बासमती चावल के निर्यात को लेकर आयी बड़ी अपडेट | जाने 2025 में निर्यात में क्या हुआ बदलाव
भारतीय बासमती निर्यात में भारी गिरावट की संभावना: जनवरी-मार्च तिमाही में 41% की गिरावट संभव
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो साल 2024 में भारत ने बासमती के निर्यात के मामले में नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं लेकिन साल 2025 में निर्यात को लेकर अच्छी खबर नहीं मिल रही। यही कारण है कि बासमती धान और चावल के भाव आये दिन नया निचला स्तर बना रहे हैं। भारतीय चावल निर्यातक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गर्ग के अनुसार, भारतीय बासमती चावल निर्यात में जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में भारी गिरावट दर्ज की जा सकती है। कमजोर मांग और कीमतों में संभावित गिरावट इस गिरावट के प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा, खाड़ी देशों और यूरोप के लिए कंटेनर दरों में तेज वृद्धि से निर्यातकों की लागत बढ़ गई है, जिससे स्थिति और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल इजरायल और हमास की लड़ाई के चलते जो रास्ते बंद हुए थे उस दौरान कंटेनर दरों और भाड़े में हुई वृद्धि अभी तक कम नहीं हुई है।
बासमती निर्यात पर असर डालने वाले कारक
गर्ग ने बताया कि साल 2025 में खास तौर पर पाकिस्तान से बढ़ती प्रतिस्पर्धा, रमज़ान के दौरान कमजोर मांग और घरेलू उत्पादन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने से बासमती चावल की कीमतों पर दबाव बढ़ा है। इसके अलावा सरकार द्वारा गैर-बासमती चावल निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के कारण भी बासमती की मांग प्रभावित हुई है, क्योंकि कई ऐसे देश जिन्हे पहले सस्ता चावल नहीं मिल पा रहा था अब वे देश सस्ते चावल की खरीद कर रहे हैं।
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कितनी हो सकती है गिरावट
गर्ग के अनुसार, जनवरी-मार्च तिमाही में बासमती चावल का निर्यात 1.7 मिलियन टन से घटकर 1.0 मिलियन टन रह सकता है। जनवरी और फरवरी में बासमती निर्यात 400,000 टन रहने की संभावना है, जबकि मार्च में यह घटकर 200,000 टन रह सकता है।
उत्पादन में बढ़ोतरी से आपूर्ति पर दबाव
उद्योग के अनुमानों के अनुसार, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में बासमती का रकबा बढ़ने और अच्छी फसल होने के कारण इस साल भारत में बासमती चावल का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 10-15% अधिक हो सकता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य से अधिक रहने, ओवर आल बुवाई क्षेत्र में वृद्धि और बढ़िया साठी फसल होने के कारण बासमती के उत्पादन में यह वृद्धि हुई है। पिछले पांच साल में मध्यप्रदेश में बासमती का उत्पादन कई गुना बढ़ा है।
कीमतों में गिरावट जारी
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन की मासिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 'पुसा बासमती' की कीमत जनवरी में घटकर $1,000 प्रति टन रह गई, जो पिछले वर्ष जनवरी-सितंबर के दौरान $1,400 प्रति टन थी। गर्ग ने बताया कि आगामी महीनों में प्रतिस्पर्धा के चलते बासमती चावल की कीमतें दबाव में रह सकती हैं।
शिपिंग संकट और बढ़ी हुई माल ढुलाई दरें
रेड सी में जारी शिपिंग संकट, जहाजों के केप ऑफ गुड होप के रास्ते डायवर्ट होने और चीनी बंदरगाहों पर लूनर न्यू ईयर से पहले हुई भीड़भाड़ के कारण कंटेनर फ्रेट दरें बढ़ गई हैं। यूरोप के लिए कंटेनर दरें $1,000 से बढ़कर $2,000 हो गई हैं, जबकि पश्चिम एशिया के लिए भी ये दरें बढ़ी हैं।
पश्चिम एशिया में मांग अस्थायी रूप से कम
भारतीय बासमती निर्यात का 75% से अधिक हिस्सा पश्चिम एशिया में जाता है। दिसंबर तिमाही में इस क्षेत्र के खरीदारों ने बड़ी मात्रा में खरीदारी की थी। वर्तमान में वे बाजार की स्थिति का आकलन कर रहे हैं और भविष्य की खरीदारी उसी के अनुसार करेंगे।
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बासमती निर्यात में ऐतिहासिक वृद्धि
हालांकि निर्यात में हालिया गिरावट देखने को मिल रही है, लेकिन 2024 में बासमती चावल का निर्यात मूल्य 14.3% बढ़कर रिकॉर्ड $6.19 बिलियन तक पहुंच गया। मात्रात्मक रूप से, भारत का बासमती निर्यात 2024 में 5.94 मिलियन टन रहा, जो 2020 के 4.99 मिलियन टन के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया।
वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी
2024 में वैश्विक बासमती चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 87.2% रही, जबकि पाकिस्तान ने शेष निर्यात का योगदान दिया।
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत के बासमती चावल निर्यातक आगामी महीनों में बाजार की स्थिरता का आकलन कर अपनी रणनीतियों को पुनः निर्धारित करेंगे।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।