बासमती में अगर 70+ मण का उत्पादन लेना है तो अभी से कर लें यह काम | बाद में मत बोलना बताया नहीं
किसान साथियों खरीफ सीजन में भारत के अधिकतर किसान धान की खेती करते हैं और चावल की पैदावार अधिक लेने के लिए शुरू से लेकर आखिर तक हर काम सावधानी से करते हैं। बावजूद इसके कल्ले निकालने के समय कुछ किसानो को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कल्लो का मतलब हमारा धान की एक पौध से फूट निकलकर अधिक पौधे बनने से है। जितने ज्यादा कल्ले उतना ज्यादा उत्पादन। दोस्तो इस समय धान की फसल अधिकतर जगह पर अब 30 दिन से अधिक आयु में पहुंच चुकी है और यह समय कल्ले फुटने का एक महत्वपूर्ण समय होता है। किसानों को फसल में फुटाव के साथ-साथ कीड़ों और अन्य रोगों पर भी नियंत्रण करना होता है, जिसके लिए वह तरह-तरह के केमिकल और दवाइयां का उपयोग करते है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि फसल पीली होने लग जाती है और उसके कल्ले भी उम्मीद के अनुसार नहीं बनते। आज हम अपनी इस रिपोर्ट में बात करेंगे अगर आपकी फसल पीली है उसकी ग्रोथ रुकी हुई है उसके अंदर जो टिलर्स या कल्ले हैं वह आपके मन मुताबिक नहीं बन पाए हैं तो इसका कारण क्या है और फसल की इस समस्या से कैसे छुटकारा पाया जाए। कुछ कृषि विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज हम इस रिपोर्ट में जानने की कोशिश करेंगे।
धान के कल्ले बढ़ाने के लिए जरूरी तकनीके एवं उचित पोषण
आमतौर पर धान की रोपाई के 20-30 के अंदर कल्ले फुटने शुरू हो जाते हैं इस समय मैं फसल को अधिक मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा अगर फसल में अधिक पानी भरा हुआ है तो जल निकासी करके खेत से अतिरिक्त पानी को निकाल दें, बाद मे हल्की सिंचाई करते रहे जिस मिट्टी फसाने की समस्या ना हो यह काम इसलिए जरूरी है ताकि सौर ऊर्जा पौधों की जड़ों तक पहुंच सके और फसल में ऑक्सीजन की पूर्ति होती रहे। यह क्रिया फसल के बुवाई के 25 दिन बाद ही कर लेनी चाहिए फसल में अधिक फूट के लिए पौधों को पोषक तत्व भी देने आवश्यक हैं जिनकी पूर्ति के लिए 1 एकड़ के हिसाब से 20 किलो नाइट्रोजन और 10 किलो जिंक का मिश्रण बनाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए आप चाहे तो अजोला की खाद भी फसल में डाल सकते हैं
फसल में आने वाली अन्य परेशानियां
धान की फसल 30 से 50 दिन की होने के बाद फसल को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसमें सबसे खतरनाक सुंडी पत्ता लपेट, तना छेदक या फिर अधिक ऊंचाई भी एक समस्या हो सकती है। दोस्तो अक्सर ऐस होता है कि आपकी फसल 30 दिन के बाद बहुत एकदम हरी भरी है उसके टिलर्स की संख्या भी बढ़िया हो चुकी है लेकिन धान की ग्रोथ है बहुत तेजी से हो रही है और पौधे की ऊंचाई जरूरत से ज्यादा हो गयी है। धान की वैरायटी बासमती हो हाइब्रिड हो या फिर पीआर हो अगर ऊंचाई ज्यादा हो तो हमें आशंका रहती है कि आगे चलकर हमारी फसल गिर ना जाए। इसी भय के कारण बासमती धान में कुछ किसान पौधों की लंबाई ज्यादा होने पर 50-55 दिन पर लेबर से पत्ते कटवा देते हैं लेकिन वह पौधे दोबारा बड़े हो जाते हैं जिससे फसल पर आने वाला खर्च तो बढ़ता ही है साथ में समय की भी बर्बादी होती है
धान के पौधों की ज्यादा लंबाई भी एक रोग है
अगर आपके पौधों की लंबाई ज्यादा बढ़ रही है तो उसका कारण पौधे के अंदर जिबरेलिन नाम का हार्मोन।जिसकी बायोसिंथेसिस पौधे के अंदर कुदरती होती है, इसी हार्मोन के कारण धान के पौधों की लंबाई ज्यादा हो जाती है जिसका असर फसल की पैदावार पर भी पड़ता है। इस हार्मोन कि बायोसिंथेसिस को रोकने के लिए भी एक केमिकल है जिसका नाम है पैक्लोबूत्राजोल। जो मार्केट में 23% और 40% फार्मूले में उपलब्ध है। पैक्लोबूत्राजोल पौधों की इम्युनिटी और रेजिस्टेंस को बढ़ाता है इसके प्रयोग से पौधों का फोकस प्रोडक्शन पर ज्यादा होता है जिससे पैदावार बढती है जब कल्ले फूटने शुरू हो तो पैक्लोबूत्राजोल का प्रयोग करना चाहिए इसके प्रयोग से धान की फसल की लंबाई कम होनी शुरू हो जाती है और फुटाव ज्यादा होता है ।जब आपकी फसल 22 से 25 दिन की हो जाए तो आप 50 मिलीलीटर पैक्लोबूत्राजोल 40% वाली को यूरिया में मिलाकर डाल सकते हैं इसके प्रभाव से पौधे में फोटो की मात्रा बढ़ेगी और पौधे की ग्रोथ कम हो जाएगी जिससे पौधे का तना भी मजबूत होगा
पत्ता लपेट सुंडी और तना छेदक से कैसे बचें
यह रोग धान की फसल को किसी भी स्टेज पर यानी बुआई से लेकर पकने तक नुकसान पहुंचा सकता है अगेती फसल में इसका नुकसान 20% और लेट बिजाई वाली फसल में इसका नुकसान 80% तक हो सकता है किसान भाइयों अगर सही समय पर इस रोग का इलाज न किया जाए तो यह है किसान को काफी हानि पहुंचा सकता है समझने वाली बात यह है कि इसको सही समय पर कंट्रोल करना जरूरी है जितनी भी तना छेदक कीटनाशक दानेदार दवा है यह कीट पर ज्यादा काम करती हैं और यह उसे वक्त काम करती है जब सुंडी तने के अंदर होती है यह दवाइयां पूरे पौधे को जहरीला बना देती हैं जब सुंडी पौधे को खाती है तो उसके प्रभाव से पौधे के सारे कीट नष्ट हो जाते हैं इसमें एक जरूरी बात यह है कि जब पौधे छोटे हो यानी की एक महीने तक के हो तो हि हम दानेदार दवा का प्रयोग कर सकते हैं अगर पौधे बड़े हैं तो हमें स्प्रे द्वारा दवाई का प्रयोग करना चाहिए दानेदार कीटनाशक का प्रयोग तब करें जब हमें शुरू में ही खेत में तितलियां दिखाई देने लग जाए। आपको खेत में तितलियां देखने के चार-पांच दिन के अंदर ही आप दानेदार दवा का प्रयोग करें क्योंकि तीन-चार दिन तो दानेदार दवा को भी पौधे को जहरीला करने में समय लगता है खाने का मतलब यह है कि आप दानेदार दवा का प्रयोग तभी करें जब आपकी फसल है 25 30 दिन की हो और आपको खेत में तितलियां दिखे या नुकसान दिखाई दे। अगर पौधे बड़ी अवस्था में पहुंच गए हो तो उसको स्प्रे के द्वारा ही कंट्रोल किया जा सकता है लेकिन सपने भी हमने तब करना है जब सुंडी अंडों से बाहर निकल कर फसल को हानि पहुंचा रही हो। आपको जानकारी दे दें कि सुंडी जब छोटी होती है तभी उसका उपाय कर लें बड़ी होने के बाद उसको काबू करना मुश्किल हो जाता है
सुंडी पर कौन सी दवा का इस्तेमाल करें
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार पता लपेट सुंडी और तना छेदक का इलाज समय रहते कर लेना चाहिए नहीं तो यह फसल को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचा सकती हैं तना छेदक के कंट्रोल के लिए आपक कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 4G नाम के कीटनाशक का प्रयोग कर सकते हैं 1 एकड़ के लिए 8 किलो कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 4G को बालू में मिलाकर खेत में बिखेर दें किसान ध्यान रखें कि इस दवा का प्रयोग रोपण के 30 दिन के अंदर जरूर कर लें ऐसा करने से तना छेदक और पता लपेट किट की पहली और दूसरी पीढ़ी पर नियंत्रण किया जा सकता है अगर आपकी फसल बड़ी है और आप स्प्रे करना चाहते हैं तो कोराजन नामक दवाई का प्रयोग कर सकते हैं इसे आप प्रति एकड़ 75 एमएल ले ले अगर नुकसान ज्यादा दिखाई देता है तो आप इसकी मात्रा 100 एमएल तक भी कर सकते हैं इसके साथ आपको एक दवा और मिला लेनी है यह सिस्टमिक दवा है इमामैक्टन बेजोएट, आप इसको 80 से 100 ग्राम तक ले सकते हो। यह एक सस्ती और इफेक्टिव दवाई है।
पत्तियों पर पीलापन दिखाई देना
दोस्तों अगर 30 से 50 दिन की फसल की बात की जाए तो कई बार पौधे की पत्तियां पीले होने लगते हैं और पीली के साथ है उसका रंग जंग जैसा भी दिखाई देता है इसके साथ एक और सिमटेम भी आपको दिखाई देंगे इसमें आपको पौधे की पत्तियां पीली भी होगी और पीली के साथ ऊपर से भुरी भुरी सी सफेद सी दिखाई देंगी तो यह इन दोनों के अलग-अलग सिम्टम्स हैं ये आपकी फ़सल मे जिंक और लोहे की कमी दिखा रहे हैं। अगर आपको इस कमी से अपनी फसल को बचाना है तो आपको एक स्प्रे करना है जिसमें आप 33% वाला जिंक 700 ग्राम और 19% वाला फेरस स्लफेट 600 ग्राम लेकर 1 किलो यूरिया में मिक्स करके स्प्रे कर सकते हैं। इसके अलावा रूटीन खाद 30 दिन से पहले पहले एक 10 दिन की अवस्था में और दूसरा 25 या 30 दिन की अवस्था में खाद दे देनी चाहिए अगर आप वह खाद दे चुके हो तो आप की धान की फसल एकदम हरी होगी और उसके अंदर से निकलने वाले जो कल्ले हैं उनकी संख्या भी बहुत शानदार और ज्यादा होगी
Note: हमने आपको जो जानकारी दी है वह सार्वजनिक रुप से उपलब्ध जानकारी और किसानों के निजी अनुभव पर आधारित है आप अपनी फसल में किसी भी कीटनाशक दवाई या स्प्रे का प्रयोग करने से पहले कृषि विषय से गेहूं की सलाह जरूर लें
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।