या 15 अगस्त तक दुगुनी हो जाएगी किसानों की आय ? MSP Hike Report

सरकार ने बढ़ाया MSP | क्या इससे हो पायेगी किसानों की आय दोगुनी? MSP Hike Report

Hike in MSP: किसान साथियों आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को कहा था कि उन्होंने साल 2022-23 तक किसानों की आय दुगनी करने का सपना देखा है। लेकिन अभी तक के सरकारी प्रयासों को देखकर ऐसा लगता नहीं है कि समय रहते यह सपना पूरा हो पाएगा। दोस्तो जैसा कि आप सबको पता है कि सरकार ने बुधवार को खरीफ फसलों के नए MSP जारी किए हैं। जिस हिसाब से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP Hike) को बढ़ाया गया है उससे नहीं लगता कि आय दुगुनी होने वाली है। आईये जानते है ऐसा कहने के पीछे क्या वजह हैं।

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जाहिर सी बात है किसान को फसल को बेचने पर ही आय होती है। सवाल ये उठता है कि अगर किसान को उसकी फसल की लागत को निकालने बाद अच्छा लाभ नहीं मिलेगा तो उसकी आय दोगुनी कैसे होगी। MSP फार्मूले (MSP Formula)  की बात करें तो लागत के उपर कम से कम 50% लाभ की व्यवस्था की गयी है। लेकिन ये फार्मूला सच्चाई से काफी परे नजर आता है।

महंगाई के आंकड़ों पर नजर डालें तो RBI ने महंगाई दर(inflation) को 5.7 से रिवाइज करके 6.7 प्रतिशत कर दिया है। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण फसलों के लागत व्यय में बढ़ोतरी हुई है। जो किसान साथी पट्टे या ठेके पर (किराये की जमीन) खेती करते हैं उनको भली भांति पता है कि हर साल जमीन के किराये(lease) में बड़ी वृद्धि हो रही है। उदाहरण के तौर पर हरियाणा में एक एकड़ जमीन का किराया जो कि 2 साल पहले 30-35 हजार की रेंज में एक साल के लिए खेती करने के लिए मिल जाता था, अब वह 40 हजार से भी ज्यादा बोला जाने लगा है। पंजाब में तो इससे भी ज्यादा किराया देना पड़ता है। ऐसे में किसान को हर साल बढ़े हुए किराये पर ही खेती करने के लिए जमीन मिल पाती है।

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जैसा की आप सबको पता है कि एमएसपी (MSP) यानी कि ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ यह वह भाव है जिस पर सरकारी एजेंसियां आप की फसल को खरीदेंगी। फसल के भाव तय करने के लिए दो पहलुओं पर गौर करना जरूरी है। एक तो यह कि किसान को उसकी फसल का सही दाम मिले ताकि वह अपनी जिंदगी सही से गुजर बसर कर सके। दूसरा यह कि अगर भाव बहुत ज्यादा बढ़ा दिए गए तो खाने पीने की चीजे आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाएंगी। इसलिए MSP को निर्धारित करना एक मुश्किल काम है। लेकिन अमूमन ऐसा देखा गया है सरकारें ज्यादातर आम आदमी का पक्ष लेती हैं और (लागत + 50% लाभ) के अनुपात में MSP नहीं बढ़ाती।

एक पल के लिए मान भी लिया जाए की फसलों के MSP को 50 प्रतिशत लाभ के आधार पर रखा गया है तब भी इसके किर्यान्वयन को लेकर काफी शंकाएं हैं। क्योंकि MSP पर खरीद पुरे साल नहीं होती। और बहुत सारी ऐसी फसलें हैं जिनका MSP निर्धारित ही नहीं है।  ज्यादा दिन पुरानी बात नहीं है जब महारष्ट्र में प्याज को 50 पैसे प्रति किलो में खरीदा जा रहा थाइससे पहले टमाटर के भी सही दाम न मिलने के कारण किसान रोड पर अपनी फसल फेंक कर जा रहे थे, लेकिन आज वही टमाटर बाजार में 80 से 100 रूपए किलो में मिल रहा है।

बहरहाल इस बार सरकार के द्वारा निर्धारित MSP से किसानों को निराशा जरूर हुई होगी। क्योंकि ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि तेल तिलहन की फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए भाव में अच्छी खासी बढ़त देखने को मिलेगी।  लेकिन ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। 14 खरीफ फसलों के नए MSP इस प्रकार से हैं :-

सरकार ने बढ़ाया MSP | क्या 15 अगस्त तक दुगुनी हो जाएगी किसानों की आय ? MSP Hike Report

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किसान साथियो बढ़ती लागत(Farming Costs) के हिसाब को देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि MSP बढ़ाया नहीं गया है ब्लकि घटाया गया है। कुछ फसलें ऐसी है जो एमएसपी से ज्यादा रेट पर बिक रही हैं। सरकार ने ईन फसलों के भाव को कंट्रोल करने के लिए भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। सरसों का हाल आप देख रहे है सरकार ने तेल तिलहन का भाव कम करने के लिए काफी प्रयास किये हैं और काफी हद तक सरकार को सफलता भी मिली है। हालांकि सरकार ने किसानों के हित के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रखी हैं। उनका फायदा भी किसानों को मिल रहा है। लेकिन किसानों का एक बहुत बड़ा वर्ग है जो जानकारी के अभाव में ईन योजनाओं के लाभ से भी वंचित रह जाता है। सरकार को किसानो की आय को दोगुना करने के लिए अभी और प्रयास करने होंगे।

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