गेहूं खऱीद अपडेट, FCI vs खुला बाजार जानिए पेमेंट के मामले में कौन जीत रहा | मंडी से अपडेट

 
गेहूं खऱीद अपडेट, FCI vs खुला बाजार जानिए पेमेंट के मामले में कौन जीत रहा | मंडी से अपडेट

किसान साथियों और व्यापारी भाइयों फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) ने इस वर्ष 10 मार्च से राजस्थान में गेहूं खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के आधार पर किसानों से गेहूं खरीदा जा रहा है, जिसमें बोनस जोड़कर कुल कीमत 2,575 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है। दूसरी ओर, मंडियों में गेहूं की कीमतें एमएसपी के आसपास बनी हुई हैं, जिससे किसानों के लिए दोनों विकल्पों में असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है। बाजार में निजी व्यापारियों और आढ़तियों द्वारा प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर गेहूं की खरीद की जा रही है, जिससे एफसीआई को भी रणनीतिक कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हुई।
राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में इस बार गेहूं की कटाई की प्रक्रिया अभी पूरी तरह से नहीं हुई है, जिसके कारण मंडियों में आवक अपेक्षाकृत कम है। हालांकि, झालावाड़ जिले के डग, भवानीमंडी और पिड़ावा इलाकों में सरकारी खरीद केंद्रों पर किसानों की सक्रिय भागीदारी देखी जा रही है। सरकार की ओर से प्रयास किया जा रहा है कि अधिक से अधिक किसान अपने उत्पाद को समर्थन मूल्य पर बेचें, ताकि उन्हें उचित मूल्य मिल सके और खुले बाजार में निजी व्यापारियों पर निर्भरता कम हो। एफसीआई के खरीद केंद्रों पर किसानों को न्यूनतम दस्तावेज़ीकरण की आवश्यकता होती है, जिससे प्रक्रिया आसान हो जाती है। ऑनलाइन पंजीकरण के माध्यम से किसानों के दस्तावेज़ सिस्टम में स्वतः दर्ज हो जाते हैं, जिससे उन्हें अलग से कागजी कार्यवाही करने की जरूरत नहीं पड़ती।

क्या सरकारी खरीद केंद्र बनेंगे किसानों की पहली पसंद?

एफसीआई के रीजनल मैनेजर प्रणव मुदगिल ने बताया कि इस बार सरकार गेहूं खरीद प्रक्रिया को किसानों के लिए ज्यादा लाभदायक बनाने पर जोर दे रही है। नियमों के अनुसार, खरीदे गए गेहूं का भुगतान 48 घंटे के भीतर किया जाना चाहिए, लेकिन इस बार प्रशासन ने भुगतान प्रक्रिया को और तेज कर दिया है। कई किसानों को उनकी फसल का पैसा महज 2 घंटे के भीतर उनके बैंक खातों में प्राप्त हो रहा है। यह नई भुगतान प्रणाली किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत साबित हो रही है, क्योंकि पहले उन्हें अपने गेहूं की बिक्री के बाद भुगतान प्राप्त करने के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता था। सरकारी खरीद केंद्र पर गेहूं की तुलाई, पैकिंग और अन्य प्रक्रियाओं के दौरान ही भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है, जिससे किसान को मंडी में आढ़तियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। इससे सरकारी खरीद केंद्रों की ओर किसानों का रुझान बढ़ रहा है। भाइयों राजस्थान के कोटा, झालावाड़, बारां और बूंदी जिलों में 37 एफसीआई केंद्रों के अलावा 44 अन्य एजेंसियों के खरीद केंद्र भी संचालित किए जा रहे हैं। इन केंद्रों पर इस सीजन में कुल 3.24 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा गया है। यह पहल उन किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है, जो तत्काल भुगतान की सुविधा के अभाव में निजी व्यापारियों को अपना गेहूं औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हो जाते थे।

क्या एफसीआई को मिलेगी चुनौती?

सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बावजूद, खुले बाजार में गेहूं की कीमतें एमएसपी के आसपास ही बनी हुई हैं। भामाशाह मंडी में गेहूं का न्यूनतम मूल्य 2,451 रुपये प्रति क्विंटल और अधिकतम 2,792 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया, जबकि औसत कीमत 2,600 रुपये प्रति क्विंटल रही। यह दर्शाता है कि बाजार में निजी व्यापारियों और आढ़तियों द्वारा किसानों को प्रतिस्पर्धात्मक कीमतें दी जा रही हैं। एफसीआई अधिकारियों का मानना है कि किसानों को सरकारी खरीद केंद्रों की ओर आकर्षित करने के लिए सिर्फ एमएसपी ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें अतिरिक्त सुविधाएं भी देनी होंगी। मंडियों में किसानों को तुरंत नकद भुगतान मिल जाता है, जबकि एफसीआई केंद्रों पर ऑनलाइन बैंकिंग प्रक्रिया अपनाई जाती है, जो तेज तो है लेकिन कुछ किसानों के लिए नई तकनीकी प्रणाली को अपनाना अभी भी चुनौती बना हुआ है।सरकारी एजेंसियों द्वारा किसानों को एफसीआई केंद्रों पर अपनी फसल बेचने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि वे बाजार में संभावित उतार-चढ़ाव से बच सकें। एफसीआई का प्रयास है कि किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य मिले और साथ ही गेहूं का सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित किया जाए, जिससे देश की खाद्य सुरक्षा नीति को भी मजबूती मिले।

क्या सरकार की पहल ने बढ़ाया भरोसा?

एफसीआई की तेज भुगतान प्रणाली से कई किसानों को बड़ा लाभ मिल रहा है। झालावाड़ जिले के किसान अंतर सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने 30 क्विंटल गेहूं की बिक्री सरकारी केंद्र पर की, और महज कुछ घंटों में ही उनके खाते में भुगतान आ गया। पहले उन्हें 8-10 दिनों तक इंतजार करना पड़ता था, लेकिन इस बार भुगतान प्रक्रिया इतनी तेज थी कि खरीद केंद्र से बाहर निकलने से पहले ही पैसा उनके खाते में आ गया। एक अन्य किसान, कमल, जो मंडी में अपनी फसल बेचने गए थे, ने बताया कि उन्होंने सरकारी खरीद केंद्र पर पंजीकरण कराया, टोकन प्राप्त किया और तुरंत गेहूं तौला गया। पूरी प्रक्रिया इतनी सुगम थी कि उन्हें कहीं भी लंबी लाइन में लगने की आवश्यकता नहीं पड़ी। इस पहल से उन किसानों को विशेष रूप से राहत मिली है, जिनके पास मंडियों में आढ़तियों से मोलभाव करने का समय और संसाधन नहीं होते।कई किसान अब इस नई व्यवस्था को बेहतर मान रहे हैं, क्योंकि इससे न केवल समय की बचत हो रही है, बल्कि भुगतान में भी पारदर्शिता बनी हुई है। सरकार की यह रणनीति गेहूं की सरकारी खरीद को अधिक प्रभावी बनाने में मदद कर सकती है, जिससे भविष्य में एफसीआई द्वारा किए जाने वाले गेहूं भंडारण में भी सुधार आएगा।



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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।