प्याज का रंग पीला हो रहा है तो बस ये रिपोर्ट देख लो | उत्पादन बढ़ाने का रामबाण फार्मूला

 

प्याज की फसल में जान डालने का फार्मूला

किसान साथियों अगर आपकी प्याज की फसल 30 से 50 दिन की हो चुकी है और उसमें पीलापन आ गया है, ग्रोथ रुक गई है, ऊपर से पत्तियां सूख रही हैं, या कंद में गणन/ग्रोथ हो रहा है, तो यह संकेत है कि फसल की स्थिति गंभीर है। ऐसी स्थिति में आपकी फसल को तुरंत उपचार की आवश्यकता है, ताकि उसकी सेहत और उत्पादन क्षमता में सुधार हो सके।

जब प्याज की फसल 30 दिन से आगे बढ़ जाती है और उसमें पीलापन बना रहता है या उसकी ग्रोथ बंद हो जाती है, तो यह मुख्य रूप से फंगस जनित बीमारियों का परिणाम हो सकता है। चाहे वह मिट्टी की फंगस हो या पत्तियों की, इन बीमारियों की पहचान और सही समय पर इलाज जरूरी होता है।क्योकि कमजोर ग्रोथ के कारण फसल पर्याप्त भोजन नहीं बना पाएगी, जिससे जड़ें मिट्टी से पोषक तत्व उठाने में असफल होंगी। इससे कंद छोटे रह जाएंगे और फसल जल्दी मैच्योर हो जाएगी, जिससे आपको समय से पहले फसल उखाड़नी पड़ेगी।

फसल के इस अवस्था में फंगस की समस्या के कारण उसकी पत्तियां पीली हो जाती हैं और वह पर्याप्त भोजन नहीं बना पाती। नतीजतन, जड़ें मिट्टी से पोषक तत्व नहीं उठा पातीं और कंद की ग्रोथ रुक जाती है।और कमजोर ग्रोथ और जल्दबाजी में तैयार हुई फसल का सीधा असर आपके उत्पादन पर पड़ेगा। कम उपज होने के साथ-साथ मंडी में भी आपको उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा, जिससे आर्थिक नुकसान होगा।

फसल को बचाने के उपाय

जब आपकी फसल 32 दिन की हो जाए, तब से अगले 20 दिनों में आपको उसकी वेजिटेटिव ग्रोथ (वनस्पतिक वृद्धि) पूरी करानी होगी। जितनी अच्छी तरह से फसल की तने मोटे और सफेद होंगे, उतनी ही बेहतर होगी उसकी जड़ और पत्तियों की कार्यक्षमता।

पत्तियों का हरा और स्वस्थ होना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी के माध्यम से फसल दिन के दौरान भोजन बनाती है। जमीन से पोषक तत्व और पानी सही तरीके से उठने के लिए जड़ का मजबूत होना जरूरी है, ताकि फसल 50 दिन के बाद कंद को आकार और मजबूती दे सके।

प्याज की फसल में पीलापन आने के कारण

जमीन की उर्वराशक्ति की कमी

फसल में पीलापन आने का पहला और सबसे सामान्य कारण जमीन की उर्वराशक्ति में कमी होना है। हर किसान को अपनी जमीन की उर्वरता का अंदाजा होता है और यह कि पिछली फसल कौन सी लगी थी। जिन खेतों में पिछली बार बाजरे जैसी फसलें लगी थीं, वहां इस बार प्याज की फसल में पीलापन अधिक देखने को मिलता है। इसके कारण 80% तक संभावना रहती है कि फसल की ग्रोथ प्रभावित हो जाएगी। भले ही किसान ने सभी जरूरी खाद और उर्वरक डाले हों, फिर भी फसल ठीक से बढ़ नहीं पाएगी।

जलवायु परिस्थितियाँ

दूसरा बड़ा कारण जलवायु की स्थिति होती है। अभी भी तापमान 35-36 डिग्री सेल्सियस के बीच है, जो प्याज की फसल के लिए उपयुक्त नहीं है। खासकर उन किसानों की फसल जो 15 या 20 अगस्त से पहले प्याज की बुवाई कर चुके हैं, उनकी स्थिति इस समय गंभीर हो सकती है। तापमान की गर्मी के कारण प्याज की पत्तियां पीली हो जाती हैं और उसकी ग्रोथ रुक जाती है। ऐसे में कंद भी ठीक से विकसित नहीं हो पाता, जिससे पैदावार कम हो जाती है।

सिंचाई की गलतियां

तीसरा कारण किसान की अपनी सिंचाई से संबंधित गलतियां हो सकती हैं। कुछ किसान बिना यह देखे कि फसल को पानी की आवश्यकता है या नहीं, लगातार सिंचाई करते रहते हैं। विशेष रूप से छोटे पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन अधिक सिंचाई से फसल पीली पड़ सकती है। अगर मौसम में बादल आ जाते हैं या पुरवा हवा चलने लगती है, तो इससे फसल और अधिक प्रभावित होती है। साथ ही ओस भी पत्तियों पर फंगस बनने का कारण बनती है, जिससे पीलापन आ जाता है।

अक्सर किसान स्प्रिंकलर से सिंचाई करते हैं, और जब बिजली आती है, तो सिंचाई लगातार चलती रहती है। इस दौरान यह ध्यान नहीं दिया जाता कि फसल को सही मात्रा में पानी मिल रहा है या नहीं। अधिक पानी से पत्तियों में फंगस पनपने लगती है और फसल की ग्रोथ रुक जाती है। इसलिए फसल की छोटी अवस्था में सिंचाई को लेकर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

प्याज की फसल में पीलापन और फंगस की समस्याओं का समाधान

सिंचाई को नियंत्रित करना

सबसे पहले आपको अपनी फसल की आवश्यकताओं के अनुसार सिंचाई करनी होगी। बिना जरूरत के पानी न दें। अगर जमीन गीली है तो सिंचाई नहीं करें, और थोड़ी नमी को खत्म करने के लिए जमीन को हल्का सूखने दें। इससे जड़ें जमीन के अंदर गहराई तक जाएंगी, और पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से उठाएंगी। लगातार पानी भरने से जमीन के पोषक तत्व नीचे चले जाते हैं, जिससे फसल उन्हें नहीं उठा पाती। इसके साथ ही, जड़ों के आसपास फंगस पनपने का खतरा भी रहता है, जो फसल को नुकसान पहुंचाता है।

पोषक तत्वों की कमी पूरी करना

अगर खेत में पोषक तत्वों की कमी है, तो उसे पूरा करना आवश्यक है। इसके लिए  20-25 किलो प्रति एकड़ अमोनियम सल्फेट का उपयोग करें। इसके अलावा  7-10 किलो प्रति एकड़ जिंक सल्फेट (21%) का प्रयोग भी कर सकते है । साथ ही  7-10 किलो मैग्नीशियम सल्फेट डालें। इसके साथ  5 किलो प्रति एकड़ फेरस सल्फेट का भी उपयोग करें।

अगर आपने पहले से ही इंसेक्टिसाइड (जैसे कार्ट अप हाइड्रोक्लोराइड या क्लोरो पाइरी फोस 20%) का उपयोग किया है, तो यह ठीक है। अगर अभी तक इंसेक्टिसाइड का उपयोग नहीं किया है, तो खाद के साथ इसका मिश्रण करके बुरकाव करें:

1 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से क्लोरो पाइरी फोस 20% का मिश्रण करें। या फिर 4 किलो प्रति एकड़ कार्ट अप हाइड्रोक्लोराइड (दानेदार रूप में) मिलाएं।

इसके बाद, खेत में सिंचाई करें। अगर खेत की मिट्टी कड़ी हो चुकी है, तो मिट्टी की सतह को खुरपा या किसी औजार से तोड़ दें ताकि पोषक तत्व सही से जमीन के अंदर पहुंच सकें।

फंगस और गणन की रोकथाम

अगर आपकी फसल में फंगस या गलन की समस्या है, तो इसे नियंत्रित करना जरूरी है। इसके लिए:

राख में 500 ग्राम से 1 किलो प्रति एकड़ थायोफनेट मिथाइल को मिलकर  उपयोग करें। इसे राख के साथ मिलाकर खेत में छिड़कें। सिंचाई के बाद यह जड़ों तक पहुंचेगा और फंगस को खत्म करेगा।
राख का उपयोग करने से फसल को पोटाश की भी पूर्ति हो जाएगी, जो पौधे की सेहत के लिए महत्वपूर्ण है।

इसके साथ ही, अगर फंगस की समस्या अधिक गंभीर है, तो बायर कंपनी का एलियट (Aliette) 0.5-1 किलो प्रति एकड़ का उपयोग करें। इसे सिंचाई के माध्यम से या ड्रिप, मिनी स्प्रिंकलर या फ्लड इरिगेशन से खेत में डालें। यह फंगस को नियंत्रित करेगा और आपकी फसल को बचाएगा।

ऊपर से फंगीसाइड और कीटनाशक का छिड़काव

अब, फंगस और कीटों से बचाव के लिए उपयुक्त फंगीसाइड और कीटनाशक का छिड़काव करना जरूरी है।

फंगीसाइड: टेबुकोनाजोल, ट्राई फ्लक्स स्टोबिल, एजक्स स्टोबल, डाई फेनकोनाजोल, प्रोपिन या एंट्रोकोल जैसे फंगीसाइड का उपयोग करें। ये फंगीसाइड फसल को ओस के कारण होने वाले झुलसा रोग से बचाएंगे, जिससे फसल की पत्तियां प्रभावित नहीं होंगी और कंद का विकास सही से होगा।

कीटनाशक: थायमिथोक्साम 25% या एममेक्टिन बेंजोएट का प्रयोग करें। ये कीटनाशक रसूस कीट और सुंडी को नियंत्रित करेंगे और फसल में क्लोरोफिल की मात्रा बढ़ाएंगे। इसके अलावा, क्लोरोफोस, डेल्टामेथ्रिन, अल्फामेथ्रिन, और साइफ्लूथ्रिन जैसे कीटनाशक भी उपयोगी हैं।

इन सभी उपायों को अपनाने से आपकी प्याज की फसल की समस्याएं जैसे पीलापन, फंगस, और कीटों से होने वाली क्षति पूरी तरह से नियंत्रित हो जाएगी, और फसल की वृद्धि सही तरीके से होगी।

नोटः दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इन्टरनेट पर उपलब्ध भरोसेमंद स्त्रोतों से जुटाई गई है। किसी भी जानकारी को प्रयोग में लाने से पहले नजदीकी कृषि सलाह केंद्र से सलाह जरूर ले लें

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।