धान में डेढ़ गुना उत्पादन चाहिए तो यह पोस्ट जरूर पढ़ लें 

 


किसान साथियों जैसा की आपको पता है इस वक्त धान की रुपाई का काम जोरों शोरों से चल रहा है अगर धान की फसल की रोपाई से पहले और बाद में ये उपाय कर लिए जाएं तो यह आगे चलकर आपके धान का उत्पादन डेढ़ गुना तक बढ़ा सकते हैं। कृषि वैज्ञानिक केंद्र में मौजूद कृषि एक्सपर्ट के अनुसार, अगर सही तरीके से धान की रोपाई की जाए तो धान का उत्पादन बहुत अच्छा मिल सकता है रोपाई के दौरान पौधों को उचित दूरी पर लगाने का प्रयास करें । धान की नर्सरी में समय रहते कीटनाशक दवाइयां को छिड़काव करें इसके अलावा खरपतवार प्रबंधन और उर्वरक प्रबंधन के सही तरीके से इस्तेमाल करने से किसानों को धान की फसल का अच्छा उत्पादन मिल सकता है 

क्या है वह उपाय जिससे धान के उत्पादन को डेढ़ गुना तक बढा सकता है चलिए आगे जानते हैं

कैसे करे खेत को तैयार:
सबसे पहले सूखे खेत को अच्छी तरह से जोतें। जुताई के बाद खेत में पानी छोड़ें ताकि मिट्टी नरम हो जाए। दूसरी जुताई तब करे जब मिट्टी नरम पद जाये नरम मिट्टी को रोटावेटर या हाइड्रोलिक डिस्क हैरो से फिर से जोतें। जुताई के बाद खेत को पाटा (लेवलर) से अच्छी तरह से समतल करें। ये ध्यान दे कि पूरे खेत में पानी समान रूप से फैले और स्थिर रहे। जिससे पौधों को आवश्यक नमी मिलती रहती है। समतल खेत में पौधों की जड़ें अच्छी तरह से विकसित होती हैं, जिससे फसल की वृद्धि और उत्पादन में सुधार होता है।

सही समय पर पौधों की रोपाई:
धान की नर्सरी के पौधे 20 से 22 दिन पुराने होने पर खेत में रोपाई कर देनी चाहिए। इस अवधि में पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और वे आसानी से ये धान की पौधे नए खेत में स्थापित हो जाती हैं। सही समय पर पौधों की रोपाई के फायदे होते है जैसे कम दिनों की नर्सरी पौधों की रोपाई करने से कल्लों की संख्या बढ़ती है। ज्यादा कल्ले होने से अधिक बाली और अधिक अनाज उत्पादन होता है। यही नहीं धान के पौधों मे  बेहतर जडो का विकास होता है मजबूत जड़ों से पौधे स्वस्थ रहते हैं और उन्हें पोषक तत्वों का अधिकतम लाभ मिलता है।

एक कतार मे पोधे लगाए 
 धान की रोपाई करते समय पौधे से पौधे और लाइन से लाइन की दूरी का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। एक पौधे से पौधे की दूरी लगभग 10 से 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए ओर लाइन से लाइन की दूरी 18 से 22 सेंटीमीटर तक रहनी चाहिए | इस दूरी का ध्यान रखने से पौधों में कल्ले ज्यादा आएंगे और उत्पादन बेहतर होगा।

करे कल्लों की देखभाल 
कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता के अनुसार, धान की फसल का उत्पादन मुख्य रूप से कल्लों की संख्या पर निर्भर करता है। जितने अधिक कल्ले होंगे, उतनी ही ज्यादा बालियाँ आएंगी और उत्पादन बढ़ेगा। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि नर्सरी की पौधों को कम से कम दिनों में खेत में रोपाई कर दिया जाए।

खरपतवार प्रबंधन:
किसान साथियों एक और ध्यान रखने वाली बात यह है कि धान की फसल में खरपतवार प्रबंधन सुनियोजित ढंग से करे। खरपतवार फसल के साथ पोषक तत्वों के अलावा जगह के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि पर असर पड़ता है और उत्पादन कम हो सकता है। जब धान की फसल 15 से 20 दिन की हो जाए। नॉमिनी गोल्ड (Nominee Gold) नामक खरपतवार नाशक का छिड़काव करें।

उर्वरक प्रबंधन:
धान की फसल की अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ में 50 किलो डीएपी और 25-30 किलो पोटाश का इस्तेमाल करें। इससे पौधों की जड़ें अच्छी तरह विकसित होंगी और कल्ले ज्यादा निकलेंगे। धान की रोपाई के 20-22 दिन बाद यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करें। धान की फसल में 1 एकड़ धान की फसल में 50 किलो का इस्तेमाल करें, जिसे दो बार में छिड़काव करें और एक बार में 25 किलो की ही मात्रा में दें। 
घुलनशील एनपीके (19:19:19): इस को तब दे जब धान की फसल बढ़वार पर हो इसका भी दो बार में उपयोग करें। 
मोनो पोटेशियम फॉस्फेट (Mono Potassium Phosphate) 00:52:34:
मोनो पोटेशियम फॉस्फेट को जब धान की फसल बाली निकालने की स्थिति में पहुंच जाए तब दे ।  इसके छिड़काव से दानें वजनदार, चमकदार और मजबूत होंगे। 

इसके अलावा धान के खेत में पानी का स्तर संतुलित रखें। ना ही बहुत अधिक पानी होने दे और ना ही खेत को सूखा पढ़ने दें। उपर दिए गए तरीकों को अगर आप इस साल अपना लेते हैं तो आपके धान के उत्पादन में चार चांद लग सकते हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।