12 साल के पुराने रेट पर बिक रही सोयाबीन | क्या अब होगा भाव में सुधार जाने सोयाबीन की तेजी मंदी रिपोर्ट में
किसान साथियो पिछले 2 साल से सोयाबीन के भाव लगातार हो रही पिटाई को देखकर अब सोयाबीन के किसानो का हौंसला टूटने लगा है। हालत ऐसी हो गई है कि किसान अब खड़ी फ़सल को जोतने लगे हैं। दोस्तो कहने को तो मध्यप्रदेश को सोया स्टेट कहते है लेकिन सोयाबीन के किसान की हालत ऐसी हो गई है कि अब सोयाबीन बेच कर लागत निकाल पाना भी मुश्किल हो गया है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
साल 2012 में 4900 तक बिका था सोयाबीन
दोस्तों सोयाबीन इस समय बाजारों में 3700 से लेकर 4200 तक बिक रही है । आपकी जानकारी के लिए बताने की साल 2012 में जब सोयाबीन के भाव में तेजी आई थी तो उसे समय सोयाबीन 4900 के पर बिक गया था हालांकि औसत भाव उस समय भी 3800 के आसपास ही चल रहे थे। साल 2024 के भाव को देख तो आज सोयाबीन का भाव 2012 की भावों के आसपास ही चल रहा है । यानी की आज फसल का वह भाव है जो 12 साल पहले मिल रहा था जबकि किसान के खर्चों में कई गुना वृद्धि हो चुकी है । ऐसे में सोयाबीन के किसान काफी हद तक परेशान है। सोयाबीन के दामों में लगातार गिरावट ने भारतीय किसानों, खासकर मध्य प्रदेश के किसानों को काफी परेशान किया है। भाव में हुई गिरावट के बहुत सारे कारण हैं जिनमें विदेशी बाजारों में भावों में गिरावट, घरेलू सरकारी नीतियां, और जलवायु परिवर्तन जैसे कारक शामिल हैं।
सबसे पहले बात करते हैं विदेशी प्रभाव की
अधिक उत्पादन: किसान साथियो ब्राजील, अर्जेंटीना और अमेरिका जैसे प्रमुख सोयाबीन उत्पादक देशों में सोयाबीन के उत्पादन के रकबे में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिल रही है। सारी रिपोर्ट में फ़सल की कंडीशन अच्छी बतायी जा रही है जिससे उत्पादन के बम्पर होने की उम्मीद बन रही हैं। पिछले साल भी अच्छे उत्पादन ने वैश्विक तौर पर सोयाबीन की आपूर्ति में इजाफा किया है। जिसके कारण सोयाबीन के भाव लगातार धराशायी हो रहे हैं ।
चीन की मांग में कमी : चीन दुनिया का सबसे बड़ा सोयाबीन आयातक देश है। चीन में सोयाबीन की मांग में कमी आने से भी विदेशी बाजारों में सोयाबीन के भाव में गिरावट आई है।
घरेलू बाजार में क्यों हुआ बंटाधार
किसान साथियो भारत खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर नहीं है। उसे अपनी जरूरत को पूरी करने के लिए विदेशी बाजारों से हो रहे आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। इतना होने के बावजूद भी भारत में तेल तिलहन किसानो को सही भाव नहीं मिल रहा। आइए इसकी वज़ह जानते हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
सरकारी नीतियां:
साल 2022 में खाद्य तेलों के भाव आसमान छूने लगे थे। उस समय सरकार ने खाद्य तेलों के आयातकों ड्यूटी फ्री कर दिया था। जिसके बाद से तिलहन फसलों के भाव लगातार गिर रहे हैं। गिरते गिरते ये इतना नीचे आ गए हैं कि अब लागत भी नहीं निकल रही। बात केवल सोया की करें तो सोया तेल के आयात को लेकर पहले इम्पोर्ट ड्यूटी 32 प्रतिशत तक थी। इम्पोर्ट ड्यूटी अधिक होने से विदेशी बाजारों से भारत में सोयाबीन तेल का आयात कम होता था। सरकार ने इसे घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया। इससे दूसरे देशों से भी कम दामों पर सोया तेल भारत आने लगा। इससे देश के अंदर सोयाबीन की डिमांड कम हो गई। ड्यूटी घटने से विदेशी तेल इतने सस्ते हो गए हैं कि घरेलू बाजार में सोयाबीन खरीद कर तेल बनाना महंगा पड़ रहा है।
बांग्लादेश के मार्केट पर भी असर
भारत के लिये सबसे बड़ा सोयाबीन और सोया खल का मार्केट बांग्लादेश प्रोवाइड कराता है। बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन के घटनाक्रम के बाद निर्यात पर काफी असर पड़ा है। एक्सपोर्ट डिमांड घटी है। जिसके चलते भाव अपर और दबाव आया है। आयात शुल्क में कमी, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में अपर्याप्त वृद्धि, MSP पर सोयाबीन की सरकारी खरीद नहीं होने और मंडी व्यवस्था में खामियां जैसी सरकारी नीतियों ने घरेलू उत्पादकों पर दबाव बढ़ाया है। अन्य तेलों का बढ़ता उत्पादन: पाम ऑयल और सूरजमुखी तेल जैसे अन्य तेलों के उत्पादन में वृद्धि ने सोयाबीन तेल की मांग को कम किया है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
आगे कैसे रह सकता है सोयाबीन का बाजार
किसान साथियो इस साल जुलाई तक देश में 107 लाख टन सोयाबीन की आवक पूरी हो चुकी है। वही पिछले साल 99.5 लाख टन की तुलना में तक 104.50 लाख टन सोयाबीन की कँशिंग हो चुकी हैं किसान, स्टांकिस्ट और प्रोसेसर के पास अगस्त शुरुआत में 27.11 लाख टन सोयाबीन अब भी पड़ा है पिछले वर्ष अगस्त महीने की शुरुआत में 38.56 लाख टन सोयाबीन स्टॉक उपलब्ध था। सितंबर के मध्य सें सोयाबीन की कटाई शुरु होने तक मौजूदा स्टॉक पर्याप्त है। वहीं औसत क्रशिंग को देखते हूए इस वर्ष लगभग 10-12 लाख टन कैरी फैॉरवर्ड में जाने का अनुमान है। इस वर्षं की भारत में किसान ने अच्छी बुवाई की है और मौसम भी अनुकूल बना हआ है। इसलिए ऊंचे उत्पादन का अनुमान है और कैरीं फॉरंबई स्टॉक भी रहेगा इतने बडे स्टॉक को खपाने के लिए सरकार को आयातित तेलों पर आयात शुल्क बढाने और सोयमील निर्यात को प्रोत्साहन देने की की जरुरत है पिछले दो साल से सोयाबीन व्यापारी और प्रोसेसर लगातार नुकसान झेल रहे हैं ऐसे में सरकार को तुरंत कडे कदम उठाने की जरूरत हैं बिना सरकारी हस्तकषेप , सोयाबीन में इस साल भी तेजी की, उम्मीद नहीं की जा सकती पिछले दो सालों की तरह इस साल भी सीजन की शुरुआत से पहले हल्की तेजी और फिर पुरे साल चाल सुस्त रहने का अनुमान है। अभी कटाई में समय हैं इसलिए एक हल्की तेजी की उम्मीद है। जो किसान साथी माल लेकर बैठे हैं वे इसी तेजी में माल निकाल दें। व्यापार अपने विवेक से करें
👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट
👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव
👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें
About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।