काबुली चना के नये माल से पहले आ सकती तेजी

 

किसान साथियों इस बार सीजन में एक बार नीचे भाव बनने के बाद काबुली चने में भारी उथल-पुथल बनी रही। काबुली चने की बिजाई अधिक हुई थी, जिससे उत्पादन में पांच लाख टन की वृद्धि हुई है, लेकिन निर्यात मांग बेतहाशा रही है, क्योंकि सभी उत्पादक देशों में शॉर्टेज रही है, जिससे भारतीय काबली चने की मांग चौतरफा बढ़ गई। यही कारण है कि जो महाराष्ट्र का काबुली चना गत दिवाली पर 82 रुपए प्रति किलो बिका था, वह नई फसल फरवरी मार्च में आने पर 70/71 रुपए नीचे में बन गया था, लेकिन इंदौर भोपाल लाइन से लगातार यूरोपियन देशों के साथ-साथ यूएसए, यूएई को मोटे काबुली चने का निर्यात होने से मीडियम काबुली चना भी लगातार बढ़ता चला गया। यही कारण है कि इसके भाव छलांग लगाकर वर्तमान दिवाली पर 126 रुपए प्रति किलो हो गए। गौरतलब है कि अक्टूबर के अंत में यह 129/130 रुपए भी बन गया था। इसी तरह कर्नाटक का काबुली चना 132/133 रुपए ऊपर में बन गया था। इंडियन मेक्सिको काबुली चने के भाव 142/145 रुपए प्रति किलो के बीच बिना छने हुए बोलने लगे हैं तथा आगे भी नई फसल आने तक इसमें 10-15 रुपए प्रति किलो की और तेजी की संभावना दिखाई दे रही है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

गौरतलब है कि काबली चने में पिछले एक माह के अंतराल ग्राहकी कमजोर होने एवं मुनाफा वसूली बिकवाली से 8/9 रुपए घटकर महाराष्ट्र के भाव 119/120 रुपए प्रति किलो रह गए थे, जो विगत दो-तीन दिनों में उत्पादक मंडियों से पड़ते नहीं लगने तथा घटे भाव में लगातार लोकल व चालानी मांग निकलने से पुन: उछलकर 125/126 रुपए प्रति किलो भाव हो गये हैं। उत्पादक मंडियों से माल मंगाने में 132 रुपए का पड़ता आ रहा है, इसे देखते हुए इसके भाव पुन: 135-136 रुपए प्रति किलो बन जाएंगे, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भाव ऊंचे हैं तथा काबली चना किसी भी मंडी में ज्यादा नहीं है। काबुली चने की नई फसल आने में अभी पूरा 4 महीने का समय बाकी है, उससे पहले कनाडा यूक्रेन सहित अन्य अफ्रीकन देशों में भी काबुली चने के उत्पादन में कमी होने से पुराना स्टॉक नहीं बचा है। यह भी पढ़े :- तो इस तरह से 5000 के पार हो जाएंगे धान के भाव, बासमती तेजी मंदी रिपोर्ट

कनाडा में नई फसल आ रही है, लेकिन वहां भी बाजार पाइपलाइन में माल की कमी होने से ऊंचे बोल रहे हैं तथा फसल भी कम बता रहे हैं, इन परिस्थितियों में काबुली चने की कीमत बनी रहेगी तथा रुक-रुक कर बाजार अभी और बढ़ सकता है। काबुली चने का उत्पादन इस बार 15 लाख से बढ़कर 20 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ है। उत्पादन में भारी वृद्धि होने के बावजूद भी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से घरेलू निर्यात में 37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा इस बार 77 प्रतिशत मोटा काबली चना निर्यात हो गया है। दूसरी ओर अभी नई फसल आने में लंबा समय बाकी है तथा महाराष्ट्र कर्नाटक में माल की कमी बन गई है। इंदौर भोपाल लाइन से अभी भी निर्यातक खरीद कर रहे हैं, इसे देखते हुए दिवाली के बाद भी बाजार तेज रह सकता है बाकी व्यापार अपने विवेक से करे।

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।