गरम मौसम का असर करें बेअसर | गेहूं में डाले यह खाद | मिलेंगे भरपूर कल्ले और बढ़िया उत्पादन

 

नमस्कार दोस्तों, आज की यह ब्लॉग पोस्ट उन किसानों के लिए है जो अपनी गेहूं की फसल में पैदावार को बढ़ाने और गुणवत्ता सुधारने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बदलते मौसम और बढ़ते तापमान ने किसानों के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। इस साल, खासतौर पर नवंबर के बाद का मौसम गेहूं की बुवाई के लिए उपयुक्त बना, लेकिन तब तक अधिकांश किसान बुवाई कर चुके थे। इसका असर फसल की फुटाव (tillering), कल्ले (ears) और कुल उत्पादन पर साफ दिखाई देने वाला है।

हम सभी जानते हैं कि खेती एक ऐसा पेशा है, जिसमें मौसम और सही प्रबंधन का बहुत बड़ा योगदान होता है। पिछली धान की फसल पर भी मौसम का असर पड़ा, लेकिन जिन किसानों ने सही समय पर खाद, पानी और दवाओं का इस्तेमाल किया, उनकी पैदावार पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। यही सबक हमें गेहूं की फसल में भी लागू करना होगा। सही समय पर सही तकनीक और पोषण के इस्तेमाल से हम फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों को सुधार सकते हैं। इस पोस्ट में, हम गेहूं की फसल को बेहतर बनाने के लिए जरूरी तकनीकों और पोषण के इस्तेमाल को विस्तार से समझेंगे।

पहली सिंचाई का सही तरीका

गेहूं की फसल में पहली सिंचाई एक महत्वपूर्ण कदम होती है। आमतौर पहली सिंचाई पहला पानी जो हम लगभग 21 दिन के बाद लगाते हैं एक से दो क्विंटल गेहूं की पैदावार बढ़ा सकते हैं जितना पानी कम लगाएंगे उतनी पैदावार ज्यादा बढ़ेगी जो फसल की क्राउन रूट इनिशिएशन (Crown Root Initiation) स्टेज के लिए बेहद जरूरी है। इस समय पौधे में ताज (crown) के पास नई जड़ों का विकास शुरू होता है, और यही जड़ें आगे चलकर पानी और पोषक तत्वों को पौधे तक पहुंचाती हैं।

पहली सिंचाई करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि पानी कम मात्रा में दिया जाए। ज्यादा पानी से मिट्टी में से हवा निकल जाती है और यह फसल की जड़ों के विकास को रोक सकता है। इससे पौधों के पत्ते पीले पड़ सकते हैं और फुटाव कम हो सकता है। सिंचाई के दौरान कोशिश करें कि क्यारे (field beds) भरने के बाद तुरंत अगले क्यारे में पानी को डायवर्ट कर दिया जाए। इस तरह पानी का अधिकतम उपयोग हो सकता है और फसल की जड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन भी मिलती रहेगी।

यदि पानी सही तरीके से नहीं लगाया गया तो मिट्टी बबुरी (loose) नहीं रह पाती और पत्तियों का पीला पड़ना जैसे लक्षण सामने आते हैं। इनसे बचने के लिए सिंचाई के साथ-साथ पोषण का भी ध्यान रखना जरूरी है, ताकि फसल को जरूरी तत्व मिल सकें।

फुटाव और हरियाली के लिए पोषण प्रबंधन

फसल की फुटाव (tillering) और हरियाली सुनिश्चित करने के लिए सही पोषण बेहद आवश्यक है। हालांकि किसान प्रायः यूरिया का अधिक इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह केवल नाइट्रोजन की पूर्ति करता है। पौधों को इस समय जिंक, फेरस (iron), मैग्नीज (manganese) और मैग्नीशियम जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी जरूरत होती है।

स्प्रे के माध्यम से पोषण देना इस समय सबसे प्रभावी तरीका है। जिंक और फेरस जैसे पोषक तत्व पौधों की हरियाली बढ़ाने में सहायक होते हैं, जबकि मैग्नीशियम और मैंगनीज फुटाव को बढ़ावा देते हैं।

Chelated zinc 100-150 gm

Chelated ferrous 100-150 gm

Manganese sulphate 500 gm

Magnesium sulphate 1 kg

और 1 किलो यूरिया का एक स्प्रे फसल की स्थिति को तीन-चार दिनों में सुधार सकता है। इन तत्वों के स्प्रे से पौधों के पत्तों में मौजूद स्टोमेटा (stomata) के जरिए पोषक तत्व अवशोषित होते हैं। इसलिए यह ध्यान रखना चाहिए कि स्प्रे धूप में किया जाए, जब स्टोमेटा खुले होते हैं। यह प्रक्रिया पौधों को तेजी से पोषण प्रदान करती है और उत्पादन बढ़ाने में सहायक होती है।

पौधों को तनाव से बचाने के उपाय

अक्सर देखा गया है कि ज्यादा तापमान, पानी की कमी या अत्यधिक सिंचाई से पौधों पर तनाव (stress) बढ़ जाता है। इस स्थिति में पौधों की ग्रोथ रुक जाती है और फुटाव कम हो जाता है। ऐसे में सूक्ष्म पोषक तत्वों का सही समय पर और सही मात्रा में इस्तेमाल फसल को तनाव से बचा सकता है।

DivanoZinc 150 ml /acre , नीरॉन आयरन (Niron Iron)150 ml /acre , और मैगनेनो (MagNeno) जैसे तरल पोषक तत्व आयनिक फॉर्म में उपलब्ध हैं। ये तत्व पौधों को तेजी से अवशोषित होते हैं और उनके ग्रोथ को बढ़ावा देते हैं। 150 मिलीलीटर डिनो जिंक और नीरन आयरन प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें। इसी तरह मैगनेनो और डिनो मैग्निशियम भी समान मात्रा में प्रयोग किए जा सकते हैं। इनका इस्तेमाल फसल की जड़ों और तनों को मजबूती प्रदान करता है, जिससे पौधे किसी भी बाहरी तनाव को झेलने में सक्षम होते हैं।

नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।