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जोरदार उत्पादन के बावजूद सोयाबीन के किसानों की नहीं निकल रही लागत | जाने कौन डाल रहा अड़ंगा

जोरदार उत्पादन के बावजूद सोयाबीन के किसानों की नहीं निकल रही लागत | जाने कौन डाल रहा अड़ंगा
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किसान साथियों महाराष्ट्र, जो सोयाबीन उत्पादन में अग्रणी राज्य है, वहां के किसानों को इस समय कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है, और इसका मुख्य कारण सोयाबीन के दाम का एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से नीचे रहना है। भले ही केंद्र सरकार ने इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर तेल की कीमतें बढ़ाने की कोशिश की हो, लेकिन सोयाबीन के दाम में कोई खास सुधार नहीं हुआ है।

20% इम्पोर्ट ड्यूटी का असर

कई उद्योगपतियों ने मिलकर भारत सरकार पर दबाव डाला था ताकि सोयाबीन से इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जाए। इस दबाव को समझते हुए, मोदी सरकार ने 20% इम्पोर्ट ड्यूटी लगा दी। इसका मुख्य उद्देश्य तेल के दामों में वृद्धि करना था, क्योंकि जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो सोयाबीन का मूल्य भी ऊपर जा सकता है। हालांकि, इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ने के बाद तेल की कीमतें बढ़ी, लेकिन सोयाबीन के दाम में कोई विशेष वृद्धि नहीं देखी गई। इस समय सोयाबीन का दाम एमएसपी (4892 रुपये) से लगभग 900 रुपये कम यानी 4000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है।

सोयाबीन में अधिक मॉइश्चर की समस्या

दोस्तों एक और बड़ी समस्या यह है कि नाफेड द्वारा खरीदी के लिए जो नियम बनाए गए हैं, उनके तहत सोयाबीन में केवल 12% मॉइश्चर होना चाहिए। लेकिन इस वर्ष, बारिश के कारण सोयाबीन में 14% से ज्यादा मॉइश्चर आ रहा है। जब किसान अपना सोयाबीन लेकर नाफेड के सेंटर पर जाते हैं, तो अगर उनका सोयाबीन 14% मॉइश्चर वाला होता है, तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है। यह स्थिति किसानों के लिए बहुत कठिन है, क्योंकि जब उनका माल रिजेक्ट हो जाता है, तो वो बाजार में भेजा जाता है, जहां व्यापारी उसे सस्ते दामों पर खरीद लेते हैं। मंडी विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि इस साल बारिश की अधिकता के कारण 20 से 25% सोयाबीन खराब हो गया है और इसकी गुणवत्ता भी खराब है।

इस समस्या को लेकर कई बार सरकार से निवेदन किया है। उन्होंने नाफेड के एमडी, शिवराज सिंह और पीयूष गोयल से भी इस मुद्दे पर बातचीत की है। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने अमित शाह जी से भी इस मुद्दे को उठाया है। उनका मानना है कि सरकार को इस समस्या का समाधान निकालना होगा, खासकर सोयाबीन में अधिक मॉइश्चर वाली समस्या के लिए।

मक्का, चावल और इथेनॉल से जुड़ी नई संभावना

एक और महत्वपूर्ण पहलू जिसे पाशा पटेल ने उठाया, वह यह है कि सरकार ने मक्का और चावल से इथेनॉल बनाने की अनुमति दी है। इसके कारण, बाजार में 20 लाख मेट्रिक टन मक्का और चावल का डीडीजीएस (डी ऑयल केक) आया है। पाशा पटेल ने बताया कि सोयाबीन का DOC (डी ऑयल केक) 42 रुपये प्रति किलो बिकता है, जबकि मक्का और चावल का DOC बहुत सस्ता है (मक्का का 14 रुपये और चावल का 24 रुपये प्रति किलो)। इससे सोयाबीन किसानों को नुकसान हो रहा है क्योंकि इसका मूल्य दूसरे खाद्य उत्पादों से काफी ऊपर है।

सोयाबीन के दाम बढ़ाने के उपाय

सरकार से यह भी अपील की कि अगर किसानों को जल्द राहत चाहिए, तो सोयाबीन की खरीदी में मॉइश्चर की सीमा को बढ़ाना होगा। साथ ही, सोयाबीन के DOC(डी ऑयल केक) को एक्सपोर्ट इंसेंटिव दिए जाने की आवश्यकता है। इसके बिना, सोयाबीन के दामों में कोई विशेष वृद्धि होना मुश्किल है। उनका कहना है कि यदि इन कदमों को तुरंत लागू किया जाता है, तो किसानों को राहत मिल सकती है। अगर सरकार तत्काल कदम नहीं उठाती, तो किसानों को और भी अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। और लागत निकालने के लाले पड़ सकते हैं

सोयाबीन के उत्पादन और बाजार की क्या है स्थिति

सोयाबीन उत्पादन में बढ़ोतरी

इस साल सोयाबीन के घरेलू उत्पादन में बीते वर्ष की तुलना में 3 से 5 लाख टन की वृद्धि होने का अनुमान लगाया जा रहा  है। गौरतलब है आने वाले दिनों मे सोयाबीन की उपलब्धता में सुधार हो सकता है।कुछ  रिपोर्ट के अनुसार  भारत सरकार ने खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क को 20% तक बढ़ा दिया है, जबकि वैश्विक बाजार में सोयाबीन तेल की कीमतें भी ऊंचाई पर हैं।

अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सोयाबीन तेल के आयात में बढ़ोतरी हो सकती है है। यूएसडीए ने अनुमान जताया है कि 2024-2025 के मार्केटिंग सीजन (नवंबर 2024 से अक्टूबर 2025) के दौरान भारत का सोयाबीन तेल आयात 36 लाख टन तक पहुंच सकता है, जो 2023-2024 के सीजन में 32 लाख टन था।

2024-2025 सीजन में सोयाबीन तेल का स्टॉक

यूएसडीए की नवंबर रिपोर्ट के अनुसार, 2024-2025 के सीजन की शुरुआत में भारत में 5.40 लाख टन सोयाबीन तेल का पिछला स्टॉक उपलब्ध था। इस सीजन के दौरान देश में लगभग 19.80 लाख टन सोयाबीन तेल का घरेलू उत्पादन और 36 लाख टन आयात किया जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप सोयाबीन तेल की कुल उपलब्धता 61 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है।

घरेलू और निर्यात का अनुमान

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2024-2025 के दौरान सोयाबीन तेल का घरेलू उपयोग लगभग 57.8 लाख टन होने का अंदाजा लगाया जा रहा है, जबकि 20,000 टन सोयाबीन तेल का निर्यात किया जा सकता है। इस अनुमान के आधार पर, मार्केटिंग सीजन के अंत में देश में 2.80 लाख टन सोयाबीन तेल का अधिशेष स्टॉक शेष रह सकता है।

2023-2024 के आंकड़े

यूएसडीए के अनुसार, 2023-2024 के सीजन की शुरुआत में भारत में 6 लाख टन सोयाबीन तेल का स्टॉक था। सीजन के दौरान 20.30 लाख टन सोयाबीन तेल का घरेलू उत्पादन और 32 लाख टन का आयात हुआ। इसमें से 52.80 लाख टन का घरेलू उपयोग हुआ और 20,000 टन का निर्यात किया गया, जिससे सीजन के अंत में 5.40 लाख टन का स्टॉक बच गया।

सोयाबीन उत्पादन में वृद्धि 

दोस्तों सरकार का अनुमान है कि इस वर्ष सोयाबीन का घरेलू उत्पादन 3 लाख टन बढ़कर 13.26 लाख टन पर पहुंच सकता है। इस वृद्धि से सोयाबीन की क्रशिंग के लिए इसकी उपलब्धता में इजाफा होगा, जिससे घरेलू बाजार में सोयाबीन तेल की आपूर्ति बेहतर हो सकती है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।