विदेशी बाजारों में तेजी के बावजूद MSP से नीचे क्यों बिक रही है सोयाबीन | क्या तेज होंगे भाव? जाने रिपोर्ट में
महाराष्ट्र में सोयाबीन की कीमतें और MSP का अंतर
महाराष्ट्र के किसान, विशेषकर सोयाबीन उत्पादक, इस समय एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। राज्य में सोयाबीन की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चल रही हैं, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान में केंद्र सरकार ने सोयाबीन का MSP 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 292 रुपये अधिक है। हालांकि, बाज़ार में सोयाबीन की औसत कीमत 4500-4600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर है, जो MSP से लगभग 400 रुपये कम है।
इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने के प्रयास और उसका प्रभाव
किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने के लिए सरकार ने सोयाबीन तेल पर 20% इंपोर्ट ड्यूटी लागू की है। इस कदम से खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि हुई, परंतु सोयाबीन की कीमतों में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ। महाराष्ट्र सीएसीपी के चेयरमैन पाशा पटेल के अनुसार, किसानों को उचित भाव दिलाने के उद्देश्य से इस ड्यूटी को लागू किया गया, लेकिन इसका प्रभाव सोयाबीन की कीमतों पर अब तक नहीं दिखा है। किसानों की शिकायत है कि उनका सोयाबीन MSP से कम कीमत पर ही बिक रहा है।
खरीद प्रक्रिया में मानकों का पालन और समस्याएं
महाराष्ट्र में किसानों की मांग को देखते हुए नाफेड और NCCF जैसी एजेंसियों ने सोयाबीन की खरीद का कार्य शुरू किया है। परंतु इस वर्ष, नाफेड द्वारा सोयाबीन खरीदने के लिए 12% नमी का मानक रखा गया है। इस सख्त मानक के कारण कई किसानों का सोयाबीन, जिसमें 14% या उससे अधिक नमी है, नाफेड के खरीद केंद्रों पर अस्वीकृत हो रहा है। इसके चलते किसानों को मजबूरन अपना सोयाबीन निजी व्यापारियों के पास बेचना पड़ रहा है, जहाँ उन्हें MSP से भी कम मूल्य मिल रहा है।
केंद्र सरकार की खरीद योजना और सोयाबीन का कुल कोटा
केंद्र सरकार ने 2024-25 के मार्केटिंग सीजन के लिए विभिन्न राज्यों में कुल 32.20 लाख टन सोयाबीन की खरीद की मंजूरी दी है। इसमें से 13.60 लाख टन मध्य प्रदेश, 13 लाख टन महाराष्ट्र, 2.90 लाख टन राजस्थान, 1 लाख टन कर्नाटक, 90 हजार टन गुजरात और 50 हजार टन तेलंगाना के लिए निर्धारित किया गया है। हालांकि, अब तक इन राज्यों से नाफेड ने केवल 26442 टन सोयाबीन की खरीद की है। खरीद की धीमी गति और गुणवत्ता मानकों के सख्ती से कई किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
डी-ऑयल केक और सोयाबीन की कीमतों का संबंध
सोयाबीन की कीमतें मुख्य रूप से डी-ऑयल केक के बाजार मूल्य पर निर्भर करती हैं। एक क्विंटल सोयाबीन से लगभग 18 किलो तेल और 72 किलो डी-ऑयल केक निकलता है। इस बार, मक्का और चावल से इथेनॉल बनाने की अनुमति भी दी गई है, जिससे मक्का और चावल का डी-ऑयल केक बाजार में आ गया है। इसका असर यह हुआ है कि सोयाबीन का डी-ऑयल केक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है, जिससे सोयाबीन की कीमतें दबाव में आ गई हैं। डी-ऑयल केक का एक प्रमुख भाग पोल्ट्री उद्योग में जाता है, और मक्का-चावल के विकल्प की वजह से सोयाबीन की मांग पर असर पड़ा है।
किसानों की मांगें और उनके समर्थन में उठाए गए कदम
किसानों का कहना है कि 12% नमी के मानक के बजाए 14% नमी तक के सोयाबीन को स्वीकार करना चाहिए, जिससे खराब मौसम के कारण प्रभावित किसानों को राहत मिल सके। इसके अतिरिक्त, एक्सपोर्ट इंसेंटिव्स की भी मांग की जा रही है, जिससे सोयाबीन का निर्यात बढ़ सके और कीमतें MSP के स्तर तक पहुँच सकें। किसानों और संबंधित संगठनों ने केंद्र सरकार से इन मुद्दों पर ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है ताकि किसानों को तत्काल प्रभाव से राहत मिल सके।
महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में सोयाबीन की वर्तमान स्थिति
इस समय महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सोयाबीन की कीमतों में कमी और खरीद प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं के कारण किसान अपने उत्पाद को न्यूनतम स्तर पर बेचने को मजबूर हैं। महाराष्ट्र में कुछ मंडियों में सोयाबीन की कीमतें 4450-4500 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई हैं, जबकि इंदौर जैसी मंडियों में भी अधिक अराइवल और कमजोर मांग के चलते कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
इस समय जब किसान अपनी उपज को मंडियों में लेकर पहुँच रहे हैं, ऐसे में त्वरित और प्रभावी निर्णय लेने की आवश्यकता है। पाशा पटेल का मानना है कि मौजूदा स्थिति में निर्यात और नमी मानकों पर सुधार किया जाए तो किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त हो सकता है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।