आगे चलकर गेहूं के बाजार में क्या रह सकता है | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
किसान साथियो हाल ही में सरकार ने गेहूं पर स्टॉक सीमा लगा दी थी, लेकिन वह मात्रा इतनी पर्याप्त नहीं थी कि उसका कोई विशेष लाभ मिल सके। इसके बाद, सरकार ने ओएमएसएस (ओपन मार्केट सेल्स स्कीम) के माध्यम से आगामी 1 अगस्त से गेहूं की बिक्री की घोषणा की है, जिससे महंगाई पर रोक लग गई है। जब भी गेहूं की कीमत 2700 रुपए प्रति क्विंटल को पार करेगी, तो बाजार में गिरावट आ जाएगी। एक रिपोर्ट के अनुसार, गेहूं का उत्पादन अधिक होने के बावजूद, केंद्रीय पूल में वर्ष 2024-25 विपणन वर्ष के लिए कुल गेहूं की खरीद लगभग 267 लाख मीट्रिक टन ही रही, जो की पिछले साल 262 लाख मीट्रिक टन की हुई थी।
कैसे बढ़ी गेहूं की कीमते
साथियो गौर करने की बात तो यह है कि सरकारी अनुमान के अनुसार गेहूं का उत्पादन 1121 लाख मीट्रिक टन हुआ है, जबकि पिछले वर्ष उत्पादन लगभग 1090 लाख मीट्रिक टन था। सवाल यह उठता है कि उत्पादन अधिक होने के बावजूद सरकार को लक्ष्य के अनुरूप गेहूं क्यों नहीं मिल पाया और गेहूं में महंगाई क्यों बढ़ गई? विशेषज्ञों का मानना है कि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल था, जबकि अप्रैल से लेकर 15 जून तक खुले बाजार में स्टॉकिस्टों द्वारा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान में 2300 से 2500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच हर भाव में गेहूं की खरीद की गई। बाद में गेहूं नहीं मिलने पर प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां पीछे हट गईं, जिससे सरकार को बेहतर गुणवत्ता का गेहूं और लक्ष्य के अनुरूप आपूर्ति नहीं मिल पाई। केंद्रीय पूल में अधिकांश गेहूं वही गया, जो प्राइवेट सेक्टर में किसानों का नहीं बिका था और वही सरकार को 2275 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदना पड़ा। इस वजह से बड़ी कंपनियों ने मध्य प्रदेश से ऊंचे भाव पर 72 प्रतिशत गेहूं खरीद लिया।
सरकार गेहूं के भाव पर बनाएगी दबाव
साथियो सरकार को गेहूं हरियाणा में 77 लाख मीट्रिक टन एवं पंजाब में 135 लाख मैट्रिक टन सबसे अधिक गेहूं मिला, बाकी अन्य राज्यों में ट्रेडर्स एवं मिल्लर्स ही ज्यादा खरीद किए हैं। अब सरकार द्वारा पिछले दिनों महंगाई को नियंत्रण के लिए 3000 मीट्रिक टन की स्टॉक सीमा थोक व्यापारियों के लिए किया गया है। यह स्टॉक सीमा महंगाई को रोक पाने के लिए कम नहीं है, यही कारण है कि सरकार द्वारा एक अगस्त से ओपन मार्केट सेल स्कीम में गेहूं बेचने का निर्णय ले लिया है, जिस तरह गत वर्ष बिक्री की गई थी। यह खबर आते ही गेहूं 2700 रुपए प्रति कुंतल के आसपास घूमने लगा है। वर्तमान में 25-30 रुपए घट का 2670/2675 रुपए प्रति कुंतल रह गए हैं, इस योजना में गेहूं की बिक्री सरकार 2300/2325 रुपए कैटिगरी के अनुसार बेचने की घोषणा किया है। अब देखना यह है कि आगामी बिक्री योजना में गेहूं की तेजी मंदी पर क्या प्रभाव पड़ता है। यह अनुमान लगाया जा रहा है की इस बिक्री योजना पर भी गेहूं खुले बाजार में नियंत्रित नहीं रहा, तो सरकार द्वारा संभव भाव और घटाकर बिक्री आगे चलकर की जाएगी । यही कारण है कि अधिकतर स्टॉकिस्ट कारोबारी अपने माल को बेचकर मुनाफा कमाने लगे हैं। वर्तमान में लॉरेंस रोड पर गेहूं के भाव 2670/2675 रुपए प्रति क्विंटल रह गए हैं। फ़िलहाल पिछले साल की तुलना में 230/240 रुपए भाव ऊंचे चल रहे हैं, यह भी भाव आगे जाकर नवंबर-दिसंबर में बने थे।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।