अगर गेहूं में अड़ंगे की समस्या हो रही है तो आपको यह पोस्ट पढ़ लेनी चाहिए | weed control in wheat
किसान साथियो, हमारे देश में गेहूं की खेती कृषि क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में गेहूं की खेती लाखों किसानों की आजीविका का आधार है। देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग जलवायु, विभिन्न प्रकार की मिटटी और खेती करने के तरीकों की विविधता के कारण गेहूं की बुआई, सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन और खरपतवार नियंत्रण में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और क्षेत्रीय सलाह आवश्यक हो जाती है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) और कृषि वैज्ञानिकों द्वारा गेहूं की खेती के लिए समय-समय पर महत्वपूर्ण सुझाव जारी किए जाते हैं, जो किसानों को ज्यादा से ज्यादा उत्त्पादन प्राप्त करने में सहायता करते हैं। दोस्तों गेहूं की बुवाई का सीजन लगभग पूरा होने वाला है। 25 नवम्बर के बाद पछेती गेहूं की बुवाई मानी जाएगी। बुवाई के बाद किसानो के सामने जो सबसे बड़ा चैलेंज खड़ा होता है वो है खरपतवार नियंत्रण। दोस्तों शुरुआती चरण में खरपतवार को समाप्त करना काफी आसान होता है लेकिन अगर आपने इसमें लापरवाही बरती तो यह आपको महंगा पड़ सकता है। इसलिए हम आपको आज के लेख में गेहूं में खरपतवार के सस्ते और कारगर उपाय सुझाएंगे ताकि आप समय पर एक्शन ले सकें
खरपतवार नियंत्रण (weed control in wheat )
खरपतवार गेहूं की फसल के लिए एक बड़ी समस्या हो सकती है। मुख्य खरपतवार में जंगली जई, दूब घास, बथुआ, चटरी और गेहूं का मामा जैसे खरपतवार शामिल हैं, जो फसल की उत्पादकता में 30% तक कमी ला सकते हैं। इन खरपतवारों के नियंत्रण के लिए फसल की बुवाई के 30-35 दिन बाद या पहली सिंचाई के बाद मेटसल्फ्युरॉन मिथाइल की एक यूनिट दवा 180-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
इसके अलावा आप सामान्य खरपतवारों के लिए 24 D Sodium Salt 650 ग्राम प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें। अगर आपके खेत में आमतौर पर बथुआ पैदा होता है तो आप बथुआ नियंत्रण के लिए बुआई के बाद 1-2 दिनों के अंदर पेंडामेथेलिन 30 ईसी का 800-1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
रोग प्रबंधन और सावधानियां
गेहूं की फसल में गेरुआ रोग, कण्डवा और पीला रतुआ जैसे रोग प्रमुख रूप से पाए जाते हैं। इनसे बचाव के लिए बीजों को उपचारित करना और रोग प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करना अनिवार्य है। गेरुआ रोग के लिए प्रोपिकोनाजोल का 200 मिलीलीटर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
खरपतवार और कीटनाशक का छिड़काव करते समय कृषि वैज्ञानिकों की सलाह जरूर लें। दवाइयों को सरकारी गोदामों या पंजीकृत विक्रेताओं से ही खरीदें और रसीद लें। छिड़काव करते समय मास्क, दस्ताने, और सुरक्षात्मक उपकरण पहनें, और हवा के विपरीत दिशा में खड़े होकर छिड़काव न करें।
सिंचाई प्रबंधन भी है जरुरी
सिंचित क्षेत्रों में पहली सिंचाई बुआई के 20-22 दिन बाद करें, और इसके बाद प्रत्येक 25 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। अर्धसिंचित क्षेत्रों में पहली सिंचाई 35-40 दिन बाद कर सकते हैं । बाढ़ ग्रसित छेत्रों के किसान फसल में जल निकासी की उचित व्यवस्था रखें और यूरिया खाद का उपयोग सिंचाई के समय करें।
कुछ अतिरिक्त सुझाव
किसान भाई खेत की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं और हर तीन साल में जैविक खाद का उपयोग करें। फसल अवशेष जलाने से बचें, क्योंकि इससे मिट्टी के सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं। खरपतवार नियंत्रण, सिंचाई और रोग प्रबंधन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर आप अपनी गेहूं की फसल का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बढ़ा सकते हैं
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।