सोयाबीन के भाव में कब और कितनी तेजी आएगी | जाने सोयाबीन की तेजी मंदी रिपोर्ट में

 

किसान साथियों आज हम सोयाबीन के बुवाई रकबे, फसल की हाल की स्थिति, बाजार की तेजी मंदी और आगे चलकर भाव की संभावनाओं के बारे में बात करेंगे। दोस्तो जैसा कि आप सबको पता है कि सितंबर के मध्य तक सोयाबीन की नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी। पिछले कुछ समय से लगातार भाव के कम रहने के चलते किसानों और स्टॉकिस्टों के पास सोयाबीन का पिछला स्टॉक भी बचा हुआ है। पिछले दो साल से  सोयाबीन के भाव में थोड़ा-थोड़ा करके गिरावट भी देखने को मिल रही थी, लेकिन बावजूद इसके देश में सोयाबीन का बुवाई रकबा पिछले वर्ष की अपेक्षा काफी अधिक रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। किसान भाइयों ने एक बार फिर सोयाबीन की खेती पर विश्वास दिखाया है, उनको लगता है कि आने वाले समय में सोयाबीन के दामों में सुधार अवश्य ही होगा और इसी विश्वास के ऊपर इस वर्ष उन्होंने सोयाबीन की खेती को खूब बढ़ावा दिया है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

अगर सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक राज्यों की बात करें तो मध्य प्रदेश का नाम सबसे पहले आता है और उसके बाद महाराष्ट्र और राजस्थान का नाम आता है, लेकिन इस बार अगर गुजरात की बात की जाए तो सोयाबीन बिजाई क्षेत्रफल के मामले में गुजरात अपने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ता हुआ नजर आ रहा है अगर सरकारी आंकड़ों की मानें तो इस बार सौराष्ट्र में सबसे अधिक सोयाबीन की बिजाई, मध्य गुजरात, उत्तरी गुजरात, सूरत और भड़ूच जिले में  दर्ज की गई है, हांलाकी दक्षिणी गुजरात में सोयाबीन की बिजाई में पिछले साल की अपेक्षा कमी बताई जा रही है। आईए सबसे पहले जानते हैं कि भारत में में इस वर्ष सोयाबीन का रकबा पिछले साल की अपेक्षा कितना बढ़ा है।

गुजरात सोयाबीन बिजाई के मामले में अपने 5 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा
साथीयो गुजरात की अगर बात की जाए तो चालू सीजन की अभी तक की अवधि में गुजरात में प्रमुख खरीफ तिलहन, सोयाबीन, की बिजाई बढ़ती हुई 3 लाख हेक्टेयर के करीब पहुंच गई है, जबकि 2020 की बात करें तो गुजरात में सोयाबिन बिजाई का क्षेत्र 1.48 लाख हेक्टेयर का हुआ था।पिछले साल यही आंकड़े बढ़कर 2.5 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गए थे।राज्य कृषि विभाग ने अपने नवीनतम आंकड़ों में यह जानकारी दी। विभाग ने बताया कि गुजरात में वर्तमान सीजन की अभी तक कुल 2,98,800 हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है। जिसमें जूनागढ़ जिले में सबसे अधिक 58,300 हेक्टेयर, बोटाड़ में 29,900 हेक्टेयर, राजकोट में 26,700 हेक्टेयर और अमरेली जिले में 13,100 हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है।मध्य गुजरात में भी सोयाबीन की बिजाई बढ़ रही है, जिसमें दाहोद जिले में सबसे अधिक 33,500 हेक्टेयर और महीसागर जिले में 21 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है।उत्तरी गुजरात में कुल 60,900 हेक्टेयर में सोयाबीन की बिजाई हुई है, जिसमें अरावली जिले में सबसे अधिक 39,700 हेक्टेयर और साबरकांठा जिले में 20,500 हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है।दक्षिणी गुजरात में सोयाबीन की बिजाई में कमी देखी गई है, जिसमें सूरत जिले में 8 हजार हेक्टेयर, भडूच जिले में 5900 हेक्टेयर, वलसाड में 5300 हेक्टेयर और नर्मदा जिले में 2100 हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सोयाबीन की बिजाई का प्रदर्शन
साथियों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान देश के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्य हैं, देश में सोयाबीन का 50% उत्पादन अकेला मध्य प्रदेश से होता है, परंतु अगर पिछले 5 सालों की बात की जाए तो मध्य प्रदेश के उत्पादन में निरंतर कमी आ रही है, अगर पिछले 5 सालों की बात की जाए तो मध्य प्रदेश में सोयाबीन की बुवाई 58 लाख हेक्टेयर से घटकर 53 लाख हेक्टेयर रह गई है, जबकि महाराष्ट्र में सोयाबीन की बुवाई 42 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 50 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गई है। राजस्थान की बात की जाए तो राजस्थान में भी पिछले साल की तुलना में सोयाबीन बिजाई का क्षेत्र 12% बढ़ा है। अगर ताजा आंकड़ों की बात करें तो इस साल मध्य प्रदेश में सोयाबीन की बिजाई 10.5 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल की तुलना में 8% अधिक है। पिछले साल मध्य प्रदेश में सोयाबीन की बिजाई 9.7 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई थी।

साथियों अगर राजस्थान की बात की जाए तो राजस्थान के किसान भी सोयाबीन की फसल में रुचि दिखा रहे हैं। इस साल के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में सोयाबीन की बिजाई 12.2 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल की तुलना में 12% अधिक है। पिछले साल राजस्थान में सोयाबीन की बिजाई 10.9 लाख हेक्टेयर थी। दोस्तों अगर महाराष्ट्र की बात की जाए तो महाराष्ट्र भी इस होड़ में पीछे नहीं है महाराष्ट्र में सोयाबीन की बिजाई इस वर्ष से 8.2 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई, जो पिछले साल की अपेक्षा 5% अधिक है। पिछले साल महाराष्ट्र में सोयाबीन की बिजाई 7.8 लाख हेक्टेयर थी।

देश में सोयाबीन बिजाई का क्षेत्र बढ़ने का कारण
किसान साथियों पिछले साल की अपेक्षा इस साल मौसम ने किसानों का साथ दिया है। समय के अनुकूल बारिश होने से किसानों को बुवाई करने में काफी मदद मिली। साथियों सरकार भी सोयाबीन की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जैसे की बीज अनुदान, खाद अनुदान, सिंचाई सुविधा और कई प्रकार की सब्सिडी, जो किसानों को सोयाबीन की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। सोयाबीन की फसल में प्रति एकड़ के हिसाब से उत्पादन भी बढ़िया मात्रा में होता है, जो किसानों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। हालांकि खाद्य तेलों पर ड्यूटी ना बढ़ाना सोयाबीन के किसानों को हतोत्साहित भी कर रहा है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

सोयाबीन की आवक पर एक नजर
सरकारी पोर्टल एगमार्कनेट के डाटा के अनुसार इस साल 21 जुलाई से 21 अगस्त के बीच मंडियों में करीब 3 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है। जबकि पिछले साल इसी अवधि में आवक का आंकड़ा करीब 2.81 लाख टन था। सोयाबीन की आवक में लगभग 8 % से ज्यादा वृद्धि दिखाई दे रही है।

सोयाबीन की कुल उपलब्धता
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) की  मासिक रिपोर्ट के अनुसार चालू मार्केटिंग सीजन के 10 महीनों में यानी अक्टूबर 2023 से जुलाई 2024 के दौरान देश भर की मंडियों में कुल 107 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है। जिसमें से 104.5 लाख टन की क्रशिंग के जरिए और 4.15 लाख टन की सीधी खपत हुई। विदेशों में करीब 8000 टन का निर्यात भी किया गया है। लगभग 24.7 लाख टन सोयाबीन का पिछला स्टॉक मौजूद है और 119.74 लाख टन के उत्पादन अनुमान के साथ सोयाबीन की कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन पर रह सकती है। जबकि विदेशों से करीब 6 लाख टन का आयात भी होने का अनुमान है। जानकारों के अनुसार 1 अगस्त 2024 को किसानों व्यापारियों तथा मिलर्स के पास लगभग 27.11 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक बचा हुआ है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

एक हफ्ते में 200 रुपये तेज हुए भाव
दोस्तो पिछले एक हफ्ते में सोयाबीन के भाव 200 रुपये तक बढ़ चुके हैं। सोयाबीन के बढ़े रकबे और अनुकूल फ़सल की स्थिति को देखते हुए तेल तिलहन के जानकारों का मानना है कि सोयाबीन के भाव में बड़ी तेजी की संभावना नहीं हैं। सोयाबीन के लिए बेंचमार्क मंडी मानी जाने वाली मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में पिछले एक माह के दौरान सोयाबीन के भाव ₹ 4300 से बढ़कर ₹ 4500 के स्तर पर आ गए हैं इसी तरह से दूसरे प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्य महाराष्ट्र की लातूर मंडी में सोयाबीन का रेट  4500 से बढ़कर 4600 रुपये प्रति क्विंटल के हो गए हैं। बात राजस्थान की कोटा मंडी की करें तो यहा सोयाबीन के भाव 4000 से 4450 प्रति क्विंटल चल रहे हैं। दोस्तो हमने अपनी पिछली रिपोर्ट में भी बताया था कि सोयाबीन में गिरावट इतनी ज्यादा हो चुकी है कि भाव 2014 के स्तर के आसपास आ चुके हैं। अगर पिछले साल के मुकाबले देखें तो पिछले साल इन दिनों इंदौर में सोयाबीन के भाव 5050 और लातूर में 5120 प्रति क्विंटल के थे। मंडी भाव टुडे का मानना है कि किसी भी फ़सल के भाव में एकतरफ़ा गिरावट नहीं चल सकती। किसी ना किसी स्तर पर भाव सम्भल जाते हैं। इतनी गिरावट के बाद नयी फ़सल आने से पहले एक उठाव बन सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस सीज़न के लिए सोयाबीन का MSP 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। इसका थोड़ा बहुत सहारा नए सीजन में सोयाबीन के भाव को मिल सकता है। जहां तक रोकने या बेचने का सवाल है तो हमारा मानना है कि अगर आपको 100-200 रुपये की तेजी मिलती है तो माल निकाल देना चाहिए। जहां तक नयी फ़सल की बात है उम्मीद है कि सीज़न के शुरुआती दौर में भाव ठीक रहेंगे इसलिए फ़सल को समय से बेच लें। व्यापार अपने विवेक से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।