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विदेशों को चावल निर्यात के प्रतिबंधों में राहत दे सकती है सरकार | जाने पूरी डिटेल्स इस रिपोर्ट में

विदेशों को चावल निर्यात के प्रतिबंधों में राहत दे सकती है सरकार | जाने पूरी डिटेल्स इस रिपोर्ट में
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किसान साथियो भारत सरकार गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंधों को हटाने पर विचार कर रही है। यह जानकारी एक सरकारी अधिकारी द्वारा दी गई है। इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण देश में चावल के भंडार में लगातार वृद्धि होना और आने वाले सप्ताह में नई धान की फसल की कटाई शुरू होना है। भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक देशों में से एक है और इस समय देश में चावल का उत्पादन मांग से अधिक है। यह कदम हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले लिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने इस महीने कृषि क्षेत्र के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और यह निर्णय भी उन्हीं कदमों का एक हिस्सा है। विशेष रूप से हरियाणा में किसानों की संख्या काफी अधिक है और वे चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, सरकार किसानों को खुश करने और उनके समर्थन को हासिल करने के लिए यह कदम उठा रही है। इस निर्णय से किसानों को अपनी फसल का अच्छा दाम मिलने की उम्मीद है और साथ ही देश को भी विदेशी मुद्रा अर्जित करने में मदद मिलेगी। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

गैर बासमती चावल निर्यात पर प्रतिबंध से किसानों मिल रहा है कम भाव 
साथियो वर्ष 2023 में देश में चावल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने चावल के निर्यात पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे। इन प्रतिबंधों को अप्रैल-जून 2024 में हुए आम चुनाव से पहले भी जारी रखा गया था ताकि देश में चावल की कीमतें स्थिर रहें। इन प्रतिबंधों के कारण हजारों किसानों को यूरोप, मध्य-पूर्व और अमेरिका जैसे बड़े बाजारों तक अपनी पहुंच बनाने में मुश्किलें आईं। किसानों की इन समस्याओं को देखते हुए सरकार ने हाल ही में बासमती चावल के निर्यात पर लगाई गई न्यूनतम कीमत को हटा दिया है। हालांकि, अभी भी पारबॉयल्ड और गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन प्रतिबंधों को हटाने पर विचार किया जा रहा है। इस साल देश में अच्छी बारिश होने के कारण किसानों ने 41 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई की है।

पिछले साल धान की कितनी हुई थी रोपाई 
पिछले वर्ष देश में धान की रोपाई 39 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की गई थी, जो कि पिछले पाँच वर्षों के औसत 40 लाख हेक्टेयर के लगभग बराबर है। इस वर्ष मानसून की शुरुआत कुछ कमजोर रही, लेकिन बाद में इसमें सुधार हुआ। चालू मानसून सीजन में अब तक देश में सामान्य से 7.60 प्रतिशत अधिक वर्षा हो चुकी है। इस पर्याप्त वर्षा के कारण धान की खेती को काफी फायदा हुआ है। वहीं, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास चालू सितंबर महीने की शुरुआत में 3.23 करोड़ टन चावल का भंडार था। यह भंडार पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 38.60 प्रतिशत अधिक है। इतना बड़ा भंडार होने से सरकार को चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने में आसानी होगी। यह भंडार न केवल देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाता है, बल्कि किसानों को भी बेहतर मूल्य दिलाने में मदद करता है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है