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बासमती में आयी तेजी से सावधान रहने की जरूरत | जानिए आगे कैसा रह सकता है बाजार

बासमती में आयी तेजी से सावधान रहने की जरूरत | जानिए आगे कैसा रह सकता है बाजार
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किसान साथियो पिछले 8-10 दिन से बासमती के बाजार में रौनक छाई हुई है। इस अवधि में धान के भाव लगभग 300 रुपये प्रति क्विंटल तक उछल चुके हैं। हालांकि भाव अभी भी सीज़न के टॉप भाव से काफी दूर हैं। अभी भी ऐसे हमारे काफी किसान साथी हैं जिनके पास धान का स्टॉक फंसा हुआ है। वे चाह कर भी कम भाव में बेचना नहीं चाहते। तो दोस्तों ऐसी स्थिति में हम आपको धान के बाजार की हर हलचल की अपडेट देना चाहते हैं ताकि आप इस समय धान को रोकने या बेचने का सही निर्णय ले सके। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

दोस्तो बासमती का बाजार अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। तो बाजार की दिशा दशा जानने के लिए अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य से रूबरू होना जरूरी है। दोस्तो इजराइल हमास के युद्ध को शुरू हुए अब काफी लंबा अरसा हो गया है इस युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर बहुत सी समस्याएं आकर खड़ी हो गई हैं, उन सभी समस्याओं में से यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर होने वाले हमले भी शामिल हैं इन हमलों के कारण सभी देशों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, इस समस्या के कारण भारत द्वारा पूरे विश्व भर में निर्यात किए जाने वाले बासमती चावलों के निर्यात पर भी भारी असर देखने को मिला है।

यमन के हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में रास्ता तय करने वाले मालवाहक जहाजों पर किए जाने वाले हमलों के कारण मालवाहक जहाजों को एक देश से दूसरे देश तक पहुंचने में अधिक समय तो लग रहा ही है साथ ही माल को ले जाने में भी शुल्क/भाड़े की वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है। भाड़ा और बीमा बढ़ने के कारण बासमती चावल निर्यातकों का व्यापार पड़ते से बाहर हो रहा है। यही बड़ी वज़ह है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बासमती की अच्छी डिमांड होने के बावजूद भाव अपने उच्चतम स्तर से 500-800 रुपये तक नीचे चल रहे हैं।

लाल सागर का रास्ता क्यों है इतना जरूरी
आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि पूरे विश्व भर में मालवाहक जहाजों के लिए लाल सागर मार्ग सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है यह मार्ग एशिया व यूरोप-अमेरिका को कम कीमत और कम समय में जोड़ने वाला एकमात्र समुद्री लिंक है, इसके विपरीत मालवाहक जहाजों को अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर लगाना पड़ता है जिसके कारण कीमत और समय में भारी बढ़ोतरी हो जाती है। लाल सागर मार्ग का इस्तेमाल स्वेज नहर में प्रवेश करने और उससे बाहर निकालने के लिए किया जाता है अगर हम इस मार्ग का इस्तेमाल न करें तो वैश्विक स्तर बहुत सी खाद्य सामग्रियों की समस्या पैदा हो जाएगी क्योंकि लाल सागर एकमात्र ऐसा मार्ग है जिसके कारण कम समय व कम कीमत में कोई देश अपने उत्पाद को दूसरे देशों तक उपलब्ध करा सकता है।

क्या बासमती चावल निर्यातकों की मुश्किलें घटी हैं
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया के मुताबिक हरियाणा से लगभग 80 फीसदी चावल का निर्यात मध्य पूर्व में किया जाता है वहीं बाकी बचे हुए चावल का निर्यात बाकी यूरोपीय देशों और अमेरिका में किया जाता है। भारत दूसरे देशों को भारी मात्रा में बासमती चावलों का निर्यात करता है, हूती विद्रोहियों द्वारा मालवाहक जहाजों पर हमले के कारण बासमती चावल निर्यातकों को इस समय बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। फ़िलहाल खाड़ी देशों जैसे ईरान, इराक, सऊदी अरब, UAE के लिए माल निकल रहे हैं लेकिन भाड़े बढ़ने के कारण अभी भी बड़ी तेजी की गुंजाईश कम लग रही है।

चावल निर्यात में पहले पायदान पर हरियाणा
विजय सेठिया द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार हरियाणा के चावल निर्यातक व्यापारी लगभग 140 देश में अपने उत्पाद को भेजते हैं। हम मानते हैं कि ज्यादातर माल लाल सागर के उस तरफ नहीं जाता है फिर भी 10% के आसपास का माल तो जाता ही है। अगर बासमती चावल के निर्यात के बारे में बात की जाए तो पिछले साल भारत के चावल निर्यातक व्यापारियों ने लगभग 45 लाख टन चावल का निर्यात किया था जिसकी कीमत 38500 करोड़ रूपए है, हूती विद्रोहियों द्वारा भारत के मालवाहक जहाजों पर किए जाने वाले हमलों का संज्ञान लेते हुए भारत सरकार ने भारतीय नौसेना की कुछ टुकड़ियों को लाल सागर में भेज दिया है जिससे हालातो में सुधार आने की संभावना बढ़ी है,

अफ्रीका के रास्ते गुजरने के कारण शिपमेंट में देरी होने के साथ-साथ माल को भेजने का किराया भी आसमान छू रहा है जिस कंटेनर को भेजने का किराया कुछ समय पहले 2000 से 2500 डॉलर लगता था आज वही किराया बढ़कर 5500 से 6000 डॉलर हो गया है, जिसकी वजह से हमारे यहां के बासमती चावल निर्यातकों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, गौरतलब है कि इस समस्या का अभी तक कोई भी ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। देखे आज एमपी यूपी के अनाज के लाइव मंडी रेट 21 मार्च 2024


जहाजों को क्यों बनाया जा रहा है निशान
हूती विद्रोहियों द्वारा लगातार मालवाहक वाहनों को निशाना बनाया जा रहा है, इस स्थिति का मुख्य कारण इजराइल हमास का युद्ध है, इजराइल हमास युद्ध के कारण ही हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में मालवाहक जहाजों को निशाना बनाया जा रहा है जिसकी वजह से एक वैश्विक संकट पैदा हो गया है, हूती एक विद्रोही समूह है जिसका नियंत्रण यमन के अधिकांश उत्तरी भाग पर है, हूती समूह के लोग शिया इस्लाम के जायदी संप्रदाय का पालन करते हैं, हूती विद्रोही समूह को कथित तौर पर ईरान द्वारा समर्थन दिया जा रहा है, भारत, अमेरिका सहित बहुत से यूरोपीय देश हूती विद्रोहियों की समस्या का समाधान करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं और जल्द ही इन सभी देशों द्वारा इस समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा,

बासमती को और रोके या नहीं
किसान साथियों अगले कुछ ही दिनों में उत्तर भारत की मंडियों में गेहूं की फसल की जबरदस्त शुरू हो जाएगी। कुछ समय के लिए व्यापारियों का बासमती की खरीद की तरफ ध्यान कम हो सकता है। हालांकि इस समय बासमती मिलों की डिमांड निकल रही है लेकिन आने वाले कुछ दिनों में इस में रुकावट देखने को मिल सकती है। बासमती के भाव में अगला उछाल आने में समय लग सकता है। इजरायल और हमास की लड़ाई का भी अभी तक कोई समझौता नहीं निकल पाया है। ऐसी परिस्थिति में मंडी भाव टुडे का मानना है कि भले ही बाजार में कमजोरी ना आए लेकिन फिर से सीज़न के टॉप भाव मिलते नजर नहीं आ रहे। इसलिए माल निकालते रहने की सलाह दी जाती है। बाकी व्यापार अपने विवेक से करें

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।