इस बार गेहू में 35 क्विंटल का उत्पादन लेना है | तो बुवाई से पहले बस ये रिपोर्ट जरूर देख ले

 

किसान भाइयों किसान अपनी फसल की पैदावार को बढ़ाने के लिए क्षमता से अधिक परिश्रम और धन खर्च करता है, लेकिन बावजूद इसके किसान को उम्मीद के अनुसार फायदा नहीं मिल पाता। कुछ किसान भाई अधिक मेहनत और अधिक खर्च करने के बाद भी गेहूं की फसल से एक एकड़ में 20-22 क्विंटल ही पैदावार ही ले पाते हैं, जबकि कुछ किसान यही पैदावार 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ तक भी प्राप्त कर लेते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि जो किसान है अधिक पैदावार प्राप्त कर रहे हैं वह सही विधि से खाद और अन्य कृषि तकनीक का उपयोग कर रहे हैं, किसान साथी अगर उर्वरकों का प्रयोग सही मात्रा में करते हैं और सिंचाई और बुवाई समय पर करते हैं, और उत्तम प्रकार की वैरायटी का चुनाव करते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली हो, तो वह अवश्य ही अपनी गेहूं की फसल से अधिक उत्पादन ले सकते हैं। अगर आप थोड़ी सी समझदारी और वैज्ञानिक  तकनीकों को अपनाते हैं, तो आप अपनी फसल को अधिक बेहतर बना सकते हैं। अगर आप भी अपनी फसल के उत्पादन को बढ़ाना चाहते हैं तो आपको भी खेती की सही जानकारी होना बहुत जरूरी है, जिससे आप अपनी फसल के उत्पादन को अधिक से अधिक मात्रा में बढ़ा सके। आज की रिपोर्ट में हम इसी बात पर चर्चा करेंगे की आप किस प्रकार अपनी गेहूं की फसल में अधिक से अधिक फुटाव पैदा करके अपने उत्पादन की मात्रा और फसल की गुणवत्ता को किस प्रकार बढ़ा सकते हैं, तो आइए यह सारी जानकारी लेने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट के माध्यम से।

NPK का प्रयोग
किसान भाइयों गेहूं की खेती की बढ़िया शुरुआत के लिए एनपीके के बारे में सही और पूरी जानकारी बहुत आवश्यक  है। एनपीके मे नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश की मात्रा होती है। नाइट्रोजन पौधे की वृद्धि को बढ़ाता है, फॉस्फोरस पौधों को मजबूती प्रदान करता है, और पोटाश दानों को चमक और ठोसता प्रदान करता है। सही समय पर और सही मात्रा में इन खादों का उपयोग करने से फसल मजबूत होती है और अधिक पैदावार मिलती है।

खाद और सिंचाई का सही समय
किसान भाइयों गेहूं की फसल में अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई की एहम भूमिका होती है। अपने गेहूं की फसल के उत्पादन को बढ़िया बनाने के लिए आपको खेत में समय पर सिंचाई करनी चाहिए। किसानों को पहली सिंचाई 21 दिन में करनी चाहिए और उसी समय नाइट्रोजन (यूरिया) देना चाहिए। इसके पहले, बुवाई के समय फॉस्फोरस और जिंक का उपयोग बहुत जरूरी है। फॉस्फोरस पौधों की जड़ों को मजबूत बनाता है और फसल को आड़ी गिरने से बचाता है। जिंक भी आवश्यक होता है, क्योंकि हमारे देश की मिट्टी में जिंक की बहुत अधिक कमी पाई जाती है। आप अपनी फसल में सीमित खादो और टाॅनिकों का उपयोग करें। कई किसान भाई अधिक पैदावार लेने और पौधे में कल्लो की संख्या को बढ़ाने के चक्कर में अपनी फसल में खादो की मात्रा अत्यधिक बढ़ा देते हैं, जो आपकी फसल की पैदावार को बढ़ाने की बजाय घटा देती है और साथ में आपका फसल पर आने वाला खर्च भी बढ़ जाता है। अगर रासायनिक खादो की बात की जाए तो गेहूं की फसल में  केवल नाइट्रोजन और जिंक की जरूरत होती है। यदि आपने बुवाई के समय जिंक डाल दिया, तो बाद में ज्यादा खाद डालने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

बिजाई टाइम पर करें
किसान साथियों गेहूं की फसल से बढ़िया उत्पादन लेने के लिए समय पर बुवाई करना भी बहुत जरूरी है।गेहूं की बुवाई का सही समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच है। जल्दी या देर से बुवाई करने से फसल की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। और फसल के उत्पादन पर भी असर पड़ता है। यदि आप लेट बुवाई करते हैं, तो बीज की मात्रा थोड़ी बढ़ा देनी चाहिए ताकि फसल अच्छी तरह अंकुरित हो सके।

उत्तम किस्म का चयन
किसान भाइयों आपको अपनी फसल की  पैदावार को बढ़ाने और बढ़िया क्वालिटी और अधिक उत्पादन लेने के लिए उत्तम क्वालिटी की वैरायटी का चयन करना होगा, जो अधिक उत्पादन के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी रखती हो।नए प्रकार की रोग प्रतिरोधक गेहूं की किस्में लगाने से आप दवाओं पर होने वाले खर्च को बचा सकते हैं। ये नई वैरायटी फसल को बीमारियों से बचाने के साथ-साथ आपके स्वास्थ्य के लिए भी सुरक्षित हैं, क्योंकि दवाओं का उपयोग कम करना पड़ता है।

नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी सार्वजनिक स्रोतों और इंटरनेट के माध्यम से इकट्ठा की गई है। कृषि संबंधित किसी भी जानकारी के लिए आप कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अवश्य लें और निर्णय अपने विवेक से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।