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क्या आपके धान में अच्छा फुटाव नहीं है? ये रिपोर्ट पौधों से भर देगी आपका खेत

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किसान साथियो धान का अच्छा उत्पादन लेने के लिये आप शुरुआत से आखिर तक हर काम सावधानी से करते हैं। लेकिन इतनी मेहनत के बावजूद  कई बार धान के कल्ले (Paddy Clumps) निकलते समय की बार परेशानियां सामने आती है। तरह तरह के पोषक तत्व डालने के बाद भी धान की पौध में फूटाव नहीं होता और वो सिंगल खड़ी रहती है। साथियो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कल्ले निकलने का समय धान की फसल के लिये ये सबसे जरूरी होता है, इसलिये जरूरी है कि उर्वरक, खाद और सिंचाई के साथ दूसरे प्रबंधन(Crop Management) कार्य ठीक प्रकार करके धान का बेहतर उत्पादन (Rice Production) लिया जाये।
इस लेख में हम आपको धान के कल्ले बढ़ाने की दवा व तकनीकों के बारे में जानकारी देंगे।
धान के कल्ले बढ़ाने के लिए जरूरी तकनीकें एवं उचित पोषण:
साथियो आमतौर पर धान की रोपाई के बाद 20-30 दिन के अंदर कल्ले फूटने शुरू हो जाते हैं। इस समय में फसल को अधिक मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसलिए आपको प्रति एकड़ में 20 किलो नाइट्रोजन और 10 किलो जिंक की मात्रा डालनी चाहिए। धान में अधिक फूटाव के लिये खेत में जाकर पैरों से निराई और गुड़ाई की जा सकती है। इससे मिट्टी पलट जाती है और पौधों को मिट्टी में घुले हुए पोषक तत्व मिल जाते हैं। और पौधे का बढ़िया विकास होता है। यदि मिटटी जांच में ज़िंक की कमी है और आपकी पौध की पत्तिया भूरी होकर सूख रही है और कल्ले नहीं निकल रहे तो 25 kg जिंक सल्फेट हेप्टा हाइड्रेट (21%) या 16 kg जिंक सल्फेट मोनोहाइड्रेट (33%) डालें।
पानी का महत्व
धान की रोपाई के बाद खरपतवार नियन्त्रण के लिए खेत में पानी के स्तर को मेंटेन रखना रखना महत्वपूर्ण है। कई किसान साथी बहुत ज्यादा पानी में रोपण करवा देते हैं। और बरसात होने पर और ज्यादा पानी भर जाता है। इससे पौधे पानी में डूब जाते हैं और खत्म हो जाते हैं। खेत में अधिक पानी होने पर फूटाव ढंग से नहीं होता है। अधिक फूटा के लिए रोपण के 10-15 दिनों के बाद ही खेत में पाटा लगाना शुरू करें। पौधों के टूटने की चिंता बिल्कुल ना करें। पाटा लगाने से पौधे में छोटी व हल्की जड़ें तेजी से विकसित होती हैं। इसके अलावा पाटे को उल्टी दिशा में लगाने से सुंडी कीड़े और रोगों का नाश भी होता है।
अधिक फूटाव के लिए करें पाटे का प्रयोग
बासमती धान के खेतों में अधिक फुटाव के लिए किसान भाई विभिन्न दवाओं का उपयोग करते है जबकि अधिक फुटाव के लिए सरकारी संस्थाओं द्वारा किसी भी रसायन की सिफारिश नहीं की गई है। खेत में अधिक फुटाव (अधिक कल्ले निकलना) के लिए आसान तकनीक बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान द्वारा विकसित की गई है जिसमें खेत में धान की रोपाई करने के बाद 15-25 दिन होने पर एक हल्का पाटा या सीधी लकडी का लटठा (जिसका वजन लगभग 12-18 किलो तक हो व लम्बाई लगभग 2 से 3 मीटर के बीच हो) को खेत में पानी भरकर एक अथवा दो बार रस्सी की सहायता से चलाया जा सकता हैं।

90 से 95 दिनों वाली वैरायटी यूरिया खाद की मात्रा कितनी होनी चाहिए
पहली डोज में 8 से 15 दिनों में खाद की मात्रा 35 किलोग्राम प्रति एकड़। दूसरी खुराक 20 से 22 दिनों में खाद की मात्रा 45 किलोग्राम प्रति एकड़ तथा तीसरी खुराक 30 से 35 दिनों में खाद की मात्रा 45 क प्रति एकड़ होनी चाहिए। कीड़े और रोगों का नाश करने के लिए धान के खेत में 2-4D का इस्तेमाल करके खरपतवार से छुटकारा पाया जा सकता है। धान की रोपाई के बाद 3-4 दिन बाद पेन्डीमिथालीन 30 ई.सी 3.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से दें। इस दवा को 800-900 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करें। यह दवा फसल की गुड़ाई का काम करती है और धान के कल्ले बढ़ाने में मदद करती है।

किसान ने किया एक्सपेरिमेंट
झज्जर के एक किसान दिनेश कुमार ने मंडी भाव टुडे के साथ जानकारी साझा की है। इन्होंने बताया है कि उन्होंने अपने कम फूटाव वाले खेत में DAP 50 किलो, यूरिया 25 किलो, 3 kg फोरेट की दवा (3 पैकेट), जिंक 3 kg, और 17 kg पोटाश डाला है। इस डोज का परिणाम 1 हफ्ते में आने की उम्मीद है। एक हफ्ते बाद ही इसका अच्छा या बुरा परिणाम आपके साथ साझा किया जाएगा।

Disclaimer: दी गई जानकारी सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और किसानों के अनुभव से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। मंडी भाव टुडे किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट(Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।