चने के भाव में बनेगा भारी उतार चढ़ाव | दिवाली तक कैसा रहेगा चने का बाजार जाने इस रिपोर्ट में

 

किसान साथियो सरकार द्वारा हाल ही में स्टॉक सीमा लगाने से देसी चने के दामों में 300 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। हालांकि, इन दामों पर उत्पादक मंडियों से माल मिलना मुश्किल हो गया है, जिससे आगे और गिरावट की संभावना नहीं दिख रही है और धीरे-धीरे इसमें फिर तेजी की उम्मीद बन रही है। देसी चने में आई तेजी को देखते हुए सरकार ने जून के तीसरे सप्ताह में थोक व्यापारियों के लिए 200 टन की स्टॉक सीमा लगा दी है। इस निर्णय से लॉरेंस रोड पर खड़ी मोटर में राजस्थानी चना के दाम 7200 रुपए प्रति क्विंटल से गिरकर 6900 रुपए प्रति क्विंटल हो गए हैं। तविकता यह है कि मध्य प्रदेश के इंदौर, ग्वालियर, भोपाल, बीनागंज आदि उत्पादक मंडियों में देसी चने की आवक पूरी तरह से बंद हो गई है। महाराष्ट्र में डेढ़ महीने पहले ही माल आना काफी कम हो गया था। वर्तमान में केवल राजस्थान के शेखावाटी, नोहर, भादरा, सवाई माधोपुर, तारानगर, सरदारशहर आदि उत्पादक मंडियों से ही माल आ रहा है, लेकिन वहां भी आवक में कमी के कारण दिल्ली के पड़ते काफी ऊंचे लग रहे हैं। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करे

सरकार की सख्ती से व्यापारियों ने पिछले 10-12 दिनों के भीतर अपने स्टॉक को घटाकर बेचना शुरू कर दिया है, क्योंकि सरकार ने प्रत्येक शुक्रवार को पोर्टल पर स्टॉक लोड करने की बात कही है। ध्यान देने वाली बात यह है कि देश में देसी चने की खपत 120 लाख मीट्रिक टन है, जबकि कुल उत्पादन 70-75 लाख मीट्रिक टन ही अनुमानित है। वहीं, सरकारी आंकड़ों के अनुसार उत्पादन 115 लाख मीट्रिक टन के आसपास है, जो मंडियों में आपूर्ति और स्टॉक को देखते हुए अधिक लगता है। दिल्ली-एनसीआर में चने का स्टॉक बहुत कम है। दूसरी ओर, स्टॉक सीमा की सख्ती के चलते काफी माल निकल चुका है, जिससे वर्तमान में देसी चने के दाम में और गिरावट की संभावना नहीं है। सरकार ने 200 टन की स्टॉक सीमा लगाई है, जबकि सामान्य व्यापारी एक दिन में ही 100 टन माल बेच लेते हैं। ऐसे में, यदि स्टॉक सीमा नहीं बढ़ाई गई तो पाइपलाइन में माल धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा और आगे चलकर बाजार फिर से ऊंचे दामों पर पहुंच सकता है।

जानकारों का कहना है कि सरकार की सख्ती के चलते वर्तमान में मंदी आ गई है। पिछले 10-12 दिनों में जितनी गिरावट आनी चाहिए थी, उतनी नहीं आई है। इससे पता चलता है कि कहीं भी स्टॉक अधिक नहीं है। मंदी के दौरान दहशत के चलते औने-पौने भाव में माल बिक जाने के बाद आगे चलकर शॉर्टेज की स्थिति बन जाएगी, जिसे नियंत्रित करना काफी कठिन हो जाएगा। सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से आयात को कम कस्टम ड्यूटी पर अनुमति दे दी है और सौदे भी हो रहे हैं, लेकिन वहां के बाजार के तेज होने से वर्तमान भाव से सस्ता नहीं पड़ रहा है। अतः कुछ दिन रुकने के बाद भी देसी चने की शॉर्टेज के चलते इसमें तेजी बनी रहेगी।

सरकारी दबाव के चलते चने का भाव दबा हुआ है। बहुत कम संभावना है कि लंबे समय तक ऐसा ही बाजार रहेगा। उम्मीद लगाई जा रही है दीवाली से पहले फिर से एक बार चना में तेजी का माहौल बन सकता है। यह माहौल चने के भाव को 7500 तक लेकर जा सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दे की सरकार आगे चलकर चने के बाजार पर अपना नियंत्रण बढ़ा सकती है जिसके कारण भाव में तेजी सीमित भी रह सकती है। व्यापार अपने विवेक से ही करें

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।