इस आलू की खेती से करें 2 लाख रुपए तक की कमाई, जानें पूरी डिटेल रिपोर्ट में।
इस आलू की खेती से करें 2 लाख रुपए तक की कमाई, जानें पूरी डिटेल रिपोर्ट में।
किसान भाइयों, आलू को सब्जियों का 'महाराजा' कहा जाता है। आलू की सब्जी हमारे खाने की थाली का अहम हिस्सा है। इसके अलावा, आलू से अन्य कई प्रकार के खाद्य पदार्थ भी बनाए जाते हैं, जिसके कारण आलू की मांग बाजार में पूरे साल बनी रहती है। आलू की खेती देशभर के किसानों के लिए आय का महत्वपूर्ण स्रोत है। सर्दियों के मौसम में आलू की मांग तेजी से बढ़ जाती है, जिससे इसकी खेती किसानों के लिए और भी लाभदायक हो जाती है।
लेकिन प्रतिस्पर्धा के इस दौर में आज के समय में किसानों के लिए सबसे बड़ी रुकावट यह है कि कम समय और कम लागत में वे अपनी फसल से अधिक मुनाफा किस प्रकार हासिल कर सकते हैं। इसी कारण किसानों के लिए फसल की उन्नत किस्म का चुनाव बहुत ही आवश्यक हो गया है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए, आज हम आपको आलू की एक ऐसी किस्म के बारे में जानकारी देंगे जो किसानों के लिए खेती के नजरिए से अत्यंत लाभदायक साबित हो रही है।आलू की ‘कुफरी जमुनिया’ किस्म किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। यह किस्म केवल 90 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे यह कम समय में अधिक उत्पादन और मुनाफा देने वाली साबित होती है। आइए, इस रिपोर्ट में हम समझते हैं कि ‘कुफरी जमुनिया’ किस्म की खेती कैसे की जाती है और इससे कितनी आय हो सकती है।
खेती के फायदे
किसान भाइयों, आलू की इस किस्म की बाजार में मांग लगातार बढ़ रही है। किसान भाई आलू की इस वैरायटी की खेती करके अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं। इसकी गुणवत्ता और जल्दी तैयार होने की वजह से व्यापारी इसे अन्य किस्मों की तुलना में ज्यादा पसंद करते हैं।पारंपरिक किस्मों के मुकाबले यह 30-40 दिन कम समय में तैयार हो जाती है, जिसके कारण यह किसानों में बुवाई के लिए काफी लोकप्रिय हो रही है। इस किस्म का आकार और स्वाद बेहतर होने के कारण इसकी मांग अधिक होती है। इस वैरायटी में रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता भी बहुत कम होती है, जिसका फायदा किसानों को फसल में आने वाले खर्च में कमी के रूप में मिलता है।रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम होने के कारण इसके फलों की गुणवत्ता भी काफी अधिक बढ़ जाती है, जिससे बाजार में इसे अन्य फसलों के मुकाबले अधिक मूल्य मिलता है।
खेत की तैयारी
किसान साथियों, इस वैरायटी की बुवाई करने से पहले आप खेत की मिट्टी का चयन करें। आलू की वैरायटी के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है। इसके बाद खेत की 3-4 बार गहरी जुताई करें और मिट्टी में गोबर की गली-सड़ी हुई खाद मिलाएं। जैविक खाद का उपयोग इस किस्म की गुणवत्ता को और बेहतर बनाता है। खेत को समतल बनाएं ताकि पानी का जमाव न हो।रासायनिक खादों का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वराशक्ति, फसल चक्र और प्रजाति पर निर्भर होता है। आलू की बेहतर फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 150 से 180 किलो नाइट्रोजन, 60-80 किलो फॉस्फोरस और 80-100 किलो पोटाश का प्रयोग करें। फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय ही खेत में डालनी चाहिए। बची हुई नाइट्रोजन को मिट्टी चढ़ाते समय खेत में डालें।
बुवाई का समय और विधि
आलू की इस किस्म की बुवाई अक्टूबर के महीने में सबसे उपयुक्त रहती है। बुवाई के लिए पंक्तियों के बीच 20-25 सेमी की दूरी रखें। बीजों को मिट्टी में 6-8 सेमी गहराई पर लगाएं।एक हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की बुवाई के लिए लगभग 25-30 क्विंटल बीज की जरूरत होती है। खेत में उर्वरकों के इस्तेमाल के बाद ऊपरी सतह को खोदकर उसमें बीज डालें और उसके ऊपर भुरभुरी मिट्टी डाल दें। पंक्तियों की दूरी 50-60 सेमी होनी चाहिए, जबकि पौधों से पौधों की दूरी 15-20 सेमी होनी चाहिए।बुआई से पहले, बीजों को 3 प्रतिशत बोरिक अम्ल के घोल में 20-30 मिनट तक डुबोकर उपचारित करना चाहिए। इससे काली रूसी (ब्लैक स्कर्फ) और अन्य कंदजनित और मृदाजनित रोगों से बचाव होता है। उपचारित बीजों को छायादार जगह पर सुखाकर बुआई करें।
सिंचाई
आलू की इस वैरायटी की खेती में अच्छी पैदावार के लिए 7-10 बार सिंचाई करनी होती है। सिंचाई की आवृत्ति और मात्रा मिट्टी की स्थिति और मौसम पर निर्भर करती है।बुआई से पहले पलेवा न किया गया हो, तो बुआई के 2-3 दिनों के अंदर हल्की सिंचाई करें। अंकुरण से पहले, बलुई दोमट और दोमट मिट्टी में बुआई के 8-10 दिन बाद और भारी मिट्टी में 10-12 दिन बाद पहली सिंचाई करें। दूसरी सिंचाई बुआई के 20-22 दिन बाद और तीसरी सिंचाई, टॉप ड्रेसिंग और मिट्टी चढ़ाने के तुरंत बाद करें।खुदाई के समय कंद स्वच्छ निकलें, इसके लिए खुदाई से 10 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें। सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर और ड्रिप जैसी आधुनिक पद्धतियों का उपयोग करें, जिससे पानी की बचत और पैदावार में वृद्धि होती है।
कितनी होगी कमाई
किसान भाइयों, ‘कुफरी जमुनिया’ किस्म की खेती बेहद फायदेमंद है। एक हेक्टेयर जमीन पर इस किस्म की खेती से आप 300-330 क्विंटल तक आलू का उत्पादन कर सकते हैं।बाजार में इस किस्म की थोक भाव की औसत कीमत 12-15 रुपये प्रति किलो है। कुल उत्पादन से लगभग 4-5 लाख रुपये तक की आय हो सकती है। यह किस्म स्थानीय और बाहरी बाजारों में समान रूप से लोकप्रिय है।सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह वैरायटी कम समय में तैयार होने की वजह से किसान एक सीजन में दूसरी फसल की योजना भी बना सकते हैं। अगर आप इस किस्म की खेती जैविक विधि से करते हैं, तो इसकी गुणवत्ता और बाजार मूल्य और भी बढ़ जाता है।
नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट के सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है।संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।