खरीफ सीजन के धान की कटाई में देरी से गेहूं का रकबा हुआ कम देखे पूरी रिपोर्ट
किसान साथियों आगामी रबी सीजन की बुवाई में गेहूं का रकबा लगातार घट रहा है। पिछले साल जहां 55 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई थी, वहीं इस साल करीब 11 प्रतिशत की गिरावट के साथ केवल 49 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है। यदि गेहूं के रकबे में वृद्धि होती है, तो इस सीजन में सरकार का 114 मिलियन टन पैदावार का लक्ष्य पूरा होने के आसार बन सकते हैं, जबकि इस सीजन में सर्दी का मौसम सामान्य से कम रहने की संभावना है। राज्य सरकारों तथा अन्य सूत्रों से संकलित आंकड़ों के अनुसार सरसों, मसूर तथा ज्वार का रकबा बढ़ा है। रबी फसलों के अंतर्गत कुल फसलों का क्षेत्रफल 10 नवंबर तक 189.27 लाख हेक्टेयर था, जबकि गत वर्ष इस अवधि तक कुल 193.27 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। इस वर्ष रबी फसलों का रकबा करीब 2 प्रतिशत कम है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें
क्या 25 नवंबर तक बुवाई का काम पूरा हो सकता है
एक अधिकारी ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में कुछ स्थानों पर पिछले वर्ष की तुलना में धान की कटाई में कुछ विलम्ब हो रहा है, क्योंकि इन क्षेत्रों में बाढ़ आने से धान की बुवाई दोबारा करनी पड़ी थी। बाढ़ का पानी कम होने के बाद कुछ किसानों ने बहुत कम समय के लिए सब्जियां उगाईं थीं, क्योंकि नियमित फसलें उगाने का समय नहीं था। इस माह के अंत तक गेहूं की बुवाई के लिए उन क्षेत्रों की सफाई कर दी जाएगी। उम्मीद की जाती है। कि मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में लगभग 25 नवंबर तक बुवाई का काम पूरा हो जाएगा। यह भी पढ़े :- आपकी मंडी में कब मिलेगा 5000 का भाव, जाने इस रिपोर्ट में
विशेषज्ञों क्या है कहना
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में जहां किसान गन्ने के बाद गेहूं का उत्पादन करते हैं, उसमें विलंब हो सकता है, क्योंकि अभी तक गन्ने की पिराई में तेजी नहीं आई है। राज्य सरकार ने गन्ने का मूल्य 25 रूपए प्रति क्विंटल बढाकर उच्च स्टेट एडवाइज्ड प्राइस (एसएपी) तय किया है, वहीं अगली फसल के लिए खेतों की सफाई भी की जाएगी। इस वर्ष सभी दालों का रकबा 58.5 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जबकि एक वर्ष पहले 57.71 लाख हेक्टेयर में दालों की बुवाई की गई थी। इनमें मसूर करीब 17 प्रतिशत अधिक क्षेत्रफल में बोई गई है, जबकि चना की बुवाई इस वर्ष कम हुई है। इसी प्रकार राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु में भी कुछ कम-ज्यादा रकबे के साथ दालों की बुवाई की गई है।
मोटे अनाज ने कितने लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल कवर किया
मोटे अनाज तथा श्री अन्न के अंतर्गत करीब 15.65 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल कवर किया गया है, जो कि पिछले वर्ष के 13.39 लाख हेक्टेयर से करीब 17 प्रतिशत अधिक है। महाराष्ट्र में 7.82 लाख हेक्टेयर, तमिलनाडु में 2.19 लाख हेक्टेयर और कर्नाटक में 3.67 लाख हेक्टेयर में ज्वार और मक्का जैसे मोटे अनाज की बुवाई की गई है। ज्वार की बुवाई का क्षेत्रफल करीब 40 प्रतिशत अधिक दर्ज किया गया है। सर्दी के मौसम में बोए जाने वाले तिलहनों का रकबा पिछले वर्ष के 60.39 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 59.67 लाख हेक्टेयर के साथ थोड़ा कम रहा है। सर्दी के सीजन में होने वाले धान का क्षेत्रफल इस वर्ष 6.94 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जबकि गत वर्ष यह रकबा 7.06 लाख हेक्टेयर था। 4 से 5 रुपए ऊपर-नीचे चलते रहेंगे तथा वर्तमान भाव में स्टॉक में भी रिस्क है, क्योंकि आगे चलकर अफ्रीकन देशों के टेंडर किस हिसाब से होते हैं, उस पर निर्भर करेगा । गत वर्ष भी ऑफ सीजन में तेजी बनी थी, सीजन के शुरुआत में जो बाजार बढ़े थे, उसके बाद मध्य में 6-7 महीने तक बाजार दबे रहे, जिसमें काफी स्टॉकिस्टों को नुकसान लगा तथा तेजी जाकर उस समय पर आई, जब स्टॉकिस्टों के माल कट गए थे तथा कुछ गिने-चुने घरानों में ही स्टॉक बचा था, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए तिल्ली के व्यापार में सामने ग्राहक को देखकर ही खरीद करना चाहिए।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।