DAP की कमी होगी दूर | अपनाएं यह तरीका | उत्पादन में होगी ज़बरदस्त बढ़ोतरी

 

किसान साथियों पिछले कुछ समय से भारत में डीएपी (Diammonium Phosphate) की भारी कमी देखने को मिली है। इसका मुख्य कारण सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और डीएपी के मूल्य नियंत्रण से जुड़ा हुआ है। सरकार ने डीएपी के लिए ₹1350 प्रति कट्टा की दर तय की है, जो इस रेट से ऊपर नहीं जा सकता। हालांकि, डीएपी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल बुवाई के समय होता है, जब यह पौधों की जड़ विकास के लिए आवश्यक होता है। भारत में लगभग 40% डीएपी का उत्पादन होता है, और 60% हमें इम्पोर्ट करना पड़ता है। इसमें से अधिकांश इम्पोर्ट चाइना से होता था, लेकिन हाल ही में चीन ने अपने एक्सपोर्ट में कमी कर दी है, क्योंकि अब वह इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों में फास्फोरस का इस्तेमाल करने लगा है। इस कारण से, डीएपी की कमी का सामना करना पड़ा रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़े दाम
डीएपी की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ₹3250 प्रति कट्टा के आसपास है, जबकि भारत में इसका सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य ₹1350 है। इसमें कई अन्य खर्चे शामिल होते हैं जैसे कि इम्पोर्ट, ट्रांसपोर्ट, डिस्ट्रीब्यूशन, लेबर आदि, जिसके चलते कंपनियों को ₹250 से ₹300 अधिक खर्च हो रहा है। यह स्थिति तब और जटिल हो गई जब कंपनियों ने डीएपी के मूल्य में बढ़ोतरी को रोकने के लिए कम रुचि दिखाई। इसके परिणामस्वरूप, डीएपी की उपलब्धता घट गई है।

डीएपी की कमी 
दोस्तों DAP की समस्या किसानों के लिए गंभीर बन गई है, लेकिन अब इसका समाधान भी संभव है। एक तरीका यह है कि डीएपी के मूल्य नियंत्रण को समाप्त कर दिया जाए, जिससे किसानों को बाजार के हिसाब से डीएपी मिल सके। यदि यह संभव नहीं है, तो सरकार को सीधे किसानों को ₹1100 प्रति कट्टा की सब्सिडी देना चाहिए। इस तरह से, ओपन मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और डीएपी की उपलब्धता में सुधार होगा।

नैनो डीएपी और अन्य विकल्प
डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए नैनो डीएपी का उपयोग किया जा सकता है। यह एक सस्ता और प्रभावी विकल्प हो सकता है। यदि आपको डीएपी नहीं मिल पा रहा है, तो आप नैनो डीएपी का प्रयोग बीज उपचार के लिए कर सकते हैं। 250 मिली नैनो डीएपी को 40 किलो बीज में मिलाकर उपयोग किया जा सकता है। यह तरीका खेतों में अच्छे परिणाम दे सकता है,

फास्फोरस बैक्टीरिया का उपयोग
फास्फोरस की कमी को पूरा करने के लिए फास्फोरस सॉलिबिलाइजिंग बैक्टीरिया (PSB) का भी उपयोग किया जा सकता है। यह बैक्टीरिया फास्फोरस को फसलों के लिए उपलब्ध बना सकते हैं। आप इसे 350 रुपये में प्राप्त कर सकते हैं। इसके प्रयोग के लिए, 200 लीटर पानी में 2 किलो गुड़ मिलाकर PSB डालें। इसके बाद इसे सिंचाई के साथ खेत में 20 से 30 लीटर प्रति किला की दर से डालें। यह तरीका सस्ता और प्रभावी साबित हो सकता है।

डीएपी और एनपीके खादों का तुलना

किसान हमेशा अपनी फसल की पैदावार को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की खादों का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से डीएपी (Diammonium Phosphate) और एनपीके (Nitrogen, Phosphorus, Potassium) खाद बहुत ही लोकप्रिय हैं। इन दोनों खादों के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं, जो फसल के विकास और पैदावार पर सीधे प्रभाव डालते हैं। आइए जानते हैं इन दोनों खादों के बारे में विस्तार से।

डीएपी और एनपीके में क्या अंतर है?

डीएपी और एनपीके दोनों ही महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, लेकिन इनमें कुछ अंतर भी होते हैं। डीएपी में मुख्य रूप से दो पोषक तत्व होते हैं: फ़ॉस्फ़ोरस (46%) और नाइट्रोजन (18%)। वहीं, एनपीके खाद में तीन प्रमुख पोषक तत्व पाए जाते हैं—नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस, और पोटैशियम (प्रत्येक की मात्रा लगभग 20-20%)। इस प्रकार, एनपीके खाद अधिक समृद्ध और संतुलित होती है क्योंकि इसमें तीनों मुख्य पोषक तत्व शामिल होते हैं, जो फसल के समग्र स्वास्थ्य और विकास के लिए जरूरी होते हैं।

डीएपी व एनपीके का उपयोग

डीएपी खाद का सबसे अच्छा समय बुआई के दौरान होता है। यह फसल के शुरुआती विकास में मदद करता है, खासकर जब पौधों को ज़्यादा नाइट्रोजन और फ़ॉस्फ़ोरस की आवश्यकता होती है। हालांकि, कई किसान बुआई के समय के बजाय पहली या दूसरी सिंचाई के दौरान डीएपी का उपयोग करते हैं। एक एकड़ में लगभग 50 किलो डीएपी का प्रयोग किया जाता है, जो फसल की शुरुआती वृद्धि में सहायक होता है।

एनपीके खाद में नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस, और पोटैशियम का संतुलित मिश्रण होता है, जो फसल की विकास प्रक्रिया को संतुलित और अधिक प्रभावी बनाता है। नाइट्रोजन पौधों की पत्तियों के विकास में सहायक होता है, जिससे पौधे हरे-भरे और मजबूत होते हैं। फ़ॉस्फ़ोरस स्वस्थ जड़ों, फूलों और फलों के उत्पादन में मदद करता है, जबकि पोटैशियम पौधों के समग्र स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

  नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।