आलू की खेती से बढ़िया मुनाफा दिलाने वाली पोस्ट देख लो | इस तरीके से करें आलू की उन्नत खेती

 

पिछले कुछ दिनों से किसानो को आलू के अच्छे भाव बाज़ारों मे मिल रहे हैं । अच्छे भाव रहने के कारण किसानो का आलू की खेती की तरफ रुझान बढ़ गया है । खास तौर पर यूपी के कुछ खास जिलों मे। क्योंकि यहां की दो तिहाई जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। मौसम के ठंड होते ही जिले के किसान अपने खेतों और टांड़ भूमि में आलू की बुवाई में जुट गए हैं। यहां के अधिकांश किसान इस रबी मौसम में आलू की खेती कर अपना जीवन यापन करते हैं, जिससे फसल की बेहतर पैदावार के लिए खेती प्रबंधन और देखभाल का महत्त्व और भी बढ़ गया है।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीआर) के कृषि वैज्ञानिक ने कहा, आलू की खेती के दौरान किसानों को विशेष सावधानियों के पालन करना चाहिए । वे बताते हैं कि आलू की बुवाई के बाद फसल की उचित देखभाल करने से उत्पादन में वृद्धि होती है और साथ ही रोग तथा अन्य समस्याओं से बचाव भी होता है।

आलू के खेतों में शुरुआती चरण में चूहों का खतरा सबसे बड़ा होता है। इस समस्या से बचाव के लिए  किसानों को 'थीमेट' नामक कीटनाशक का प्रयोग करने की सलाह देते हैं। उन्होंने बताया कि थीमेट कीटनाशक को हर चूहे के बिल में 10-15 ग्राम की मात्रा में डालकर मिट्टी से बंद कर देने से चूहे या तो खेत छोड़कर भाग जाते हैं या बिल में ही मर जाते हैं। इससे फसल भी सुरक्षित रह सकती है

खरपतवार से बचाव

आलू के खेतों में खरपतवार की समस्या आमतौर पर देखने को मिलती है, जो फसल की उपज को प्रभावित कर सकती है। इस समस्या से निपटने के लिए बुवाई के तुरंत बाद खेत में पेंडीमेथिलीन नामक खरपतवारनाशक का छिड़काव किया जाता है। कृषि वैज्ञानिक के अनुसार, पेंडीमेथिलीन को 500 मिलीलीटर से 1 लीटर की मात्रा में पानी में मिलाकर पूरे खेत में छिड़काव करने से खरपतवार का असर समाप्त हो जाता है और फिर वह फसल की वृद्धि में अवरोध नहीं हो हो सकती है ।

अंकुरण की निगरानी रखे  

डॉ. सिंह सलाह देते हैं कि आलू की बुवाई के 10 दिन के भीतर किसान अपने खेत का निरीक्षण करें और देखें कि सभी बीज अंकुरित हो रहे हैं या नहीं। यदि कुछ स्थानों पर बीज अंकुरित नहीं हो रहे हैं, तो वहां पर नए बीज डाले जाएं। इस प्रकार खेत का नियमित भ्रमण करके अंकुरण को सुनिश्चित करना जरूरी है ताकि सभी जगह एकसमान फसल हो सके।

सिंचाई का नियमित ध्यान

खेत में नमी बनाए रखना भी आलू की खेती के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। कृषि वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि हर 7 से 10 दिन के अंतराल में खेत की सिंचाई करें ताकि फसल को पर्याप्त नमी मिल सके और आलू का आकार एवं गुणवत्ता में सुधार बना रहेगा और फसल अच्छी प्राप्त होगी
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।