धान की फसल में खाद का कितना छिड़काव करना सही है | जाने कृषि विशेषज्ञों की सलाह

 

किसान साथियो भारत में खरीफ के मौसम में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। धान की फसल को पोषक तत्वों की आवश्यकता अधिक होती है। इसीलिए धान की खेती में उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। उर्वरकों का संतुलित प्रयोग न केवल फसल उत्पादन को बढ़ाता है बल्कि मिट्टी की उर्वरक क्षमता को भी बनाए रखने में मदद करता है। मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही उर्वरकों की मात्रा और प्रकार का निर्धारण करना चाहिए। मिट्टी परीक्षण से यह पता चलता है कि मिट्टी में कौन से पोषक तत्वों की कमी है और कितनी मात्रा में उर्वरक देने की आवश्यकता है। यदि किसी कारणवश मिट्टी का परीक्षण नहीं करवाया जा सकता है, तो किसानों को कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए। धान की विभिन्न किस्मों के लिए उर्वरकों की आवश्यकता अलग-अलग होती है। इसलिए, किसानों को अपनी फसल की किस्म के अनुसार उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। कृषि विशेषज्ञ किसानों को उर्वरकों के सही प्रयोग के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान कर सकते हैं।

अधिक उपज देने वाली धान की किस्मों में कितना खाद डालना चाहिए
साथियो अधिक उपज देने वाली धान की किस्में आम तौर पर शीघ्र पकने वाली होती हैं। इन किस्मों में अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए उर्वरकों का संतुलित प्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, इन किस्मों में नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) और पोटैशियम (K) का अनुपात क्रमशः 120:60:60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होना चाहिए। उर्वरकों को देने का सही तरीका भी उपज को प्रभावित करता है। फॉस्फोरस और पोटैशियम की पूरी मात्रा को रोपाई से पहले खेत में मिला देना चाहिए। वहीं, नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा को रोपाई के समय और शेष दो तिहाई मात्रा को जब पौधे कल्ले फूटने की अवस्था में हों तब ऊपर से देना चाहिए। इस प्रकार उर्वरकों को देने से पौधों को आवश्यक पोषक तत्व समय पर मिलते रहते हैं और वे स्वस्थ रहकर अधिक उपज देते हैं।

मध्यम देर से पकने वाली धान में कितना खाद डालना चाहिए
साथियो मध्यम देर से पकने वाली धान की किस्मों के लिए उर्वरकों का संतुलित प्रयोग बेहद महत्वपूर्ण है। इन किस्मों में नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) और पोटैशियम (K) का अनुपात क्रमशः 120:60:60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होना चाहिए। उर्वरकों को देने का सही तरीका भी उपज को प्रभावित करता है। फॉस्फोरस और पोटैशियम की पूरी मात्रा को रोपाई से पहले खेत में मिला देना चाहिए। वहीं, नाइट्रोजन को तीन बराबर भागों में बांटकर अलग-अलग समय पर देना चाहिए। रोपाई के 7 दिन बाद पहला भाग, कल्ले फूटने के समय दूसरा भाग और दाने बनने की अवस्था में तीसरा भाग खेत में डालना चाहिए। इस प्रकार उर्वरकों को देने से पौधों को आवश्यक पोषक तत्व समय पर मिलते रहते हैं और वे स्वस्थ रहकर अधिक उपज देते हैं।

सुगंधित धान (बौनी) में उर्वरक का कितना इस्तेमाल करे
साथियो सुगंधित धान की बौनी किस्मों के लिए उर्वरकों का संतुलित प्रयोग बेहद महत्वपूर्ण है। इन किस्मों में नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) और पोटैशियम (K) का अनुपात क्रमशः 120:60:60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होना चाहिए। उर्वरकों को देने का सही तरीका भी उपज को प्रभावित करता है। फॉस्फोरस और पोटैशियम की पूरी मात्रा को रोपाई से पहले खेत में मिला देना चाहिए। वहीं, नाइट्रोजन को तीन बराबर भागों में बांटकर अलग-अलग समय पर देना चाहिए। रोपाई के 7 दिन बाद पहला भाग, कल्ले फूटने के समय दूसरा भाग और दाने बनने की अवस्था में तीसरा भाग खेत में डालना चाहिए। इस प्रकार उर्वरकों को देने से पौधों को आवश्यक पोषक तत्व समय पर मिलते रहते हैं और वे स्वस्थ रहकर अधिक उपज देते हैं।

Note:- किसान साथियो उपर दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध विश्वसनीय स्रोतों और किसानों के निजी अनुभव पर आधारित है। किसी भी जानकारी को उपयोग में लाने से पहले कृषि वैज्ञानिक की सलाह जरूर ले लें । कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार धान में किसी भी बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो तुरंत कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लेनी चाहिए।

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।