दिवाली के बाद चना के भाव मे बन सकती है तेजी जाने इस रिपोर्ट मे

 

किसान साथियों सरकार द्वारा बफर स्टॉक से देसी चने की बिकवाली किए जाने एवं स्टॉक सीमा पिछले दिनों घटा दिए जाने से कारोबारी ज्यादा चना नहीं मंगा रहे हैं। दूसरी ओर बाहरी ट्रेड के कारोबाऋ अपना माल निपटा चुके हैं। विशेषज्ञों को सरकार के पास भी रिकॉर्ड के अनुरूप बफर स्टॉक में माल नहीं होने का आभास हो रहा है, इन परिस्थितियों में रुक-रुक कर चना के बाजार तेज रहने की ही संभावना दिखाई दे रही है। ताजा सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक उत्पादक व वितरक किसी भी मंडी में देसी चने का स्टॉक खपत के अनुरूप नहीं है। दूसरी ओर नयी फसल आने में अभी 5 महीने का समय बाकी है तथा बरसात कम होने से कर्नाटक आंध्र प्रदेश में बिजाई कम हुई है। राजस्थान में भी पानी की जरूरत है। अतः पानी कमी को देखते हुए अगला उत्पादन भी बहुत ज्यादा होने वाला नहीं है। सरकार द्वारा ढाई महीने पहले देसी चने की स्टॉक सीमा 200 से घटाकर 50 मेट्रिक टन कर दिए जाने से एक बार देसी चने की महंगाई रुक जरूर गई है, लेकिन पाइप लाइन में माल नहीं होने से एक बार फिर से चारों तरफ चने की किल्लत बनने लगी है । WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

दिवाली के बाद चना के भाव मे बन सकती है तेजी
देखा जाये तो पिछले कुछ दिनों में चने में ऊपर के भाव से 250 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। लॉरेंस रोड पर खड़ी मोटर में राजस्थानी चना 6400 रह गए हैं, लेकिन राजस्थान एमपी महाराष्ट्र की मंडियों से आवक देसी चने की आपूर्ति एक पखवाड़े में 21-22 प्रतिशत औसतन प्रति मंडी कम हो रही है। दूसरी ओर वर्तमान भाव से सरकारी माल अब महंगे पड़ने लगे हैं, क्योंकि उस चने में दाल व बेसन का कश कम बैठ रहा है। इस वजह से एक बार फिर राजस्थानी प्राइवेट सेक्टर के स्टॉक किए हुए देसी चने की पूछ परख निकलने लगी है। जानकारों का कहना है कि पिछले साल आई मंदी को देखते हुए किसानों में घबराहट का माहौल बना हुआ है, लेकिन आगे दिवाली के साथ-साथ देव उठनी एकादशी के बाद शादियों की मांग बढ़ जाएगी। दूसरी ओर उड़द, तुवर, मूंग, राजमा, काबली चना की तुलना में देसी चना आम उपभोक्ताओं को सस्ता पड़ रहा है, इस वजह से खपत, अन्य दालों की तुलना में अधिक रहने की स्थिति में बाजार यहां से फिर से तेज होने का आभास हो रहा है।

इस बार देशी चने का रकबा घटा है
साथियों गोर करने कि बात यह है कि इसका उत्पादन चालू सीजन में मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक सहित सभी उत्पादक राज्यों में 30-31 प्रतिशत कम रह जाने का अनुमान है, क्योंकि पिछले 3 सालों से देसी चने में मंदा चलने से किसानों का रुझान इसकी बजाय मटर व मसूर की बिजाई में ज्यादा था। जिससे इसका बिजाई रकबा घट गया है। दूसरी ओर प्रति हेक्टेयर उत्पादकता भी कम रहा है। महाराष्ट्र में बिजाई कम होने के साथ-साथ 6 प्रतिशत उत्पादकता कम रही है, उधर ग्वालियर - इंदौर लाइन में सामान्य हुई है, लेकिन वहां बिजाई कम होने से आवक समाप्ति की ओर है, राजस्थान में बिजाई कम होने से सकल उत्पादन में भारी कमी हुई है, उसमें दाने छोटा रह गए थे, क्योंकि फसल तैयार होने पर मौसम प्रतिकूल रहा है । वहां पर सरसों एवं मसूर की बिजाई ज्यादा किसानों ने किया है, जिस कारण सकल उत्पादन देसी चने का 110 लाख मैट्रिक टन से घटकर 70 लाख मीट्रिक टन रह गया है।

चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5350 रखा गया है
साथियों सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य 5350 रुपए प्रति क्विंटल रखा गया है तथा अप्रैल-मई के महीने में सरकार किसानों से देसी चना 16 लाख मीट्रिक टन के करीब किया था इस वजह से उत्पादक मंडियों में भी किसानी चने की आवक घट गई है। सरकार द्वारा देसी चने की बिक्री की जा रही है, लेकिन पड़ते के अभाव में ज्यादा मंदा बेचने की इच्छुक नहीं है। न्यूनतम समर्थन मूल्य 5350 रुपए में खरीद किया गया है, जो सरकार के घर में ब्याज भाड़ा लगाकर 6000 रुपए का पड़ा है, बाकी व्यापार अपने विवेक से करे

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।