क्या गेहूं के भाव में तेजी आएगी या नहीं | जाने गेहूं की तेजी मंदी रिपोर्ट में

 

किसान साथियो सरकार ने खुले बाजार विक्रय योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिक्री एक अगस्त से शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन अब इसे अक्टूबर तक टाल दिया गया है। इस निर्णय के कारण गेहूं के दाम में बढ़ोतरी की संभावना है और आने वाले समय में गेहूं 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच सकता है। इस साल गेहूं का उत्पादन अच्छा रहा है, लेकिन पिछले वर्ष का स्टॉक खत्म होने के कारण और बड़ी कंपनियों द्वारा समर्थन मूल्य से अधिक दाम देकर गेहूं खरीदने के चलते सरकार खरीद लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाई है। सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति क्विंटल रखा था, जबकि मध्य प्रदेश की मंडियों में बड़ी कंपनियों ने 2350 से 2550 रुपये प्रति क्विंटल तक गेहूं खरीदा। हालांकि हरियाणा और पंजाब में गेहूं की अच्छी पैदावार हुई है, फिर भी सरकार का खरीद लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

गेहूं के भाव में आई जोरदार तेजी
गेहूं के बाजार में इन दिनों भारी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। बड़ी कंपनियों द्वारा गेहूं के संग्रहण और किसानों द्वारा अपनी उपज बेचने से परहेज करने के कारण गेहूं के दाम आसमान छू रहे हैं। पिछले एक महीने में ही गेहूं का भाव 170-175 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 2840-2845 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। यह पिछले साल के भाव से करीब 335-340 रुपये अधिक है। सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत 2300-2325 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर गेहूं बेचने की घोषणा की थी, लेकिन बाजार में मांग इतनी अधिक है कि सरकार का यह कदम भी दामों को काबू में नहीं कर पा रहा है। रोलर फ्लोर मिलों और आटा चक्कियों की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे गेहूं की कमी और बढ़ गई है। हालांकि, सरकारी अनुमान के मुताबिक इस साल गेहूं का उत्पादन पिछले साल की तुलना में अधिक हुआ है, लेकिन मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में बड़ी कंपनियों की प्रतिस्पर्धी खरीद के कारण सरकार अपने निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप गेहूं खरीद नहीं पा रही है। इस साल गेहूं की कुल खरीद 267 लाख मीट्रिक टन रही है, जो पिछले साल की तुलना में थोड़ी अधिक है। गेहूं के दामों में इस भारी उछाल से किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को ही परेशानी हो रही है। किसानों को अपनी उपज का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है, वहीं उपभोक्ताओं को महंगे दामों पर गेहूं और गेहूं के उत्पाद खरीदने पड़ रहे हैं।

क्या गेहूं का भाव 3000 तक पहुंच सकता है
वर्ष 2022 में भी सरकारी गेहूं की खरीद का आंकड़ा अपेक्षाकृत कम रहा था, जो लगभग 188 लाख मीट्रिक टन के आसपास ही सीमित रहा। इस कम खरीद के कारण बड़ी कंपनियां बाजार में गेहूं की बिक्री करने के लिए उत्सुक नहीं हैं। परिणामस्वरूप, गेहूं के दाम लगातार बढ़ रहे हैं और वर्तमान में 2840 से 2845 रुपये प्रति कुंतल के उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। गेहूं की नई फसल मार्च-अप्रैल में आने की उम्मीद है, लेकिन अभी तक इसके लिए बुवाई का समय नहीं आया है। सरकार का दावा है कि केंद्रीय पूल में गेहूं का पर्याप्त भंडार है, लेकिन फिर भी सरकार ने खुले बाजार में गेहूं की बिक्री शुरू नहीं की है। इस स्थिति से यह संकेत मिलता है कि या तो केंद्रीय पूल में गेहूं की उपलब्धता के आंकड़े सही नहीं हैं या फिर सरकार किसी कारणवश गेहूं की बिक्री में देरी कर रही है। यदि सरकार जल्द ही खुले बाजार में गेहूं की बिक्री नहीं करती है तो गेहूं के दाम और बढ़ने की संभावना है। अनुमान है कि दिल्ली में गेहूं का दाम 3000 रुपये प्रति कुंतल तक पहुंच सकता है। यह स्थिति आम जनता के लिए चिंता का विषय है क्योंकि बढ़ते गेहूं के दाम से महंगाई बढ़ेगी और इससे आम आदमी की जेब पर बोझ बढ़ेगा।

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।