चावल उत्पादन की वृद्धि में आइवरी कोस्ट को भारत से सहयोग की अपेक्षा
पश्चिमी अफ्रीका के दक्षिणी समुद्र तटीय देश कोटे डलवाइरे (आइवरी कोस्ट) में हमेशा ही चावल की आपूर्ति और उत्पादन में कमी रहती है । देश को इसी संकट से उबारने के लिए आने वाले कुछ वर्षों में 'राइस सरप्लस कंट्री' यानि कि पर्याप्त चावल वाला देश बनाने का निश्चय किया है। अपने देश में चावल का उत्पादन बढ़ाने और मिलिंग का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु आइवरी कोस्ट ने सहयोग की उम्मीद में भारत की तरफ हाथ बढ़ाया है। आइवरी कोस्ट ने अपने यहां हाल ही में शुरू की गई 'नेशनल राइस स्ट्रेटेजी' में भारत की भागीदारी एवं निवेश का सहयोग मांगा है। देश के राइस रेगुलेटर के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि चावल- उत्पादन और मिलिंग कैपेसिटी बढ़ाने के लिए हमें भारत से निवेश के सहयोग की अपेक्षा है । इस उद्देश्य के लिए भारतीय निवेशक यहां संयुक्त उपक्रम स्थापित कर सकते हैं। भारत से चावल निर्यात करने के वजाय वे आइवरी कोस्ट को आधार के रूप में इस्तेमाल करके अफ्रीकी देशों की मांग की पूर्ति कर सकते हैं। राइस डेवलपमेंट एजेंसी ऑफ कोटे डलवाइरे ( आइवरी कोस्ट) के डायरेक्टर अबूबकर ट्रायर ने बताया कि 5 मिलियन टन धान की मिलिंग के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमने देश के अलग-अलग भागों में 50 मिलें स्थापित करने का निश्चय किया है, जिनमें में से प्रत्येक की क्षमता 25,000 टन होगी। देश में मिलिंग कैपेसिटी बढ़ाने में भारत की एक्सिम बैंक पहले से ही हमारी सहायता कर रही है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें
कृषि एवं पशु संसाधनों पर अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी 'सारा' के बारे में बात करते-करते उन्होंने बताया कि प्रति व्यक्ति लगभग 84 किलोग्राम की खपत के हिसाब से 29 मिलियन जनसंख्या के लिए देश को करीब 1.9 मिलियन चावल की आवश्यकता पड़ेगी। आंकड़े बताते हुए उन्होंने कहा कि हम करीब 1.2 मिलियन टन का उत्पादन करते हैं और शेष जरूरत को पूरा करने के लिए हम भारत, चीन, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों से चावल का आयात करते हैं। कुल आयात का करीब 50 प्रतिशत चावल की आपूर्ति भारत ही करता है। वर्ष 2023 के पहले छ: महीनों में आयात किए गए 6 लाख टन चावल में से भारत ने 3.75 लाख टन का योगदान दिया है। अब क्योंकि भारत ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है और बाद में व्हाइट राइस के निर्यात पर भी रोक लगा दी तथा पारबोइल्ड राइस के निर्यात पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लागू कर दिया है। इस परिस्थिति में हमारा देश चावल की कमी पूरी करने के लिए अन्य चावल निर्यातक देशों की तरफ देख रहा है।
भारत द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने से खुदरा बाजार में चावल की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि कीमतों में 250 फ्रैंक्स (स्थानीय मुद्रा) की वृद्धि होने के बाद अब चावल की कीमतें 800 फ्रैंक्स पर पहुंच गई हैं। अपने देश में खाद्य सुरक्षा की पूर्ति और - खाद्यान्नों की बढ़ती हुई कीमतें नियंत्रण में रखने के लिए भारत द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के कारण विश्व बाजार में चावल की कीमतों में 100 डॉलर प्रति टन की वृद्धि हुई है। देश में चावल की कमी को पूरा करने के लिए कोटे डलवाइरे (आइवरी कोस्ट) ने चावल की खेती को बढ़ावा देने के लिए तथा उससे सम्बंधित गतिविधियों ( बीज विकास तथा फसल की कटाई के बाद प्रबंधन आदि) की योजना बनाने हेतु पांच साल पहले एडीईआरआईजेड का गठन किया था।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।