स्टॉकिस्टों की खरीद के कारण गेहूँ में आई जबरदस्त तेजी | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

 

किसान साथियो गेहूं का उत्पादन अधिक होने के बावजूद भी सरकारी खरीद के अलावा छोटी-बड़ी कंपनियों में स्टॉक के लिए प्रतिस्पर्धात्मक खरीद होने से सरपट तेजी का रुख बना हुआ है तथा गत वर्ष से 225 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं महंगा हो गया है, जबकि गत वर्ष की तुलना में 4 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद अधिक हुई है। आगे की तेजी मंदी सरकार की बिक्री नीति पर निर्भर करेगी। वहीं सरकार को मुफ्त वितरण योजना गेहूं की बंद कर देनी चाहिए। गेहूं का बिजाई देश में 307 लाख हेक्टेयर से बढकर 324 लाख हैक्टेयर भूमि में हुई थी, जिसमें सकल गेहूं का उत्पादन 1121 लाख मीट्रिक टन होने का सरकारी अनुमान आ रहा है, जो गत वर्ष 1090 लाख मीट्रिक टन हुआ था।

गेहूं का शुरुआती सीजन में भाव काम क्यों था?
साथियो सोचने वाली बात यह है कि गेहूं का उत्पादन अधिक होने के बावजूद भी मध्य प्रदेश से लगातार इस बार बड़ी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक खरीद बनी रही, इसके अलावा छोटे-बड़े स्टॉकिस्ट भी यूपी हरियाणा पंजाब राजस्थान एमपी से खरीद ऊंचे भाव में करते रहे। यही कारण है कि 2275 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केंद्रीय पूल में अब तक खरीद 266 लाख मीट्रिक टन ही हो पाई है तथा अधिकतर बड़े गेहूं उत्पादक राज्यों में खरीद बंद हो चुकी है, क्योंकि किसानों का माल निकल चुका है। गत वर्ष यह सकल खरीद 262 लाख मीट्रिक टन के करीब हुई थी। उत्पादन अधिक होने के बावजूद भी गेहूं की खरीद लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो पाई, क्योंकि स्टॉकिस्टों की चौतरफा 2350 से लेकर 2450 रुपए प्रति क्विंटल तक रैक प्वाइंटों एवं गोदाम पहुंच में लिवाली चलने से केंद्रीय पूल के लिए गेहूं काम मिल सका। यह भी कारण है कि सरकार का खरीद मूल्य बाजार भाव से सीजन के शुरुआती दौर से ही सौ-डेढ़ सौ रुपए नीचे था।

गेहूं के बाजार में आगे क्या?
साथियो एमपी राजस्थान की मंडियों में गेहूं के भाव 2480/2600 रुपए प्रति क्विंटल के बीच अलग-अलग मंडियों में चल रहे हैं। इस वजह से दिल्ली एनसीआर के पडते नहीं लग रहे हैं। पंजाब की मंडियों में भी ऊंचे भाव हो गए हैं, क्योंकि वहां पर पहले ही सरकार द्वारा 136 लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीद किया जा चुका है, हरियाणा में भी 77 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं सरकार को मिल चुका है। इस वजह से दिल्ली में गेहूं की आपूर्ति घट जाने से यहां भी इसके भाव 2690/2700 रुपए प्रति क्विंटल हो गए हैं, जबकि गत वर्ष इन दिनों 2470/2475 रुपए के आसपास इसके भाव चल रहे थे। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि गत वर्ष की अपेक्षा अभी 225 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं महंगा हो गया है, जो वर्तमान में गेहूं के भाव है, वह बीते वर्ष अक्टूबर-नवंबर में हुए थे। अतः यह तेजी व्यापार के लिए भी नुकसानदायक लग रही है। फिलहाल चौतरफा छोटी बड़ी कंपनियां लिवाली कर रही हैं, इसलिए 2750 रुपए भी बन जाना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन जैसे ही सरकार द्वारा स्टॉक सीमा या ओएमएसएस के माध्यम से गत वर्ष की तरह बिक्री की गई, तो बाजार वापस लुढ़क जाएंगे। अतः वर्तमान भाव में और खरीद की बजाय मुनाफा भी लेते रहना चाहिए। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।