बारिश की कमी के कारण धान की फसल पर छाया संकट | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में
किसान साथियो पंजाब और हरियाणा जैसे उत्तर भारत के प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में इस महत्वपूर्ण फसल पर मौसम का जोखिम मंडरा रहा है। व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, इन दोनों राज्यों में इस बार अब तक मानसूनी वर्षा लगभग एक तिहाई कम हुई है। इसकी वजह से हरियाणा के किसान अभी भी वर्षा की प्रतीक्षा कर रहे हैं ताकि वे धान की बिजाई पूरी कर सकें। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान सीजन में 23 जुलाई तक देश में धान की कुल 166.064 लाख हेक्टेयर में रोपाई हुई है। पिछले वर्ष इसी अवधि में यह आंकड़ा 155.652 लाख हेक्टेयर था। इससे पता चलता है कि बीते सीजन की तुलना में इस बार अब तक धान की रोपाई में लगभग 11 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।
धान की रोपाई लगभग पूरी हो चुकी है
देश में अब तक हुई कुल धान की रोपाई में से पंजाब और हरियाणा राज्यों में कुल 39.640 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हुई है। पिछले वर्ष इसी अवधि में 37.950 लाख हेक्टेयर में रोपाई हुई थी। इससे स्पष्ट होता है कि पिछले सीजन की तुलना में इस बार इन दोनों राज्यों में धान की रोपाई में 1.690 लाख हेक्टेयर या 4.23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर, चार महीने तक चलने वाला वर्तमान मानसून सीजन लगभग आधा बीत चुका है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, एक जून से शुरू हुए चालू मानसून सीजन की 17 जुलाई तक की अवधि में अखिल भारतीय स्तर पर सामान्य से तीन प्रतिशत कम वर्षा हुई है, जबकि उत्तर-पश्चिमी भारत में 11 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई है।
क्या कहना है मौसम विभाग के आंकड़ो का
मौसम विभाग ने अपने आंकड़ों में बताया है कि आलोच्य अवधि में हरियाणा में सामान्य की तुलना में 36 प्रतिशत और पंजाब में 38 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। व्यापारियों का कहना है कि सरकारी आंकड़ों में हरियाणा और पंजाब जैसे उत्तर भारत के प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल की रोपाई में लगभग 4 प्रतिशत की वृद्धि दिख रही है, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। उन्होंने बताया कि इन दोनों राज्यों में सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है, फिर भी उनका कुछ हिस्सा अभी भी वर्षा पर निर्भर है। यही कारण है कि यहां के किसान अपनी धान की रोपाई को पूरा करने के लिए वर्षा की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
उन्होंने आगे बताया कि यदि जल्द ही इन दोनों राज्यों में वर्षा सामान्य नहीं हुई तो इस बार न केवल धान की रोपाई में कमी आने का डर है, बल्कि अब तक रोपी जा चुकी फसल का विकास भी प्रभावित हो सकता है। यदि आने वाले दिनों में भी वर्षा की कमी बनी रहती है, तो इससे न केवल किसानों को आर्थिक हानि उठानी पड़ेगी, बल्कि सरकार के लिए भी दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।