अगर धान में तना छेदक और गोभ सूंडी से हैं परेशान तो यहां देखें इलाज

 

किसान साथियों , धान की फसल में इस समय तना छेदक और गर्दन तोड़ जैसी गंभीर बीमारियाँ किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन जाती हैं। ये बीमारियाँ फसल के लिए अत्यधिक नुकसानदेह हो सकती हैं और इसलिए किसानों को इनसे निपटने के लिए सतर्क रहना चाहिए। जैसे-जैसे धान की बालियों में दाना बनने का समय आ रहा है, यदि आपकी फसल की बालियां सूखने लगी हैं, तो तुरंत कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है।

उत्तर प्रदेश के कई किसान अपनी फसल में तना छेदक और गर्दन तोड़ रोग का सामना कर रहे हैं। इस समस्या के कारण उनकी फसल सूख रही है, जो उनकी मेहनत और मेहनत को बर्बाद कर सकती है। इस कठिनाई ने किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र तक खींच लिया है, जहां वे समाधान की तलाश में हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी, प्रोफेसर डॉ. आई.के. कुशवाहा ने कई किसानों के खेतों का निरीक्षण किया और उन्हें इन बीमारियों को नियंत्रित करने के उपाय बताए।

प्रोफेसर  ने किसानों को सलाह दी है कि धान की फसल पर इस समय बाली आ रही है। यदि किसान इसे सुरक्षित रखते हुए अच्छी पैदावार प्राप्त कर पाते हैं, तो यह उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। इसके लिए उन्हें कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करने और फसल की नियमित निगरानी करने की आवश्यकता है।

धान की फसल में तना छेदक और गर्दन तोड़ रोग: पहचान और उपचार

तना छेदक (गोभ वाली सुंडी) का प्रभाव

तान छेदक, जिसे गोभ वाली सुंडी भी कहा जाता है, धान की फसल में सफेदपन लाने का मुख्य कारण है। यह सुंडी पहले पत्तों में अंडे देती है, और फिर तने में घुसकर फसल को गंभीर नुकसान पहुंचाती है। जैसे-जैसे यह सुंडी तने में प्रवेश करती है, पौधा सूखने लगता है, जिससे फसल की उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

बचाव के उपाय

तना छेदक से बचाव के लिए, किसानों को हाइड्रोक्लोराइड (250 ग्राम) और इमामेक्टिन (100 ग्राम) को 200 लीटर पानी में मिलाकर शाम के समय छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। यह प्रक्रिया कीटों को नियंत्रित करने में सहायक है और फसल की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

गर्दन तोड़ रोग की पहचान

गर्दन तोड़ (Neck Blast) रोग धान की पत्तियों पर नाव के आकार के निशान बनाता है। यदि समय रहते इसका इलाज नहीं किया गया, तो यह रोग बालियों की गर्दन में छल्ला बनाकर उन्हें तोड़ देता है। यह समस्या फसल के लिए अत्यधिक हानिकारक हो सकती है, और किसानों को इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

गर्दन तोड़ रोग से बचाव के उपाय

गर्दन तोड़ रोग से बचाव के लिए, किसान ट्रिकोडरमा (मित्र फफूंदी) और स्यूडोमोनास (मित्र बैक्टीरिया) का उपयोग कर सकते हैं। इनकी प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए, बाली निकलने से पहले, बाली निकलते समय, और बाली निकलने के बाद तीन बार इनका छिड़काव करना आवश्यक है। यह प्रक्रिया रोग को नियंत्रित करने में मदद करेगी और फसल की गुणवत्ता को बनाए रखेगी।

निष्कर्ष
धान की फसल में तना छेदक और गर्दन तोड़ रोग की पहचान और उपचार में किसानों को सतर्क रहना चाहिए। सही समय पर उपाय करने से इन बीमारियों के प्रभाव को कम किया जा सकता है और फसल की उपज को सुरक्षित रखा जा सकता है। किसानों को विशेषज्ञों की सलाह लेकर उचित कीटनाशक और जैविक उपचारों का उपयोग करना चाहिए।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।