क्या इस साल 1121 धान में 5000 के भाव संभव हैं | जाने बासमती की सबसे सटीक तेजी मंदी रिपोर्ट में

 

किसान साथियो बासमती धान का भाव मुख्य रूप से 2-3 बातों पर निर्भर करता है। इसमे सबसे पहली और मुख्य बात है कि बासमती की अंतर्राष्ट्रीय डिमांड कैसी है। दूसरा मुख्य फैक्टर है कि बासमती का उत्पादन कैसा है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति - अशांति का माहौल, भारतीय बासमती को आयात करने वाले देशों की वित्तीय स्थिति उनके परस्पर संबंध भी बासमती के भाव को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। आज की रिपोर्ट में हम इन सभी मुद्दों को बारी बारी से समझेंगे और आने वाले समय में बासमती धान के भाव की तेजी मंदी का अंदाजा लगाने का प्रयास करेंगे। और साथ ही यह जानने की कोशिश करेंगे कि क्या पिछले साल की तरह इस साल 1121 धान के भाव 5000 रुपये प्रति क्विंटल से उपर जा सकते हैं या नहीं। 

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ताजा मार्केट अपडेट
जैसा कि आप सबको पता है कि बासमती के बाजार में बासमती के भाव में इस समय कन्सालिडेशन की स्थिति बनी हुई है। धीरे-धीरे धान के भाव में हल्का सुधार हो रहा है और 1121 और 1718 के भाव धीरे धीरे क्रमशः 4200 और 3900 के करीब जा चुके हैं। बुधवार को समालखा मंडी मे धान 1885 के भाव में खासा उछाल देखने को मिला है और भाव 3821 रुपए तक बोले गए हैं । पानीपत की मतलोडा मंडी में 1121 धान का रेट 4105 रुपये और 1718 धान का भाव 3850 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच चुका है। इसी तरह से पिल्लू खेड़ा मंडी, नरेला मंडी, जींद और जुलाना जैसी मंडियों में भी 1121 धान के भाव 4100 से 4200 के आसपास पहुंच चुके हैं। हालांकि अन्य धान में इसी अनुपात में तेजी देखने को नहीं मिल रही है। अन्य वैरायटी को देखें तो 1401 के भाव कई मंडियों में 3350 के पार हो चुके हैं। लेकिन यहाँ भी पिछले साल के मुकाबले 1000 रुपए की कमजोरी चल रही है । इसी तरह से बासमती 30 नंबर के भाव अभी तक खुले नहीं है क्योंकि किसी भी मंडी में आवक नहीं हुई है । जिस तरह से 1401 और PB1 के भाव पिटे हैं उसे देखते हुए बासमती 30 में 5500 से उपर के भाव ना मिलने की आशंका बन रही है । भले ही चावल के भाव ना बढ़े हों लेकिन बाजार के सेंटीमेंट को देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि बासमती के बाजार में यहां से आगे तेजी रहने वाली है।

डिमांड पर क्या है अपडेट
साथियो दुनिया भर में बासमती का उपभोग बढ़ रहा है। साल 2021-22 में भारत ने 39 लाख टन बासमती का निर्यात किया था जबकि साल 2022-23 में 49 लाख टन बासमती का निर्यात किया गया। साल 2023-24 में तो जुलाई तक ही भारत ने 52 लाख टन बासमती का निर्यात कर चुका है । आप खुद ही देख सकते हैं कि  साल दर साल बासमती का निर्यात बढ़ रहा है। निर्यात बढ़ने के साथ साथ बासमती चावल की घरेलू डिमांड भी बढ़ रही है । दोस्तों जिस तरह से  डिमांड बढ़ रही है लेकिन सप्लाई उस अनुपात में नहीं बढ़ रही है। इसलिए हमारा मानना है कि बासमती के बाजार में मंदी का माहौल ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाएगा ।

चावल के भाव का क्या है इशारा
किसान साथियों चावल के भाव को देख तो बासमती का बाजार यहां से आगे बड़ी तेजी की तरफ इशारा तो नहीं कर रहा लेकिन कल जिस तरह से 1509 सेला और स्टीम चावल के भाव में 200 रुपए कि तेजी आई है उससे बाजार में सेंटीमेन्ट सुधरा है । मंडी भाव टुडे पर हम पहले भी चावल के भाव को संदर्भ में रखते हुए धान के भाव का विश्लेषण कर चुके हैं।  बढ़िया से बढ़िया 100 किलो धान में केवल 67 किलो चावल ही बन पाता है । चूंकि बासमती का चावल लंबा होता है इसलिए इसमे टूटत ज्यादा आती है और 60-65 किलो के बीच ही चावल मिल पाता इस हिसाब से मिलर को 100 किलो चावल बनाने के लिए लगभग 150-160  किलो धान खरीदना पड़ता है। दोस्तों इस समय के हिसाब से धान का टॉप से टॉप माल का भाव 4200 रुपये प्रति क्विंटल भी लगा दें तो रुपये 6500 रुपये के आसपास की धान खरीदनी पड़ेगी। इसमे 50-100 रुपये प्रति क्विंटल की मिलिंग, हैंडलिंग और ट्रांसपोर्ट कॉस्ट भी जोड़ दें तो भी कुल खर्च 7500 से उपर नहीं जाता। चावल के भाव को देखें तो इस समय 1121 स्टीम A+ ग्रेड चावल का रेट 8500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। जबकि इसके सेला चावल का रेट 8000 के उपर चल रहा है। किसान साथियो मार्जिन को देखते हुए और उपर दिए गए विश्लेषण से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 4500 के भाव होने पर भी किसी को कोई नुकसान नहीं है बशर्ते 1121 चावल की ग्राहकी बनी रहे। हालांकि चावल के कमजोर भाव को देखते हुए पड़ता ना होने के कारण 5000 के भाव होने पर संशय जरूर बनता दिख रहा है ।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कैसा है माहौल
किसान साथियों जहां तक डिमांड की बात है अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस समय बासमती की बढ़िया मांग है। पिछले साल में बासमती का निर्यात बढ़ना इस बात कि पुष्टि करता है कि डिमांड में कोई कमी नहीं आई है । इस साल बासमती का उत्पादन भी ठीक ठाक रहने की उम्मीद है। दोस्तों जब डिमांड बढ़िया है तो फिर बासमती चावल के भाव क्यूँ घटे हैं ? आईए जानते हैं । ताजा महोल को देखें तो बासमती में तेजी को लेकर बाकी तो सब ठीक दिखाई देता है  लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माहौल इस समय इतना अच्छा नहीं लग रहा है। एक तरफ जहां पर इजरायल और ईरान की लड़ाई चल रही है वहीं अभी तक हमास वाला मैटर भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है । अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तनाव रहने से बीमा और जहाजों का किराया बढ़ गया है जिसके कारण बासमती चावल के भाव कमजोर हुए हैं । वहीं दूसरी तरफ ईरान पर अंतरराष्ट्रीय कम्युनिटी द्वारा प्रतिबंध भी लगाया जा सकते हैं। अगर ऐसा कुछ होता है तो एकाएक बासमती चावल की डिमांड कम भी हो सकती है क्योंकि ईरान भारत से निर्यात का लगभग एक तिहाई हिस्सा खरीदता है। अमेरिका में चुनाव होने हैं और अगर ट्रम्प प्रेसीडेंट बनते हैं तो वे ईरान पर प्रतिबंध लगा सकते हैं । इसलिए यह समाचार भी बासमती के भाव में तेजी बनने के हिसाब से अच्छा नहीं है।

बासमती को रोके बेच दें
किसान साथियों इस समय बासमती के भाव में इस समय कन्सालिडेशन या फिर यूं कहें कि स्लो वाली तेजी का माहौल बना हुआ है। अगर डिमांड और सप्लाई के रूल को देखें तो आगे और भी तेजी बन सकती है। जैसे जैसे सीजन आगे चलेगा वैसे वैसे भाव में सुधार होता रहेगा । बासमती के भाव इस समय बहुत अच्छे स्तर पर तो नहीं चल रहे लेकिन इसे संतोषजनक तो माना जा सकता है । जहां तक रोकने और बेचने की बात है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय माहौल धीरे-धीरे बिगड़ रहा है इसलिए किसान साथियों को रिस्क को कैलकुलेट करके चलना चाहिए। साथियों इसमें कोई शक नहीं है कि अगर हालात स्थिर बने रहे तो जल्दी ही 1121 के भाव 4500 के पार चले जायेंगे। लेकिन मंडी भाव टुडे का मानना है कि बहुत ज्यादा रिस्क न लेते हुए थोड़ा बहुत माल निकलने में समझदारी है। व्यापार अपने विवेक से ही करें

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।