गेहूं को लेकर बड़ी खबर | जाने कब आयेगी गेहूं में तेजी | रिपोर्ट

 

किसान साथियो गेहूं का उत्पादन और सरकारी खरीद के लक्ष्य से पिछड़ने के कारण पिछले दिनों  मई के महीने में गेहूं के खरीददार चौतरफा लिवाली में आ गए थे। जिसके चलते गेहूं के भाव में लगातार तेजी बनती जा रही थी। लेकिन बढ़ती महंगाई को देखकर जल्दी ही सरकार हरकत में आ गई और सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं की बिक्री टेंडर द्वारा खोल दिए जाने एवं स्टॉक सीमा लगा दिए जाने से गेहूं में अपेक्षित तेजी अब समाप्त होती दिख रही है। बहुत सारे किसानों ने गेहूं को स्टॉक करके रखा हुआ है और वे जरूर जानना चाह रहे होंगे कि गेहूं में फिर से तेजी कब तक बन सकती है। आज की रिपोर्ट में हमने गेहूं की तेजी मंदी का विश्लेषण करने की कोशिश की है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

साथियो जैसा कि आप सबको पता है कि पिछले साल सरकार को लक्ष्य का आधा गेहूं भी नहीं मिला था यही वज़ह थी कि सरकारी तंत्र इस साल काफी ऐक्टिव दिख रहा था। इस साल सीजन के प्रारंभ से ही FCI खरीद के लिए तत्पर रही है। सरकार द्वारा खरीद के नियम में भी बदलाव करके 6 प्रतिशत सिकुड़े एवं टुकड़े माल की खरीद की बजाय 18 प्रतिशत तक खरीद करने की छूट दे दी गई थी, जिससे अप्रैल के महीने में ही सरकार को प्रचुर मात्रा में गेहूं मिलने लगा था। एक समय ऐसा लग रहा था कि इस साल सरकार जल्दी ही अपने खरीद लक्ष्य को पूरा कर लेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। गेहूं के उत्पादन का पूर्व अनुमान 1121 लाख मैट्रिक टन से घटकर 1090 लाख मैट्रिक टन रह जाने के कारण स्टॉकिस्ट चौतरफा खरीद में आ गए। दक्षिण भारत की मंडियां पहले से ही खाली थी तथा केंद्रीय पूल में भी इस बार गेहूं का पुराना स्टॉक कम बचा था। इन सारी परिस्थितियों को देखकर छोटी-बड़ी कंपनियों द्वारा हर भाव में मई के महीने में प्रतिस्पर्धात्मक खरीद शुरू कर दी गई थी। यही कारण है कि दिल्ली लॉरेंस रोड़ पर गेहूं नीचे में 2260/2265 रुपए प्रति क्विंटल एवं मध्य प्रदेश की मंडियों में 2050/ 2060 रुपए प्रति क्विटल तक पिटने के बाद छलांग लगाकर मध्य प्रदेश में 2350 रुपए तथा दिल्ली लॉरेंस रोड पर 2530 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था।

गेहूं के भाव में निरंतर तेजी को देखते हुए ठीक इसी समय जून महीने में सरकार ने गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगा दी। लिमिट के तहत थोक विक्रेताओं एवं बड़ी कंपनियों के लिए 3000 मीट्रिक टन की स्टॉक सीमा निर्धारित कर दी गई। इसके तुरंत बाद सरकार ने दूसरा कदम उठाया और शीघ्र ही ओएमएसएस के माध्यम से खुले बाजार में टेंडर द्वारा बिक्री का ऐलान कर दिया।

सरकार के इन दोनों कदमों का असर बाजार पर अब दिखने लगा है। दिल्ली लॉरेंस रोड़ पर गेहूं का बाजार टूटकर वर्तमान में भाव 2440/ 2460 रुपए प्रति क्विंटल रह गए हैं। जबकि मध्य प्रदेश की मंडियों में भी गेहूं के भाव 2270/2280 रुपए प्रति क्विटल के निम्न स्तर पर लौट आए हैं। OMSS के तहत सरकार द्वारा 31 मार्च 2024 तक 15 लाख मैट्रिक टन देश के प्रांतों में खुले बाजार में गेहूं बेचा जाना है। इसकी पहली साप्ताहिक किस्त में 1.2 लाख मीट्रिक टन गेहूं छोड़ा गया था, जिसमें कुल 89000 मेट्रिक टन ही टेंडर में बिक पाया है, जिसमें 1340 आवेदक थे। दूसरी किस्त में 4 लाख मेट्रिक टन का टेंडर मागे गए थे, इसमें भी कुल 65 हजार मीट्रिक टन का व्यापार सुना गया है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बीते वर्ष 2022-23 में फरवरी से 15 मार्च तक सरकार द्वारा 33.7 लाख मैट्रिक टन गेहूं बेचा गया था, वर्ष 2021-22 में 70 लाख मीट्रिक टन एवं 2020-21 में 25 लाख मैट्रिक टन गेहूं की बिक्री ओएमएसएस के माध्यम से की गई थी। अब देखने वाली बात यह है कि इस बार 31 मार्च 2024 तक 15 लाख मीट्रिक टन गेहूं दिया जाना है। डिमांड के हिसाब से यह बहुत बड़ी मात्रा नहीं है। इसलिए इस गेहूं का मंडियों में प्रेशर नहीं बन पाएगा। कहने का मतलब यह है कि सरकार द्वारा 15 लाख टन की बिकवाली का गेहूं के भाव पर बहुत बड़ा प्रेशर आने की संभावना कम है। लेकिन यह कुछ दिन तक गेहूं की तेजी को रोकने के लिए काफी है।

जैसा कि आप सबको पता है कि केंद्रीय पूल में गेहूं की कुल खरीद 262 लाख मैट्रिक टन के करीब हुई है, जो निर्धारित लक्ष्य से कम रही है। साल 2023-24 के लिए सरकार ने गेहूं खरीद का लक्ष्य 341.50 लाख मैट्रिक रखा था, लेकिन सीजन के पीक समय में ही उत्पादक मंडियों में भाव 2250 / 2300 रुपए प्रति क्विंटल हो जाने से, सरकारी धर्मकांटों पर गेहूं की आपूर्ति घट गई थी, क्योंकि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से ही खरीद कर रही थी। यही कारण है कि केंद्रीय पूल की बजाए प्राइवेट सेक्टर में गेहूं का स्टॉक प्रचुर मात्रा में जमा हो गया है। स्टॉक की बात करें तो 1 जुलाई 2023 को FCI के पास 301 लाख मैट्रिक टन के करीब गेहूं का स्टाक होने का अनुमान है। जबकि खाद्य सुरक्षा अधिनियम एक्ट के अंतर्गत 184 लाख मैट्रिक टन की जरूरत है। चूंकि सरकारी एजेंसी के पास प्रचुर मात्रा में स्टॉक बचा है और यदि सुचारू रूप से ओएमएसएस में रोलर फ्लोर मिलों एवं आटा चक्कियों को गेहूं मिलता रहा, तो दिवाली से पहले लंबी तेजी नहीं बन पाएगी। ऐसे में दिवाली के बाद ही गेहूं में तेजी आने की उम्मीद लगायी जा सकती है। दीवाली तक गेहूं के भाव ५० रूपए की तेजी मंदी के बीच बने रह सकते हैं । व्यापार अपने विवेक से करें।

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।