बालियां निकालते समय धान में ये खाद डाल दो | एक एकड़ से ही बन जाएंगे लखपति

 

धान की फसल में यूरिया देने के बाद होने वाले बदलाव और पैदावार में वृद्धि के उपाय

नमस्कार किसान साथियों मंडी भाव टुडे रिपोर्ट  में आपका स्वागत है। आज हम चर्चा करेंगे कि धान की फसल में आखिरी यूरिया देने के बाद पौधों में किस तरह के बदलाव आते हैं और इस समय फसल की पैदावार को कैसे बढ़ाया जा सकता है।

पेनिकल इनीशिएशन और बूटिंग स्टेज
यूरिया डालने के कुछ दिनों बाद, धान के पौधों में तने के निचले हिस्से में पहली गांठ के ऊपर एक छोटी बाली की शुरुआत होती है, जिसे पेनिकल इनीशिएशन कहा जाता है। इस समय, पौधा नॉन-वेजिटेटिव फेज से रिप्रोडक्टिव फेज की तरफ कदम बढ़ाता है। इस अवस्था को प्री-बूटिंग कहा जाता है। इसके बाद, तना मोटा होता है और बाली बढ़ती है, जिसे बूटिंग स्टेज कहते हैं। जब बाली पूरी तरह से बाहर निकलती है, इसे हेडिंग स्टेज कहा जाता है।

पैदावार का निर्धारण
बूटिंग और हेडिंग स्टेज के दौरान यह तय होता है कि बाली में कितने दाने होंगे। एक बाली में जितने अधिक दाने होंगे, उतनी ही अधिक पैदावार होगी। जैसे कि कल्लों की संख्या पैदावार को प्रभावित करती है, वैसे ही दानों की संख्या, आकार, और वजन भी पैदावार पर प्रभाव डालते हैं।

पोषक तत्वों का महत्व
इस समय फसल को उचित पोषण प्रदान करके पैदावार में 2-3 क्विंटल प्रति एकड़ की वृद्धि की जा सकती है। सबसे महत्वपूर्ण तत्व फास्फोरस है, जो दानों की संख्या बढ़ाने में मदद करता है। फास्फोरस को एनपीके (0:52:34) या नैनो डीएपी के रूप में स्प्रे किया जा सकता है। साथ ही, जिंक, फेरस, मैग्नीशियम, सल्फर, और मैंगनीज जैसे माइक्रो न्यूट्रिएंट्स भी फसल की वृद्धि में मदद करते हैं।

1. एनपीके (0:52:34) का उपयोग
आपको एनपीके (0:52:34) को प्रति एकड़ 1.5 किलो की दर से लेना चाहिए। इसके साथ 100 ग्राम बोरन और 50 ग्राम चिलेटेड जिंक को मिलाएं। इसे 140 लीटर पानी में घोलकर, लगभग सात 20 लीटर वाली टंकियों में स्प्रे करें। अगर आप और भी बेहतर परिणाम चाहते हैं, तो आप एचडी (हाई डेंसिटी) फॉर्म में आने वाले एनपीके का उपयोग कर सकते हैं। यह 200 से 300 ग्राम प्रति एकड़ तक प्रयोग किया जा सकता है।

2. न्यूट्रिएंट्स के सही मिश्रण से पैदावार में बढ़ोतरी
अगर आप अपनी पैदावार को और बढ़ाना चाहते हैं, तो सही न्यूट्रिएंट्स का चयन करें। "डिवेनॉमिन" नामक एक प्रोडक्ट उपलब्ध है, जिसमें 10 तरह के आवश्यक न्यूट्रिएंट्स एक साथ होते हैं। इसमें पोटाश, मैग्नीशियम, सल्फर, जिंक, फेरस, बोरॉन, कॉपर, मैंगनीज और मोलीब्डेनम जैसे तत्व शामिल होते हैं। यह एक प्रभावी स्प्रे मिश्रण होता है, जिसे गाभा अवस्था में स्प्रे किया जा सकता है।

3. फॉस्फोरस का महत्त्व
फॉस्फोरस पौधों के विकास के लिए आवश्यक है, खासकर दानों की संख्या बढ़ाने के लिए। आप एनपीके (0:52:34), एनपीके (12:61:0), या नैनो डीएपी का उपयोग कर सकते हैं। फॉस्फोरस को आयनिक फॉर्म में देना अधिक लाभकारी है क्योंकि यह 100% पौधों को उपलब्ध होता है। इसका सही डोज प्रति लीटर 2 मिलीलीटर है, और प्रति एकड़ लगभग 250 मिलीलीटर पर्याप्त होता है।

4. डिवानोफोस, डिवेनॉमिन और डिवानोपोटाश का स्प्रे
फसल में छह टंकी (20 लीटर) पानी में 40 मिलीलीटर डिवानोफोस और 40 मिलीलीटर डिवेनॉमिन मिलाकर स्प्रे करें। यह फसल की पोषण जरूरतों को पूरा करने में सहायक होगा। इसके अलावा, बालियाँ निकलने के बाद डिवानोपोटाश का स्प्रे जरूर करें ताकि पत्तियों में बना भोजन तेज गति से बालियों में ट्रांसफर हो सके, जिससे दाने मोटे और चमकदार बनेंगे।

5. पोटाश और जिंक का उपयोग
अगर जिंक की कमी नजर आए तो आप 50 ग्राम चिलेटेड जिंक का भी प्रयोग कर सकते हैं। पोटाश के लिए आप एनपीके (0:0:50) का प्रयोग प्रति एकड़ 1 किलो की दर से कर सकते हैं। लिक्विड पोटाश भी एक विकल्प हो सकता है। बालियाँ निकलने के बाद पोटाश का उपयोग फसल की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए आवश्यक होता है।

6. उत्पादों का सही चयन
आप अपने खेत के लिए उपयुक्त उत्पादों को आसानी से चुन सकते हैं। डिवानोफोस, डिवेनॉमिन और डिवेन पोटाश जैसे उत्पाद बाजार में उपलब्ध हैं, जिन्हें आप ऑनलाइन या कंपनी के जरिए मंगवा सकते हैं।
अंत में , धान की फसल में आखिरी यूरिया देने के बाद पौधों की वृद्धि और पैदावार को बढ़ाने के लिए पोषण और सही समय पर स्प्रे का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। फास्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्वों का सही मात्रा में उपयोग करके, आप अपनी फसल की पैदावार को 2-3 क्विंटल प्रति एकड़ तक बढ़ा सकते हैं।\

नोटः दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इन्टरनेट पर उपलब्ध भरोसेमंद स्त्रोतों से जुटाई गई है। किसी भी जानकारी को प्रयोग में लाने से पहले नजदीकी कृषि सलाह केंद्र से सलाह जरूर ले लें

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।