2025 में चने की यह किस्म देगी 35 क्विंटल का उत्पादन | जाने क्या है इसमे खास

 

किसान भाइयों, चना भारत की प्रमुख दलहन फसलों में से एक है, और इसका जिक्र दलहन फसलों में बड़े सम्मान के साथ किया जाता है। रबी सीजन के दौरान उगाई जाने वाली मुख्य फसलों में चने का विशेष योगदान है। सरकार चने की खेती को प्रोत्साहित कर रही है ताकि देश में दलहन उत्पादन को अधिक से अधिक बढ़ाया जा सके। इस बात को ध्यान में रखते हुए चने की कई नई उन्नत किस्मों का विकास किया गया है, जो अधिक पैदावार, रोग प्रतिरोधक क्षमता, और गुणवत्ता के नजरिए से किसानों के लिए काफी लाभकारी हो सकती हैं।

किसान भाइयों, यह समय रबी फसल की बुवाई का है, और किसान भाई अपनी खेतों की तैयारी में लगे हुए हैं। किसान भाई अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की फसलों का चयन करते हैं। अगर आप अपने खेत में चने की बुवाई के बारे में सोच रहे हैं, तो आप इस रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ें। इस रिपोर्ट में हम आपको चने की एक ऐसी वैरायटी के बारे में बताएंगे, जो न केवल आपको अधिक उत्पादन प्रदान करती है, बल्कि गुणवत्ता के मामले में भी चने की अन्य वैरायटियों की तुलना में कहीं अधिक है। हम बात कर रहे हैं चने की पूसा 20211 (पूसा मानव) वैरायटी के बारे में।

किसान भाइयों, वैसे तो बाजार में चने की कई प्रकार की किस्में आई हैं, लेकिन यह वैरायटी आपको अत्यंत लाभ प्रदान करने वाली है। चना रबी सीजन के दौरान व्यापक रूप से उगाया जाता है। बढ़ती मांग और बेहतर पैदावार के लिए उन्नत किस्मों का उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। चने की उन्नत किस्म पूसा 20211 देसी (पूसा मानव) ने किसानों के लिए खेती में एक क्रांति का रूप लिया है। इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा द्वारा 2021 में किया गया था। यह वैरायटी खासतौर पर मध्य भारत की जलवायु और मिट्टी को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई थी। इस वैरायटी को खासकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात के लिए अनुशंसित किया गया है। यह वैरायटी किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन प्रदान करती है।

अगर इसकी विशेषताओं की बात करें, तो यह वैरायटी मात्र 108 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस वैरायटी की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी अधिक है। इसके उत्पादन की बात की जाए, तो इस वैरायटी की उत्पादन क्षमता 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के आसपास है, और इसमें प्रोटीन की मात्रा भी 19% पाई जाती है, जो इसे चने की अन्य वैरायटियों से उच्च दर्जा प्रदान करती है। इस रिपोर्ट में हम इस खास किस्म के गुण, लाभ, बुवाई, सिंचाई, फसल प्रबंधन, उत्पादन क्षमता और कटाई के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। तो आइए, चने की वैरायटी के बारे में और अधिक जानने के लिए पढ़ते हैं आज की रिपोर्ट।

मिट्टी और बुवाई की विधि
किसान साथियों, चने की वैरायटी पूसा 20211 देसी किस्म की बुवाई के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त बताई गई है। इसकी बुवाई के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.1 के बीच होना जरूरी है। अम्लीय और ऊसर भूमि इस वैरायटी के लिए अच्छी नहीं बताई जाती। खेत की तैयारी में तीन-चार बार अच्छी तरह जुताई आवश्यक है, और जुताई के बाद खेत को समतल अवश्य करें ताकि जल निकासी का उचित प्रबंध हो सके। इसकी बुवाई का सही समय अक्टूबर के पहले और दूसरे पखवाड़े में है, जब मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है और मौसम फसल के विकास के लिए अनुकूल होता है। अधिक सिंचाई वाले क्षेत्र में बुवाई की गहराई 5 से 7 सेमी होनी चाहिए, जबकि कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में नमी की मात्रा को ध्यान में रखते हुए बुवाई की गहराई 7 से 10 सेमी होनी चाहिए ताकि नमी को संरक्षित किया जा सके। कतारों की बात करें तो एक कतार से दूसरी कतार के बीच की दूरी 30 सेमी होनी चाहिए ताकि पौधों को पर्याप्त हवा और धूप मिल सके।

सिंचाई
किसान भाइयों, पूसा 20211 देसी किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, सही समय पर की गई सिंचाई से फसल की पैदावार में वृद्धि हो सकती है। आप इसमें एक या अधिक से अधिक दो सिंचाई में बढ़िया पैदावार ले सकते हैं। बुवाई के बाद अधिक पैदावार के लिए आप तुरंत सिंचाई कर सकते हैं ताकि बीजों को जल्दी अंकुरित होने के लिए आवश्यक नमी मिल सके। दूसरी सिंचाई फूल आने की अवस्था में कर सकते हैं। इस समय पौधे फल बनने की अवस्था में होते हैं और इसके लिए पौधों को अत्यधिक पोषक तत्वों और नमी की जरूरत होती है। सिंचाई के दौरान यह ध्यान रखना जरूरी है कि खेत में कहीं भी जल ठहराव न हो। जल निकासी का उचित प्रबंध आवश्यक है, क्योंकि जल ठहराव से पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं, जो किसानों के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है।

उत्पादन क्षमता
किसान भाइयों, चने की वैरायटी पूसा 20211 देसी (पूसा मानव) की उच्च उत्पादकता और रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे किसानों के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती है। इस किस्म से मिलने वाली पैदावार किसानों को अधिक मुनाफा दिलाती है। औसत रूप से 23.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार इसे बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाती है। सही प्रबंधन और खेती की आधुनिक तकनीकों के साथ इस किस्म से किसान अपनी आमदनी में ₹5000 से ₹8000 प्रति एकड़ तक की वृद्धि कर सकते हैं। यह किस्म किसानों को उत्पादन के साथ-साथ बहुत अच्छी क्वालिटी भी प्रदान करती है। इस चने में प्रोटीन की मात्रा 19% पाई जाती है, जो इसे अन्य वैरायटियों से बेहतर बनाती है।

कटाई का समय
किसान भाइयों, चने की यह वैरायटी बहुत ही कम समय में जलवायु के हिसाब से पककर तैयार हो जाती है। इस वैरायटी की फसल लगभग 105 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है। किसान भाई इस बात का ध्यान रखें कि जब कटाई के समय पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगें और फली भी पूरे रंग में दिखाई देने लगे, तो यह कटाई का सबसे उत्तम समय होता है। आप चने की कटाई पौधों के सूखने से पहले ही करें ताकि फली टूटने से बच सके और किसानों के उत्पादन में नुकसान न हो।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। किसान भाई संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।