तूफानी तेजी के बाद अब जीरे में बन सकती है नरमी | जीरा की सबसे सटीक रिपोर्ट

 

पिछले दिनों जीरे में आयी तेजी की चमक अब फीकी पड़ सकती लगी है। ऊंझा मंडी में जीरे की आवक घटकर 5-6 हजार बोरियों से भी कम हो चुकी है लेकिन इसके बावजूद भी जीरे के भाव अब नरमी की तरफ जाने लगे हैं। मंडी भाव टुडे पर हम अपनी सभी रिपोर्ट में बताते हैं कि किसी भी फ़सल में बहुत लम्बे समय तक तेजी या मंदी का दौर लगातार नहीं चल सकता। पिछले दिनों जीरे में आयी तूफानी तेजी में जीरे के भाव ढाई गुना तक बढ़ गए थे। लेकिन व्यापारिक सूत्रों ने बताया कि तुर्की में नई फसल के जीरे की कीमत तुलनात्मक रूप से नीची खुलने के कारण आयातक देशों की मांग कमजोर पड़ने के कारण घरेलू बाजारों में नवीनतम मंदी आई है। पता चला है कि निचले भाव पर तुर्की-सीरिया में जीरे के निर्यात की मांग भी देखी जा रही है।

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साथियो विदेशी बाजारों की डिमांड और सप्लाई में परिवर्तन का असर घरेलू बाजारों में थोड़ा लेट ही दिखाई देता है। यही वज़ह है कि विदेशों में भाव नीचे आने के समाचार के बाद भी यहां पर जीरे का बाजार तेज हो रहा है क्योंकि उपलब्धता सामान्य से तंग बनी हुई है। स्थानीय थोक किराना बाजार में भी लिवाली मजबूत ही बनी होने से जीरा सामान्य हाल 500 रुपए तेज होकर 48/49 हजार रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर बना हुआ है । इससे पूर्व हाल ही में इसमें एक हजार रुपए की तेजी आई थी। व्यापारियों का कहना है कि किसानों ने अपनी जीरा फसल की बिक्री और घटा दी है। जिसके चलते जीरे की आवक और घटकर करीब 5-6 हजार बोरियों की रह गई।
उन्होंने आगे बताया कि आवक में आई नवीनतम कमी के बाद भी लिवाली कमजोर ही बनी होने से जीरे की थोक कीमत में मंदी आई। व्यापारियों, स्टॉकिस्टों के साथ-साथ निर्यातकों की लिवाली भी कमजोर पडने से 'जीएल गुलाब' जीरा 100 रुपए मंदा होकर 8650 / 8700 रुपए प्रति 20 किलोग्राम के स्तर पर आ गया। इसी प्रकार, 'गणेश' जीरा भी 8800/ 8825 रुपए प्रति 20 किलोग्राम पर 25 रुपए मंदा हुआ।

व्यापरियों के हवाले से पता चला है कि  तुर्की और सीरिया की जीरा फसल काफी छोटी होती है और यह करीब एक महीने तक ही चलती है। व्यापरियों का यह भी कहना है कि भारतीय जीरे की तुलना में तुर्की और सीरिया के जीरे की क्वालिटी हल्की होती है लेकिन उसकी कीमत नीची खुलने के कारण आयातकों के लिए वह सीमित समय के लिए आकर्षक हो गया है। यही वजह है कि विभिन्न आयातक देशों ने अब भारत की बजाय इन दोनों देशों का रुख कर लिया है। तुर्की और सीरिया में जीरे की नई फसल चालू हो गई है। और इस बार इसकी कीमत 5000- 5200 डॉलर प्रति टन पर खुली है । अब देखने वाली बात यह है कि क्या तुर्की और सीरिया की फ़सल जीरे के भाव को नीचे ला पाएगी। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

भारतीयो मसाला बोर्ड द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 के आरंभिक ग्यारह महीनों की अवधि में 3690.61 करोड़ रुपए कीमत के कुल एक लाख 67 हजार 28 टन जीरे का निर्यात हुआ है। बीते वित्त वर्ष की आलोच्य अवधि में इसकी 2 लाख 2 हजार 374 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और 3072.79 करोड़ रुपए की आय हुई थी । इन आंकड़ों से पता चलता है कि मात्रा के आधार पर इस बार जीरे के निर्यात में 17 प्रतिशत की कमी आई है जबकि आय के आधार पर इसमें 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है ।

व्यापारिक सूत्रों का कहना है कि तुर्की और सीरिया की नई फसल की वजह से आने वाले करीब एक महीने तक घरेलू बाजारों में जीरा दबाव में बना रहने के आसार हैं। इस दौरान इसकी थोक कीमत 400-500 रुपए प्रति 20 किलोग्राम की मंदी भी आने की आशंका व्यक्त की जा रही है। व्यापार अपने विवेक से करें।