किसान के हिसाब से कैसा है बजट | जानिए बजट के हर पहलु को | बजट विश्लेषण रिपोर्ट

 

किसान साथियो सरकार द्वारा पेश किए गए बजट पर अलग अलग लोगों की अलग अलग राय है। सत्ताधारी पार्टी के पक्ष वाले लोग इसे अच्छा मान रहे हैं जबकि विपक्ष के लोग इसे खोखला मान रहे हैं।  पूर्व प्रधान वैज्ञानिक आईसीएआर- आईए आरआई, नई दिल्ली डा. वीरेंद्र सिंह लाठर जो कि एक कृषि वैज्ञानिक थे और किसानों के हित की बात हमेशा से ही रखते आए हैं। मंडी भाव टुडे पर हम पेश किए गए बजट पर उन की राय के साथ साथ सयुंक्त किसान साथियो मोर्चा के प्रेस बयान को रख रहे हैं। उम्मीद है ये पोस्ट आपको बजट को समझने में उपयोगी होगी WhatsApp पर भाव पाने के लिए ग्रुप join करे

डॉ लाठर जी ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बुधवार को प्रस्तुत किए गए बजट को किसान विरोधी बताया है। उन्होंने कहा कि बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून की गारंटी व कृषि उपज की सरकारी खरीद की गारंटी नहीं दी गई है। देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला किसान आज भी अपना 80 प्रतिशत अनाज, दलहन, तिलहन आदि फसल उपज घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर और सब्जियों व फल-फूल फसलों की उपज और डेयरी, मीट, शहद उत्पादन आदि औने-पौने दाम पर बिचौलियों को बेचने को मजबूर है।
देश में महंगाई कम करने के पूरी जिम्मेवारी किसानों पर डालने की गलत सरकारी नीतियों और कृषि बाजार में बिचौलियों के शोषण ने कृषि को घाटे का सौदा और किसानों को कर्जबन्द बना दिया है। सरकार ने बजट में किसानों को भ्रमित करने के लिए ट्रेनिंग देने, डिजीटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, कृषि उपज भंडारण बढ़ाने, ग्रीन खाद, मोटे अनाज आदि को प्रोत्साहन करने जैसी बातें कही गई है, जिनका किसान को कोई फायदा नहीं होगा बिना समर्थन मूल्य कानून बनाए, अंतर्राष्ट्रीय पोषक मोटा अनाज वर्ष भी कोरा प्रचार साबित होगा। बिना तकनीकि कंट्रोल बहुराष्ट्रीय व देसी कम्पनियों के गैर अनुशासित बीज, खाद, रसायनिक दवाएं व बीटी- एचटी सरसों तकनीक आदि देश की खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर संकट पैदा करेंगी।  सरसों हुई धड़ाम | देखें आज के सरसों के लाइव रेट Sarso Live Rate Today 01 Feb 2023

संयुक्त किसान मोर्चा - केंद्रीय बजट 2023 पर प्रेस बयान

(केंद्र सरकार ने बजट 2023 में भारत के किसानों को धोखा दिया)

एसकेएम आज वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए केंद्रीय बजट 2023 पर निराशा और चिंता व्यक्त करता है। हालांकि यह सार्वभौमिक रूप से ज्ञात है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने खेती और किसानी को आर्थिक रूप से उपेक्षित किया है, लेकिन एसकेएम ने उम्मीद की थी कि दिल्ली में हुए किसानों के लम्बे और दृढ़ विरोध के बाद सत्तारूढ़ पार्टी खेती और ग्रामीण कृषि समुदाय, जो भारत की आबादी का बहुमत हैं, की आय और भविष्य को सुरक्षित करने की आवश्यकता को समझेगी। इसके विपरीत, केंद्रीय बजट 2023 निम्नलिखित कारणों से देश के इतिहास में सबसे अधिक किसान-विरोधी बजट है:

1) कृषि और संबंधित क्षेत्रों पर आवंटन कुल बजट के 3.84% (बीई 2022) से 3.20% (बीई 2023) हो गया है।
2) ग्रामीण विकास पर आवंटन भी कुल बजट के 5.81% (आरई 2022) से 5.29% (बीई 2023) तक कम हो गया है।
इस तरह के बड़े पैमाने पर कटौती के साथ, सरकार का इरादा स्पष्ट है: खेती और किसानी से से जीवन शक्ति निचोड़ लेना। केंद्रीय बजट 2023 जितना बताता है उससे कहीं ज्यादा छुपाता है, लेकिन सच्चाई सामने है और उसे छुपाया नहीं जा सकता। नहीं बढ़ा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क | सरसों पर दबाव | आज की तेजी मंदी रिपोर्ट

1) केंद्रीय बजट 2023 किसानों की आय को दोगुना करने पर मौन है। बजट में कोई आंकड़े नहीं दिए गए हैं। यह याद किया जा सकता है कि सरकार के अनुसार, किसानों की आय वर्ष 2016 (घोषणा का वर्ष) में ₹ 8000 प्रति माह थी, और 2022 में यह आय बढ़कर ₹ 21,000 प्रति माह हो जाना चाहिए था, ताकि यह भव्य घोषणा वास्तविकता बन सके। 3 वर्षों के बाद, यह आय ₹ 10,200 प्रति माह हो पाया गया था, और अब यह अधिकतम ₹ 12,400 प्रति माह (अनुमानित) है। इस प्रकार, ₹ 13,000 की लक्षित वृद्धि में से केवल ₹ 4,400 की वृद्धि हासिल हो पाई है, जो कि लक्ष्य का केवल एक-तिहाई है। किसी भी मामले में, सरकार ने बेईमानी से इस पर जानकारी देना बंद कर दिया है, और किसानों को धोखा दिया है।

2) केंद्रीय बजट 2023 स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिश के अनुसार फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की स्थिति और किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने के लिए उठाए जाने वाले कदम पर मौन है। जहां सरकार एमएसपी और उसकी गारंटी के लिए किसानों की मांगों का तर्कहीन विरोध कर रही है, वहीं इस बजट ने किसानों को एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए मामूली प्रयासों को भी हटा दिया है। पीएम अन्नादाता आय संरक्षण अभियान (AASHA) जैसी प्रमुख योजनाओं में आवंटन में लगातार गिरावट हुई है। 2 साल पहले यह ₹ 1500 करोड़ था। 2022 में यह ₹ 1 करोड़ हो गया। 15 करोड़ कृषि घरानों को सुरक्षित करने के लिए महज़ ₹ 1 करोड़। इसी तरह, मूल्य समर्थन योजना (PSS) और बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) के लिए आवंटन ₹ 3000 करोड़ रुपये से घटकर वर्ष 2022 में ₹ 1500 करोड़ रुपये कर दिया गया था और इस साल यह एक अकल्पनीय ₹ 10 लाख रह गया है। वास्तव में, सरकार ने आशा, पीएसएस और एमआईएस को और इसके साथ कि किसानों को एमएसपी प्राप्त करने की उम्मीद को मार दिया है। निचले भाव पर खरीद लौटने से गेहूं में लौटी तेजी | देखें आज के गेहूं/कनक के लाइव रेट wheat kanak gehu Live Rate Today 1 Feb 2023

3) केंद्रीय बजट 2023 पीएम फसल बीमा योजना पर मौन है। बदलते मौसम और जलवायु परिवर्तन के समय में, यह योजना प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को फसल के नुकसान से बचाने के लिए थी। वर्ष 2022 में इस योजना के लिए आवंटन ₹ 15,500 करोड़ रुपये था, लेकिन इस साल इसे घटाकर ₹ 13,625 कर दिया गया है। फसल के नुकसान बढ़ने के समय में, सरकार द्वारा फसल बीमा क्रूरता से कम किया जा रहा है। क्या सरकार स्वीकार करती है कि यह योजना किसानों के हित की रक्षा करने में विफल रही है?
 
4) सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), जो ग्रामीण श्रमिकों को महत्वपूर्ण आय समर्थन प्रदान करती है, के लिए आवंटन को जबर्दस्त रूप से कम कर रही है। 2022 में, बजट आवंटन ₹ 73,000 करोड़ रुपये था, लेकिन ग्रामीण बेरोजगारी और बढ़ती मांग के सामने सरकार को मजबूरन ₹ 90,000 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ा। ऐसे समय में, जब सामान्य अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है, यह अकल्पनीय है कि सरकार ने मनरेगा के आवंटन को ₹ 30,000 करोड़ घटाकर, ₹ 60,000 करोड़ कर दिया है।

5) पीएम किसान सम्मान निधि के लिए आवंटन को वर्ष 2022 में ₹ 68,000 करोड़ से कम कर ₹ 60,000 करोड़ कर दिया गया है। लाभार्थियों की संख्या में लगातार गिरावट आई है और अब पोर्टल ने वास्तविक समय के लाभार्थी डाटा दिखाना बंद कर दिया है। किसानों के गहरे आर्थिक संकट के समय, इस योजना ने किसानों को कुछ राहत दी थी, लेकिन अब भी इसे घटाया जा रहा है। क्या MSP के नीचे जायेंगे नयी सरसों के भाव | सरसो की सबसे सटीक तेजी मंदी रिपोर्ट

6) उर्वरक पर सब्सिडी को वर्ष 2022 में ₹ 2,25,000 करोड़ से कम कर ₹ 1,75,000 कर दिया गया है। पिछले दो फसल ने किसानों को उर्वरक प्राप्त करने के लिए हाथापाई में मरते देखा है और यह बजट उस संकट को और गहरा कर रहा है।

7) सरकार भव्य रूप से कृषि एक्सीलेटर फंड जैसे नए फंड की घोषणा कर रही है, वहीं पहले की घोषणाओं को भुला दिया गया है। यह याद किया जा सकता है कि सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपये के साथ एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड की बहुत धूमधाम से घोषणा की थी; 3 वर्षों के बाद यह पाया गया कि वास्तव में इस फंड का केवल 10% वितरित किया गया है।
 
8) सरकार भव्य रूप से कृषि उत्पादों के नए भंडारण और विपणन योजनाओं की घोषणा कर रही है, जहां पहले की योजनाएं विफल हो गई हैं, जैसे कि 4 साल पहले 22,000 गांव के हाटों को 3 साल के भीतर मंडियों में परिवर्तित करने की योजना की घोषणा की गई थी। सरकार इन योजनाओं के बारे में कोई भी जानकारी साझा करने से इनकार करती है और पहले योजना के विफल होने पर उसी प्रकार की नई योजनाओं की घोषणा करके किसानों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है। गिरावट के बाद कहाँ रुकेगा गेहूं देखे गेहूं की तेजी मंडी रिपोर्ट

एसकेएम मांग करता है कि सरकार किसानों को बेवकूफ बनाना बंद करे और गंभीरता से किसानों के महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करे, जैसे कि एमएसपी की कानूनी गारंटी, फसल बीमा, इनपुट लागत में कमी और इनपुट की स्थिर उपलब्धता। चूंकि केंद्रीय बजट 2023 इन मुद्दों को संबोधित नहीं करता है, और यह स्पष्ट है कि यहां तक कि पीएम के नाम पर नामित प्रमुख योजनाएं भी विफल हो रही हैं, एसकेएम सरकार से आवश्यक कार्रवाई, जो सरकार का कर्तव्य भी है, करने का आह्वान करता है ताकि किसानों को सरकार का विरोध न करना पड़े और सरकार को मजबूर न होना पड़े। Aaj Ka Narma Ka bhav नरमा और कपास के ताजा मंडी भाव Narma Price Today 01 February 2023

साभार :- मीडिया सेल - संयुक्त किसान मोर्चा

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