बासमती के बाजार मे क्या हो सकती है हलचल | रेट बढ़ेगे या गिरेगे
दोस्तों, अगर आप पिछले कुछ हफ्तों से चावल मंडी या राइस मिल सेक्टर से जुड़े हैं, तो आपने ज़रूर नोट किया होगा कि बाजार में अचानक से एक तेजी की लहर दौड़ गई है और वो भी बारीक चावल, यानी बासमती से लेकर RH-10 और 1401 तक, हर किस्म में। किसान भी हैरान हैं, मिलर्स भी और व्यापारी तो रोज़ बदलते भावों में उलझे हुए हैं। जहां एक तरफ धान की आवक कम हो रही है, दूसरी तरफ एक्सपोर्टर्स की खरीद बढ़ती जा रही है, ऊपर से पाकिस्तान में लोडिंग-अनलोडिंग जैसी बुनियादी सुविधाएं ठप हो गई हैं। जिसके चलते इन तमाम कारणों ने भारत के चावल बाजार को एक नई दिशा दे दी है। आज की इस रिपोर्ट में हम समझेंगे कि आखिर क्या हो रहा है धान से लेकर दाने तक, और आने वाले हफ्तों में ये तेजी कब तक टिकेगी। तो चलिए इस विस्तार से समझने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
धान की कमी से परेशान मिलर्स
सबसे पहले बात करते हैं धान की उपलब्धता की। इस समय उत्तर भारत के बड़े चावल उत्पादन वाले राज्य, जैसे हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश, वहां की राइस मिलों में धान की आवक केवल 10% रह गई है। यानी जो ट्रक पहले रोज़ाना 100 लाते थे, अब केवल 10 आ रहे हैं। और जब मिलर्स को कच्चा माल नहीं मिलेगा, तो तैयार चावल भी महंगा होगा—यही हो रहा है आज। जैसे ही सप्लाई घटती है, बाजार में घबराहट की खरीदारी शुरू हो जाती है। व्यापारी सोचते हैं कि कहीं और न चढ़ जाए, अभी ले लो। मिलर्स सोचते हैं कि अगर स्टॉक नहीं भरा तो एक्सपोर्ट की डील नहीं हो पाएगी। इस माहौल में भाव तेज़ होना तय है।
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चावल के भाव
दोस्तों, 1718 सेला चावल के रेट इस हफ्ते 6600 से 6700 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए। स्टीम क्वालिटी की बात करें तो वो 7200/7300 रुपए प्रति क्विंटल में बिक रही है। यही हाल 1401 और 1509 का है। दोनों के रेट करीब 200/250 रुपए प्रति क्विंटल तक ऊपर चले गए। अब बात करें उस चावल की जिसकी ओर कोई देखता तक नहीं था—RH-10। ये आम तौर पर लो-क्वालिटी माना जाता है और इसका रेट दो महीने पहले तक 4000/4200 रुपए प्रति क्विंटल ही था। लेकिन अब यही RH-10 5200/5300 रुपए प्रति क्विंटल पर बिक रहा है।
क्या कारण है
दरअसल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के तराई इलाकों में इस बार साठी धान की बुआई करीब 40% कम रही है। यानी जहां पहले 100 एकड़ में फसल होती थी, वहां अब सिर्फ़ 60 एकड़ में ही बुआई हुई। इसका मतलब साफ है—आने वाले महीनों में नया धान बाजार में कम आएगा, तो व्यापारी अभी ही पुराने स्टॉक को संभालने में लगे हैं। और जब बाजार को ये लगने लगता है कि आगे माल कम होगा, तब भाव बिना सोचे-समझे ऊपर भागते हैं।
पाकिस्तान की हालत ने बढ़ाई भारत की चमक
अब एक नजर डालते हैं अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर। भारत का सबसे बड़ा चावल निर्यात का प्रतिद्वंद्वी है, पाकिस्तान। लेकिन इस समय पाकिस्तान खुद तंगी और अफरातफरी में है। वहां न सिर्फ़ सस्ता चावल बाजार से लगभग गायब हो गया है, बल्कि पोर्ट पर लोडिंग-अनलोडिंग की व्यवस्थाएं भी पूरी तरह अस्थिर हैं। इस स्थिति में मिडिल ईस्ट, अफ्रीका और यूरोप जैसे आयातक देशों के सामने एक ही विकल्प बचा—भारत से चावल मंगवाना। जैसे ही ये मांग बढ़ी, भारत में एक्सपोर्टर हर क्वालिटी के चावल के लिए होड़ करने लगे। अब एक्सपोर्टर जब बाजार में उतरते हैं, तो वो क्वालिटी नहीं, कॉन्ट्रैक्ट पूरा करने पर ध्यान देते हैं—भाव चढ़ते हैं, फिर भी लेते हैं। इसका सीधा फायदा हुआ भारतीय किसानों और मिलर्स को। लेकिन इससे घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ गई।
स्टॉक कम, डिमांड ज्यादा
दोस्तों, एक बात तो साफ है कि बासमती की ज्यादातर किस्मों का पुराना स्टॉक अब खत्म होने के कगार पर है। रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च तक लगभग 70% माल निकल चुका था, यानी अब जो कुछ भी बचा है वो एक्सपोर्ट लेवल पर बिक रहा है। वहीं घरेलू बाजार में भी शादी-ब्याह, आयोजनों और गर्मी में चावल की खपत आमतौर पर बढ़ जाती है। ऐसे में अगर आप व्यापारी हैं तो ये वक्त सोच-समझकर स्टॉक निकालने का है। ज्यादा लालच करेंगे तो अगले महीने जब नया धान आना शुरू हो जाएगा, तब भाव गिरने की भी आशंका है। इसलिए सलाह यही दी जा रही है कि जैसे-जैसे भाव ऊपर जाएं, वैसे-वैसे थोड़ा-थोड़ा स्टॉक निकालें। अगर सब एक साथ बेच देंगे, तो अगला फायदा छूट सकता है, और अगर कुछ भी नहीं बेचेंगे तो गिरावट में फंसने का डर रहेगा।
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क्या आने वाले हफ्तों में तेजी और चढ़ेगी
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार चावल के दामों में और भी तेजी आने की उम्मीद बताई जा रही है क्योंकि अब जब बाजार को पता है कि नया धान जल्दी नहीं आने वाला, और पाकिस्तान से भी कोई राहत नहीं है, तो यह तेजी कम से कम जून के मध्य तक बनी रह सकती है। लेकिन जैसे ही साठा धान की आवक शुरू होगी, बाजार थोड़ा ठंडा हो सकता है। इस बीच, एक्सपोर्ट ऑर्डर अगर और बढ़ते हैं, तो हो सकता है 1401, 1718 और 1121 जैसी प्रीमियम क्वालिटीज में और तेजी देखने को मिले। इसलिए फिलहाल चावल का बाजार पूरी तरह रफ्तार पर है, लेकिन इस बाजार में जो भी खिलाड़ी है, वो सोच-समझकर ही कदम रखे। जल्दबाज़ी नुकसान भी करवा सकती है, लेकिन सूझबूझ बढ़िया मुनाफा भी दिला सकती है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।