धान में तना छेदक और पत्ता लपेट का रामबाण इलाज | 30 दिन का धान होने से पहले कर लें यह काम

 

किसान साथियो बासमती धान की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी और और किसान इस समय अपनी फसल के भरण पोषण में जुटे हैं। धान की फसल में विकास के दौरान अनेक रोगों का आक्रमण होता है इन रोगों में तना छेदक रोग काफी रोग खतरनाक माना जाता है

तना छेदक से कितना हो सकता है नुकसान
यह रोग धान की फसल को किसी भी स्टेज में यानि कि रोपण से लेकर पकने तक नुकसान कर सकता है। अगेती फसल में इसका नुकसान 20 % हो सकता है और लेट बिजाई वाली फसल में धान की फसल में यह 80% तक नुकसान करने की क्षमता रखता है

रोग के अन्य नाम क्या हैं
इस रोग के अनेक नाम हैं जैसे गोभ की सुंडी, तने की सुंडी, स्टेम बोरर और तना छेदक। इस रोग के कीट के जीवन चक्र में एक स्टेज ऐसी होती जब हम इसे आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं अगर आपको वह स्टेज आपको नहीं पता तो आप दवाइयों के चक्कर लगे रहेंगे और तना छेदक कीड़ा बड़ा होता रहेगा। यह एक पौधे में नुकसान करके दूसरे पौधे में नुकसान करेगा

कैसे करें नियंत्रण
तो दोस्तों यह जान लेना सबसे जरूरी है कि इसे कन्ट्रोल करने का सही समय कब है। कब इसमे दानेदार कीटनाशक फायदे मंद रहते हैं और कब हमें स्प्रे द्वारा कंट्रोल करना चाहिए दवा के का उपयोग भी बतायेंगे की कोन से दवा का उपयोग धान के लिए अच्छा है और सस्ता रहेगा। तो दोस्तों आपको यह रिपोर्ट अंत तक पढ़नी चाहिए।

कीट की पहचान और जीवन चक्र
तना छेदक मादा तितली के चार पंख होते हैं। दो बाएं की तरफ होते हैं और दो दाहिने तरफ होते हैं और इन पंखों के ऊपर दोनों तरफ डॉट सा लगा होता है। ये मादा तितली अंडे देती है। अंडे 5 से 10 दिन लेते हैं। सुंडी बनने में इन अंडों से सुंड निकलती है और यह सुंडी 20 से 40 दिन तक हमारे खेतों में नुकसान करती है। धीरे धीरे इसका आकार बढ़ता रहता है।

कौन सी दवा कब डालें
जितनी भी तना छेदक कीट की दानेदार दवा हैं ये लार्वा सुंडी मतलब कीट पर ज्यादा काम करती है और यह तब असर करती हैं जब सुंडी तने के अंदर होती है ये दवाईयां सारे पौधे को जहरीला करती है। सुंडी जहरीले पौधे को खाती है तभी यह मरती है। पौधे छोटे हो यानि एक महीने तक तो हम दानेदार कीटनाशक का प्रयोग कर सकते हैं। जब पौधे बड़े हो जाए तो हमें स्प्रे के द्वारा ही दवा का प्रयोग करना चाहिए दानेदार जो है छोटी अवस्था में ही प्रयोग करने चाहिए। दानेदार कीटनाशक का प्रयोग तब तक करें जब शुरुआत में खेत में आपको तितलियां दिख जाए। सुंडी लारवा को बाहर निकलने में 5-7 दिन का समय लगता है मतलब तितलियां दिखने के शुरुआती चार पांच दिन के तक ही आप दानेदार दवा डाल सकते हैं। तीन चार दिन तो दवा को भी भी लेगी पौधे को जहरीला करने में लगते हैं। कहने का मतलब यह है कि दानेदार दवा तभी डाले जब आपको छोटी अवस्था में तितलियां दिखे या नुकसान दिखे। जब पौधे बड़े हो जाए तो स्प्रे से ही कंट्रोल संभव है लेकिन स्प्रे भी हमने तभी करना है जब अंडों में से सूंडी बाहर निकलकर नुकसान कर रही हो और आपको नुकसान दिख रहा हो या नुकसान करने वाली तितलियां आप देख चुके हो। अंडों से सुंडी बनने में एक हफ्ता लग जाता है। आकार की बात करें तो शुरुआत में सुंडी चावल के दाने से छोटी होती है। यह सुंडी पत्तों के ऊपर से नीचे की तरफ जाती है। फिर तने के नीचे वाले भाग में सुराख करकर अंदर घुस जाती है और  तने को अंदर से पूरा काट देती है। जब हम तने को ऊपर खींचते हैं तो ये आसानी से ऊपर खींच जाता है। शुरू में नुकसान कम होता है जब आपको नुकसान दिखने लगे या तितलिया दिखने लगे यही समय है कि आप स्प्रे कर दे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब सुंडी छोटी होती है तभी आसानी से मरती है बड़ी होने पर इसे काबू करना मुश्किल होता है

रासायनिक नियन्त्रण, कोन सी दवा है असरदार
कृषि विशेषज्ञ डॉ. नूतन वर्मा के अनुसार तना छेदक के कन्ट्रोल के लिए आप कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी नाम के कीटनाशक का इस्तेमाल कर सकते हैं।एक एकड़ के लिए 8 किलो कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी को बालू में मिलाकर खेत में बिखेर दें। किसान ध्यान रखें कि इस दवा का इस्तेमाल रोपाई के 30 दिनों तक जरूर करें। ऐसा करने से तना छेदक और पत्ता लपेट कीट की पहली और दूसरी पीढ़ी पर नियंत्रण किया जा सकता है।

अगर आप स्प्रे करना चाहते हैं तो आप कोराजन की दवा ले सकते हैं इसके अंदर 18.5% पर क्लोरेट्रानीलीप्रोल होता है इसे आप 75 ml ले ले ज्यादा नुकसान की दशा में 100 एमएल तक भी ले सकते हैं। इसके साथ आपने एक और दवा मिला देनी है यह सिस्टमिक दवा है इमामैक्टन बेंजोएट इसको 80 से 100 ग्राम तक आप ले सकते हो तो इसका खर्चा  लगभग यह 420 का खर्चा बनेगा। यह एक सस्ती और इफेक्टिव कारगर दवाई होगी।

Note:- किसान साथियो उपर दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध विश्वसनीय स्रोतों और किसानों के निजी अनुभव पर आधारित है। किसी भी जानकारी को उपयोग में लाने से पहले कृषि वैज्ञानिक की सलाह जरूर ले लें । कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार धान में किसी भी बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो तुरंत कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लेनी चाहिए।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।