चना के भाव में तेजी फिर पकड़ सकती है रफ़्तार | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
किसान साथियो देशी चने का उत्पादन कम होने से मंडियों में इसकी आवक में कमी देखी जा रही है। दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया में चने के भाव बढ़ जाने से भारतीय बंदरगाहों पर आयातित चने महंगे मिल रहे हैं। इस कारण, दाल का भाव घटने के बावजूद भी कच्चे माल की कीमत 7075 रुपये प्रति क्विंटल से कम नहीं हो रही है। वर्तमान में, राजस्थान से माल मंगाने पर 7160 रुपये प्रति क्विंटल का खर्च आ रहा है। इस स्थिति के चलते चने की कीमतों में फिर से वृद्धि की संभावना बन रही है।
चना का डेढ़ महीने में 500 रुपए तक टुटा
मई महीने के लास्ट में जब देसी चने की कीमतें दिल्ली में 7500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच गईं, तब सरकार ने इस पर ध्यान दिया और जून में स्टॉक सीमा 200 मीट्रिक टन तक सीमित कर दी। इसके परिणामस्वरूप, डेढ़ महीने पहले की तुलना में कीमतों में 500 रुपये की गिरावट देखी गई और पिछले पखवाड़े में 200 रुपये के उतार-चढ़ाव के साथ व्यापार हो रहा है। पिछले महीने, जब कीमतें 6850 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई थीं, अब वर्तमान में लॉरेंस रोड पर 7075 रुपये प्रति क्विंटल की दर से व्यापार हो रहा है, और अच्छी गुणवत्ता वाला चना 7100 रुपये से कम में नहीं मिल रहा है। देसी चने का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों ही कम होने के कारण उत्पादक मंडियों में माल का प्रेशर नहीं है। इसी वजह से दाल और बेसन की तुलना में कच्चा माल ऊंची कीमतों पर बिक रहा है।
फ़िलहाल बाजार में क्या हो रहा है
आज की तारीख में, 7075 रुपये प्रति क्विंटल का देसी चना मिलिंग करने पर दाल की कीमत 7950 रुपये प्रति क्विंटल पड़ रही है, जबकि बाजार में दाल 7850 रुपये में भी कम बिक रही है। यही स्थिति बेसन के उत्पादन में भी है, जहां मिलों को कोई लाभ नहीं हो रहा है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश की किसी भी उत्पादक मंडी में इस बार माल का प्रेशर नहीं है। पिछले दिनों कुछ बंदरगाहों पर ऑस्ट्रेलिया से आए माल की आवक थी, लेकिन वह भी 7200 रुपये से अधिक की लागत पर पड़ रहा है और उसकी गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं है। इस स्थिति को देखते हुए दाल मिलर्स राजस्थानी चने की खरीदारी करने लगे हैं। मध्य प्रदेश का अधिकतर माल इंदौर और कटनी लाइन की दाल मिलों में जा चुका है, ग्वालियर के व्यापारी भी मध्य प्रदेश का चना ऊंचे भाव में खरीद चुके हैं, और महाराष्ट्र से आवक पहले ही काफी कम हो गई थी। इन परिस्थितियों में देसी चने में रुक-रुक कर तेजी की संभावना बनी हुई है।
सरकार फिर से गिरा सकती है भाव को
जानकारों का कहना है कि सरकार की सख्ती से अस्थायी बाजार कभी भी दब सकता है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से देसी चने में तेजी की संभावना बनी हुई है। शेखावाटी लाइन का चना यहां आकर 7175 रुपये प्रति क्विंटल पड़ रहा है। नोहर, भादरा और सवाई माधोपुर का माल भी 7150 रुपये प्रति क्विंटल की लागत से मिल रहा है। महाराष्ट्र का माल 7200-7250 रुपये प्रति क्विंटल की लागत पर उपलब्ध है। इन परिस्थितियों को देखते हुए, वर्तमान भाव के देसी चने में अब कोई जोखिम नहीं लग रहा है। गौरतलब है कि सरकार ने पिछले महीने के अंत में देसी चना और तुवर पर 200 मीट्रिक टन की स्टॉक सीमा लगा दी थी, जिससे बाजार एक बार दब गया था। लेकिन उत्पादक मंडियों में आवक नहीं होने से वर्तमान भाव में फिर तेजी के संकेत मिल रहे हैं। इस बार देसी चने की बिजाई मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, और आंध्र प्रदेश सहित सभी उत्पादक राज्यों में 40 प्रतिशत कम हुई थी और मौसम भी प्रतिकूल होने के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादकता कम रही है। यही कारण है कि देसी चने का उत्पादन लगभग 65-66 लाख मीट्रिक टन के करीब रह गया है। बाकि व्यापार अपने विवेक से ही करे
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।