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घटती आवक के चलते सरसों में गिरावट रुकी | देखें आज की तेजी मंदी रिपोर्ट

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घटती आवक के चलते सरसों में गिरावट रुकी | देखें आज की तेजी मंदी रिपोर्ट
किसान साथियो सरसों का भाव नीचे जाते जाते अब काफी नीचे जा चुका है। इस स्तर पर अब बिकवाल नहीं मिल रहे हैं इसलिए गिरावट का दौर कुछ समय के लिए थम सा गया है। यही वज़ह है कि शनिवार को जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 6725 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए हालांकि शाम के सत्र में भाव में हल्का सुधार देखने को मिला था । सलोनी प्लांट का भाव भी शनिवार को शाम के सत्र में 50 रुपए तेज होकर 7200 रुपए पर बंद हुआ। इस दौरान सरसों की दैनिक आवक घटकर 2 लाख बोरियों की ही हुई । WhatsApp पर भाव पाने के लिए ग्रुप join करे

ताजा मार्केट अपडेट  
व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में नीचे दाम पर सरसों में बिकवाली कम होने से जहां सुबह के सत्र में स्थिर थे, वहीं शाम को उत्पादक मंडियों में इसके दाम 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर बोले गए। ब्रांडेड तेल कंपनियों ने भी शाम के सत्र में सरसों की खरीद कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ोतरी की। बासमती धान के ताजा भाव | Basmati Paddy Rate Today 04 December 2022

हाजिर मंडियों की अपडेट
हाजिर मंडियों में सरसों के भाव की बात करें तो राजस्थान की सूरतगढ़ मंडी में सरसों का रेट 5897, जैतसर में सरसों का भाव 5421 से 6035, श्री विजयनगर मंडी में सरसों का रेट 5571 से 6238, श्री गंगानगर में सरसों का प्राइस 5500 से 6181, गोलूवाला में सरसों का भाव 5371 से 6200, श्री करणपुर सरसों रेट 5500 से 5727, सादुलशहर में सरसों 5476 से 5935, रायसिंहनगर मंडी में सरसों का प्राइस 5400 से 6175, पीलीबंगा    में सरसों का भाव 5682 से 5790, रावतसर में सरसों का भाव 5500 से 6000, अनूपगढ़ में सरसों का रेट 5400 से 6119, घड़साना में सरसों का भाव 5470 से 6200, रावला में सरसों का रेट 5450 से 5830, पदमपुर में सरसों का रेट 6000 से 6250 और देवली    में सरसों का टॉप भाव 5000 से 6300 रुपये प्रति क्विंटल तक रहा। हरियाणा की मंडियों की बात करें तो ऐलनाबाद मंडी में सरसों का रेट 5421 से 6124, आदमपुर मंडी में का रेट 6061 से 6149 और सिरसा मंडी में सरसों भाव 5400 से 6026 के बीच रहा। ये भी पढे :- देखें आज के सरसों के लाइव रेट Sarso Live Rate Today 03 Dec 2022

क्या कहते हैं जानकार
किसान साथियो जयपुर की मरुधर एजेन्सी की रिपोर्ट के अनुसार किसानों और व्यापरियों के पास अब 17 लाख टन सरसों का स्टॉक बचा हुआ है।इसमें 13 लाख के आसपास किसानों तथा 4 लाख टन के आसपास मिलर्स और स्टॉकिस्टों के पास है। नयी सरसों आने में अभी काम से कम ढाई से तीन महीने  का समय और लग सकता है। ऐसे में इतने स्टॉक को कोई बहुत ज्यादा स्टॉक भी नहीं कहा जा सकता। जहां तक नयी सरसों की बुवाई की बात है बुवाई के आंकड़ों को बढ़ा चढ़ा कर बताया जा रहा है। मंडी भाव टुडे का मानना है कि सरसों की बुवाई 5-7% तक ही बढ़ी है। और जिस तरह से मौसम अना हुआ है ऐसा नहीं लगता कि उत्पादन में कोई बहुत बड़ी वृद्धि होने वाली है। दिसंबर का पहला हफ्ता खत्म होने वाला है और तापमान में अभी तक कुछ खास गिरावट देखने को नहीं मिली है। ज्यादा तापमान रहने के कारण सरसों को नुकसान भी हो सकता है। ओवर ऑल माहौल को देखा जाए तो ऐसा नहीं लगता कि यहां से आगे सरसों में कोई बड़ी गिरावट आएगी। वैसे भी सरसों पिछले 15 दिन मे अपने टॉप भाव से 500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहले ही टूट चुकी है। ऐसे में कोई बड़ी गिरावट की बात वाजिब नहीं लगती। ये भी पढे :- बड़ी गिरावट के बाद शाम को सरसों में सुधार देखें आज की तेजी मंदी रिपोर्ट

चीन से क्या है अपडेट
विदेशी खबरों की बात करें तो व्यापारियों की नजर फ़िलहाल चीन की मांग पर लगी हुई है, क्योंकि चीन में कोरोना के मामलें बढ़ रहे हैं। कोरोना के चलते वहाँ की आयात मांग में कमी का डर लगातार बना हुआ है इसलिए घरेलू बाजार में अभी तेल तिलहन भाव में बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

घरेलू खाद्य तेल बाजार की बात करें तो जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर के भाव शनिवार को 10-10 रुपये कमजोर होकर क्रमशः 1352 रुपये और 1342 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। सरसों खल की कीमतें 2575 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बनी रही। देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक शनिवार को घटकर 2 लाख बोरियों की ही हुई, जबकि शुक्रवार को इसकी आवक 2.40 लाख बोरियों की हुई थी। देखें आज के HR, UP, MP, RJ के सरसों, गेहू, नरमा, कपास, ग्वार, मुग, मोठ, अरंडी,मुंगफली, जीरा, इसबसोल भाव 03 Dec 2022

तेजी की कितनी उम्मीद
घटती आवक और स्टॉक रिपोर्ट को देखते हुए ऐसे में अब उम्मीद है कि सोमवार आज सरसों के भाव में थोड़ी तेजी बन सकती है। हालांकि जानकारों  का मानना है कि घरेलू बाजार में सरसों एवं इसके तेल की कीमतों में तेजी-मंदी काफी हद तक विश्व बाजार में खाद्य तेलों के भाव पर ही निर्भर करेगी। क्योंकि सरसों का अंततः तेल ही बनना है और अगर विदेशी तेल भारतीय तेलों से सस्ते रहेंगे तो घरेलू फंडामेंटल चाहे जितने मजबूत हों इनमे तेजी बनना मुश्किल है।