कपास के आयात के चलते गिर रहे हैं नरमा कपास के रेट | जाने क्या कहती है नरमा कपास की रिपोर्ट

 

आयात के कारण घरेलू कपास के भावों पर पड़ रहा असर, जानिए इस रिपोर्ट में।

किसान भाइयों, भारत में कपास की खेती एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसल (Commercial Crop) है, जिसमें अच्छे मुनाफे की संभावनाएं होती हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि किसानों को उनकी उपज का अच्छा बाजार मूल्य मिले। वर्तमान में, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कपास की खेती प्रमुखता से होती है। खासकर महाराष्ट्र में, जहां करीब 40 लाख से अधिक किसान कपास की खेती में संलग्न हैं। हालांकि, वर्तमान में कपास की कीमतों में गिरावट और आयात की स्थिति ने किसानों के मुनाफे को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस स्थिति को देखते हुए महाराष्ट्र में आगामी चुनावों से पहले कपास के भाव को लेकर राजनीति भी गरमा रही है। किसान साथियों, महाराष्ट्र के किसानों की स्थिति इस वक्त बहुत असंजस की है, जैसा कि आप जानते हैं कि कपास एक महत्वपूर्ण कमर्शियल फसल है, जो किसानों को अच्छी उपज मिलने पर अच्छा मुनाफा दे सकती है। लेकिन वर्तमान में कपास के दाम में गिरावट के कारण किसानों को वो अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। अगर कपास की खेती सही तरीके से की जाए और बाजार में इसकी कीमत सही हो, तो किसान अच्छे मुनाफे की उम्मीद कर सकते हैं। लेकिन वर्तमान में बाजार में कपास के दाम गिरते जा रहे हैं।

आयात का प्रभाव
किसान भाइयों, कपास के दामों में आई गिरावट का एक प्रमुख कारण विदेशी आयात भी है। कई किसान संगठनों और राजनीतिक नेताओं ने केंद्र सरकार से कपास के आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि आयात से स्थानीय बाजार में कपास की कीमतें और भी अधिक गिर सकती हैं, जिससे किसानों को सीधा नुकसान होगा। राज्य में किसानों की स्थिति को बेहतर बनाने और कपास की खेती को लाभकारी बनाने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए, इस पर विचार करना बेहद जरूरी है। कपास उत्पादन में महाराष्ट्र का दूसरा स्थान है और यहां के किसानों के लिए कपास एक महत्वपूर्ण फसल है। इस समय महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, और चुनाव के पहले कपास के दामों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राज्य में 40 लाख से अधिक किसान कपास की खेती करते हैं, और कपास के दाम में गिरावट ने इन किसानों के सामने संकट खड़ा कर दिया है। किसानों का आरोप है कि आयातित कपास के कारण स्थानीय बाजार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। जहां देश में पहले से ही पर्याप्त मात्रा में कपास का स्टॉक मौजूद है, वहीं अतिरिक्त कपास आयात करने से बाजार में कपास की कीमतें कम होने का खतरा बढ़ जाता है। किसान नेता नाना पटोले का मानना है कि अगर सरकार कपास के आयात पर प्रतिबंध नहीं लगाती है, तो कपास बाजार में स्थानीय उत्पादकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। आयात के कारण कीमतों में गिरावट से किसानों को अपनी उपज को बेचने में कठिनाई हो रही है, और उनके पास कपास का स्टॉक जमा हो गया है। इससे उन किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है जो अपनी फसल को बेचकर लाभ कमाना चाहते हैं। कपास आयात पर प्रतिबंध लगाकर सरकार को स्थानीय किसानों की रक्षा करनी चाहिए, ताकि उन्हें उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल सके। कांग्रेस नेता नाना पटोले का कहना है कि कपास के उत्पादन में महाराष्ट्र महत्वपूर्ण है। फिर भी राज्य में आयातित कपास के कारण स्थानीय कीमतों में भारी गिरावट आ रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कपास आयात पर प्रतिबंध लगाने की अपील की। उनका कहना है कि इस गिरावट का सबसे बड़ा नुकसान किसानों को होगा। इस समय में कपास की भाव 6,500 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है, जो कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी कम है। कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7,122 रुपये है। नरमा और कपास के भाव में गिरावट के कारण किसान अपनी उपज को बाजार में बेचने से अब बच रहे हैं।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
किसान भाइयों, महाराष्ट्र के किसान नेताओं ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कपास की खरीद की मांग की है। वर्तमान में, कपास की कीमतें MSP से कम चल रही हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार को गैर-न्यूनतम मूल्य (Non-MSP) बाजार की स्थिति को देखते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें उनकी उपज का उचित दाम मिले। इसके लिए केंद्र सरकार को कपास की खरीद MSP पर करने का निर्देश देना चाहिए, ताकि कृषि क्षेत्र में स्थिरता आ सके। इससे किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिलने में सहायता मिलेगी, और वे आर्थिक रूप से सशक्त बन पाएंगे। दोस्तों, 2024-25 के लिए केंद्र सरकार ने कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य मध्य लंबा रेशा कपास के लिए 7,121 रुपए प्रति क्विंटल और लंबा रेशा कपास के लिए 7,521 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। किसानों को उम्मीद है कि सरकार जल्द ही उनके कपास को MSP के भाव पर खरीदना शुरू करेगी।

ताजा मंडी भाव
किसान भाइयों, कपास का आयात बढ़ाने के कारण कपास के भाव में तेजी का दौर खत्म होता हुआ दिखाई दे रहा है। अगर देश के अलग-अलग राज्यों में कपास के ताजा भाव की बात करें तो उत्तर प्रदेश की मंडियों में कपास का भाव 6,000 रूपए प्रति क्विंटल, आंध्र प्रदेश की मंडियों में 5,500 रूपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है। हाजिर मंडियों के भाव को देखें तो फतेहाबाद मंडी में नरमा भाव ₹ 7300 से ₹ 7560, सिरसा मंडी में ₹ 7650 से ₹ 7815, आदमपुर मंडी में ₹ 7758, बरवाला मंडी में ₹ 7780, ऐलनाबाद मंडी में ₹ 7200 से ₹ 7742, श्रीगंगानगर मंडी में ₹ 7785, विजयनगर मंडी में ₹ 7675 से ₹ 7720 और हनुमानगढ़ मंडी में नरमा का रेट  ₹ 7716 प्रति क्विंटल तक रहा ।

राजनीतिक असर
किसान भाइयों, महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले किसानों के मुद्दों पर राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस नेता नाना पटोले ने केंद्र सरकार को कपास आयात पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर किसानों की स्थिति को ध्यान में रखने की अपील की है। चुनावों के दौरान अक्सर किसानों के मुद्दों पर राजनीतिक दलों का ध्यान अधिक होता है, जिससे उनके प्रति सहानुभूति दिखाने की कोशिश की जाती है। हालांकि, किसानों को उम्मीद है कि चुनाव के बाद भी उनकी समस्याओं का समाधान होगा और सिर्फ चुनावी वादों तक ही सीमित नहीं रहेगा। किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए एक स्थायी नीति की जरूरत है, ताकि वे हर चुनाव के समय आश्वासनों पर निर्भर न रहें।

मौसम का प्रभाव
किसान भाइयों, इस साल बेमौसम बारिश और प्रतिकूल मौसम की वजह से कपास की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराष्ट्र में 19 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र की कपास फसल प्रभावित हुई है। इस नुकसान से किसानों की आर्थिक स्थिति और भी कठिन हो गई है। जहां एक ओर फसल को प्राकृतिक कारणों से नुकसान हुआ है, वहीं दूसरी ओर बाजार में कम कीमतों ने किसानों को परेशानी में डाल दिया है। मौसम के प्रतिकूल होने पर, किसानों को उचित मुआवजे की जरूरत होती है, लेकिन वे शिकायत कर रहे हैं कि सरकार द्वारा घोषित मुआवजा केवल कागजों तक सीमित है। ऐसी स्थिति में सरकार को प्राकृतिक आपदा के कारण हुए नुकसान के लिए सही और व्यवहारिक सहायता उपलब्ध करानी चाहिए।

बीमा योजना
किसान भाइयों, केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) शुरू की गई थी। यह योजना किसानों के लिए शुरू की गई थी ताकि वे फसल हानि की स्थिति में आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकें। लेकिन कई किसानों का मानना है कि यह योजना उनके बजाय बीमा कंपनियों को ही लाभ पहुंचा रही है। इस योजना के अंतर्गत बीमा क्लेम मिलने में कठिनाई होती है, और कई बार किसान अपनी फसल की भरपाई के लिए संघर्षरत रहते हैं। कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया कि प्रतिकूल मौसम के चलते इस साल 19 लाख हेक्टेयर में कपास की फसल को नुकसान पहुंचा है। इसके बावजूद, केंद्र सरकार द्वारा घोषित मुआवजे की राशि केवल कागजों तक ही सीमित रही है और किसानों को मुख्य रूप में इसका लाभ नहीं मिल पाया है। साथ ही, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर भी सवाल उठाए गए हैं, जिनका कहना है कि यह योजना बीमा कंपनियों को फायदा पहुंचाती है, न कि किसानों को। किसानों को उम्मीद है कि PMFBY में सुधार कर इसे किसानों के लिए अधिक सहायक बनाया जाएगा। अगर बीमा योजनाएं किसानों के लाभ के लिए होंगी, तो उन्हें फसल खराब होने पर भी आर्थिक सहारा मिल सकेगा और वे अगले सीजन में खेती के लिए तैयार हो सकेंगे।

सीसीआई स्टॉक की स्थिति

दोस्तों, भारतीय कपास निगम (CCI) के पास भी कपास का बड़ा स्टॉक पड़ा हुआ है। साथ ही, जब देश में पहले से ही इतना बड़ा स्टॉक है, तो आयातित कपास के आने से बाजार पर और दबाव पड़ेगा, और इसकी कीमतें और गिर सकती हैं। इसका असर किसानों पर पड़ेगा, जबकि व्यापारियों को इसका फायदा हो सकता है। यह किसानों के लिए एक परेशानी का कारण बन सकता है, क्योंकि इस समय बेमौसम बारिश और बढ़ते कृषि उपकरणों पर GST के कारण भी कपास की स्थिति पहले से ही मुश्किलों में है। पटोले ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि CCI को गारंटी वाले मूल्य पर कपास खरीदने का निर्देश दिया जाए, ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके। उनका कहना है कि यदि कपास का आयात रोका जाता है और CCI किसानों से गारंटी मूल्य पर कपास खरीदती है, तो किसानों को सही भाव मिल सकते हैं और उनकी परेशानी कुछ हद तक कम हो सकती है।

नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी अनुमानों पर आधारित है। आप व्यापार अपनी समझ और विवेक से करें

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।