गेहूं की बुवाई करने से पहले बस ये रिपोर्ट पढ़ लेना | उत्पादन के सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे

 

किसान साथियो अभी तक आपने अपनी जमीन के हिसाब से गेहूं के बीज का चयन कर लिया होगा । बीज के चुनाव के बाद अगला काम है मौसम के हिसाब से बुवाई करना क्योंकि आपका गेहूं कैसा उगेगा इस पर मौसम का भी बड़ा प्रभाव होता है। अगर आपको अनुकूल मौसम मिल जाए और सही समय पर बुआई हो जाए, तो आप शानदार उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। मौसम में अचानक बदलाव, जैसे तापमान में वृद्धि या कोहरा, गेहूं की फसल पर गहरा प्रभाव डालते हैं। इसलिए बुआई के लिए सही समय और परिस्थितियों का चयन करना जरूरी है। पिछले साल, 2023 में कई किसानों ने बुआई में जल्दबाजी दिखाई थी, जिससे उन्हें बाद में नुकसान का सामना करना पड़ा। तापमान में वृद्धि और अत्यधिक ओस व कोहरे की वजह से गेहूं की फसल को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। किसानों के लिए अनुकूल मौसम का इंतजार करना और उसके बाद बुआई करना ही उत्पादन बढ़ाने का सही तरीका है। अगर मौसम अनुकूल हो, तो पौधे के विकास में कोई बाधा नहीं आती और पैदावार भी अच्छी मिलती है। इसलिए 2024 की बुआई में जल्दबाजी करने से बचें, और सही मौसम का इंतजार करें ताकि पिछले साल की तरह किसी भी प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पड़े।

अगेती गेहूं की बुआई का सही समय और संपूर्ण खाद प्रबंधन
धीरे धीरे विश्व स्तर पर मौसम में बदलाव आ रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान बढ़ता जा रहा है। गेहूं जैसी सेंसेटिव फसल के लिए सही समय का चुनाव और और बेसल डोज़ के खाद प्रबंधन पर ध्यान देना अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है। इस समय अगेती बुवाई का समय चल रहा है इसलिए किसानो को गेहूं की अगेती किस्मों को लगाना चाहिए । आज की रिपोर्ट मे अगेती बुवाई के सभी पहलुओं को कवर करेंगे इसमे अगेती गेहूं की बुआई के लिए सबसे उपयुक्त समय, खाद का संतुलित उपयोग, और कुछ महत्वपूर्ण टिप्स पर चर्चा करेंगे, ताकि आप अपनी फसल से बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकें।

अगेती गेहूं की बुआई का सही समय

अगर अगेती गेहूं की बुआई की बात करें, तो 1 नवंबर से 10 नवंबर के बीच का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। ये 10 दिन अगेती बुआई के लिए पर्याप्त होते हैं। इस समय बुआई करने से पौधे का विकास अच्छे से होता है, और तापमान भी अनुकूल होता है, जिससे फसल को अच्छे उत्पादन की संभावना होती है।

बेसल डोज में संतुलित खाद का उपयोग
बुआई के समय संतुलित खाद का उपयोग करना आवश्यक है, ताकि पौधे को शुरुआती चरण में ही पोषक तत्वों की पूर्ति हो सके। बेसल डोज में निम्नलिखित खादों का उपयोग करना चाहिए:

डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट): 30 से 35 किलो प्रति एकड़ की मात्रा में डीएपी का उपयोग करें।
डीएपी न मिलने की स्थिति में, आप एनपीके का उपयोग भी कर सकते हैं, जैसे 12:32:16 ग्रेड का एनपी, जो कि एक अच्छा विकल्प है। आप 12-32-16 ग्रेड की लगभग डेढ़ बोरी प्रति एकड़ के हिसाब से ले सकते हैं।

पोटाश: पोटाश की भी 30 से 35 किलो प्रति एकड़ की मात्रा लें, ताकि पौधों को उनके विकास के लिए जरूरी पोषक तत्व मिल सकें।

यूरिया: यूरिया की 20 किलो प्रति एकड़ की मात्रा भी बुआई के समय डालें।

सल्फर: यदि संभव हो, तो सल्फर का 3 किलो प्रति एकड़ उपयोग करें, जो कि 80-90% पाउडर फॉर्म में आता है। बेंटोनाइट सल्फर भी 10 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग किया जा सकता है।

शुरुआती चरण में खाद का उपयोग
बेसल डोज में इन सभी खादों का उपयोग बुआई के समय ही कर दें, ताकि जब फसल अंकुरित हो, तो उसके पास पर्याप्त पोषक तत्व उपलब्ध हों। इससे 20-25 दिन बाद जब पहली सिंचाई की जाती है, तो पौधा अच्छे से विकसित हो चुका होता है। इसके कारण पौधे की जड़ें मिट्टी में अच्छी तरह से गहराई तक जाती हैं और फसल शुरुआती चरण से ही मजबूत बनती है

नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।